Sunday, September 8, 2024
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देहरादून

नंदा गौरा देवी कन्याधन योजना में बदलाव से हजारों बेटियां एक झटके में हुईं पात्र से अपात्र डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

 

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

 

बेटियों के पालन-पोषण और उनकी उच्च शिक्षा में परिवार की आर्थिक स्थिति बाधा न बने, इस मंशा से प्रदेश सरकार ने नंदा गौरा देवी कन्याधन योजना शुरू की। मगर, इस वर्ष योजना के प्रारूप में अचानक किए गए बदलाव ने हजारों बेटियों को एक झटके में पात्र से अपात्र की श्रेणी में पहुंचा दिया है।पात्रता की पुष्टि के लिए जो अतिरिक्त दस्तावेज मांगे गए हैं, उन्हें बालिकाओं के स्वजन एड़ियां घिसने के बाद भी जुटा नहीं पा रहे। इससे अकेले उत्तरकाशी जिले में ही दो हजार से अधिक बेटियों के प्रभावित होने की आशंका है।प्रारूप बदलने के बाद उत्तरकाशी जिले में इस योजना का लाभ लेने के लिए अब तक महज 120 आवेदन ही आए हैं, जबकि 30 दिसंबर आवेदन की अंतिम तिथि है। इस बदलाव से जहां अभिभावकों में रोष है, वहीं शासन की मंशा पर भी सवाल उठ रहे हैं।इस वर्ष नंदा गौरा देवी कन्याधन योजना के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 30 नवंबर थी। लेकिन, नवंबर अंतिम सप्ताह में शासन ने एकाएक योजना के प्रारूप में बदलाव कर दिया। तब तक उत्तरकाशी जिले में करीब ढाई हजार आवेदन बाल विकास विभाग के पास पहुंच चुके थे।जन्म प्रमाण पत्र, आंगनबाड़ी की रिपोर्ट, आधार कार्ड, बीपीएल कार्ड, आय प्रमाण पत्र, फोटोग्राफ, मूल निवास प्रमाण पत्र, दसवीं व 12वीं का अंकपत्र। आवेदन के नए प्रारूप में भी ये दस्तावेज दिए जाने हैं।वर्ष 2017 में गौरा देवी कन्याधन योजना को नंदा गौरा देवी कन्याधन योजना का रूप दिया गया। इसके संचालन का जिम्मा महिला एवं बाल विकास विभाग को दिया गया।इसमें बालिका के जन्म पर 11 हजार रुपये बालिका की मां के बैंक खाते में आते हैं और 12वीं उत्तीर्ण करने पर 51 हजार रुपये की धनराशि बालिका के बैंक खाते में भेजी जाती है। ताकि वह उच्च शिक्षा का सफर बिना बाधा जारी रखकर अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। इसके लिए बालिका के जन्म के छह माह के भीतर और 12वीं का परिणाम आने के चार माह के भीतर आवेदन करना होता है।वर्ष 2021 में उत्तरकाशी जिले में कुल 3403 बालिकाओं को इस योजना का लाभ मिला। इनमें 743 बालिकाओं ने इसी वर्ष जन्म लिया। शेष बालिकाएं 12वीं पास करने वाली थीं। 12वीं पास लाभान्वित बालिकाओं में 395 का आवेदन वर्ष 2017 में स्वीकार किया था, मगर तब उन्हें लाभ नहीं मिल पाया। कोरोनाकाल में वर्ष 2019 व 2020 में इस योजना का लाभ नहीं दिया गया।‘पहले 30 नवंबर तक आवेदन जमा करने थे। इस दौरान जिले में करीब ढाई हजार आवेदन जमा हुए। लेकिन, नवंबर अंतिम सप्ताह में नए प्रारूप के आधार पर फिर से आवेदन कराने के आदेश हुए। यह मानक पूरे करने वाली बालिकाओं की संख्या बेहद कम है।’ इनमें पहली बार वर्ष 2011 के आर्थिक सर्वे में नाम मांगा जा रहा है जबकि सर्वे में बहुत कम लोगों का नाम है। वहीं खाता-खतौनी, मकान विवरण, मनरेगा जॉब कार्ड, बैंक डिटेल, तीन साल के पानी व बिजली के बिल आदि की जानकारी मांगे जाने से भी कई आवेदकों को दिक्कत हो रही है। अभी तक बीपीएल कार्ड, आय प्रमाणपत्र आदि से ही आवेदन हो जाता था लेकिन इस बार पात्रता के मानक बदले जाने से दस्तावेज जुटाने में ही आवेदकों के पसीने छूट रहे हैं।स्थानीय निवासी आमेंद्र बिष्ट का कहना है कि सरकार के आर्थिक सर्वे को पात्रता का आधार बनाने से आय प्रमाण पत्र और बीपीएल कार्ड किसी काम नहीं आ रहा है जिससे कई पात्र आवेदक पात्रता से बाहर हो गए हैं। सरकार की नई योजना से नंदा और गौरा देवी कन्या धन योजना के लाभार्थियों को तगड़ा झटका लगा है। सरकार की नई नंदा और गौरा योजना से कन्याओं के हक के 15 हजार रुपये घट गए हैं। वहीं जन्म से लेकर विवाह तक अलग-अलग सात किश्तों में धनराशि मिलने का झंझट भी बढ़ गया है। इसके अलावा नये प्रावधानों के तहत 12वीं पास कन्याओं के हक में भी बड़ी कटौती दी गई है। दरअसल महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की नंदा देवी कन्या धन योजना (2009 से) के तहत बेटी के जन्म पर पांच हजार रुपये उसके खाते में डाले जाते थे। इसके बाद दस हजार की एफडी (फिक्स डिपाजिट) कर दी जाती थी। इसी तरह समाज कल्याण विभाग की गौरा देवी कन्या धन योजना में कन्याओं के 12वीं पास करने के बाद उन्हें 51 हजार रुपये दिए जाते थे। इस तरह से एक लाभार्थी कन्या को 66 हजार रुपये मिलते थे। सरकार ने अब दोनों योजनाओं को मर्ज कर यह धनराशि 51 हजार रुपये कर दी है। ऐसे में अब प्रत्येक कन्या के हिस्से के 15 हजार रुपये कम हो गए हैं। इसके अलावा योजना के लाभ लेने पर कई शर्तें भी लगा दी गई हैं। शर्तों की पाबंदी के अनुसार योजना का धन अब कन्या के जन्म से लेकर विवाह तक अलग-अलग अवसर पर मिलेगा।पहले नंदा देवी योजना का लाभ कन्या के जन्म पर और गौरा देवी योजना का 12वीं पास करते ही मिल जाता था। नई व्यवस्था के तहत अब यह धनराशि सात किश्तों में मिलेगी। यानि पहली किश्त जन्म के समय, दूसरी एक वर्ष की आयु पर, तीसरी कक्षा आठ उत्तीर्ण करने पर, चौथी हाईस्कूल उत्तीर्ण करने पर, पांचवी कक्षा 12वीं उत्तीर्ण करने पर, छठी डिप्लोमा-स्नातक उत्तीर्ण करने पर और सातवीं विवाह के समय मिलेगी। इसके लिए बार-बार छात्राओं को विभाग के फेरे लगाने होंगे। यदि किसी छात्रा ने पढ़ाई नहीं की और उसकी शादी हो गई तो सीधे विवाह के समय मिलने वाले 16 हजार रुपये ही उसके हाथ लगेंगे।

लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय कार्यरतहैं।

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