उत्तर प्रदेश

कोरोना ने छीना तीन मासूमो के सिर पर से साया,

अंतिम संस्कार भी सहयोग से हुआ। इलाज में डेढ लाख का कर्ज की चिंता इनको सता रही है।

गोरखपुर -: सहजनवा के अनीता और शैलेश के जीवन में संघर्ष कम नहीं था। लेकिन पति-पत्नी दिन-रात मेहनत कर बच्चों को पाल रहे थे। जिंदगी हंसी-खुशी चल रही थी कि कोरोना उनकी खुशियों पर कहर बनकर टूट पड़ा। लाख कोशिशों के बाद भी अनीता अपना सुहाग बचा नहीं पाई। जो कुछ जोड़-बटोरकर रखा था, वह इलाज में चला गया। अब तीन मासूम बच्चों की जिम्मेदारी के साथ डेढ़ लाख के कर्ज का बोझ अनीता को खाए जा रहा है।

सहजनवा के विजौवा गांव का शैलेश ठाकुर मेहनत-मजदूरी कर अपनी कच्‍ची गृहस्‍थी को जमाने की कोशिश कर रहा था। इसी दौरान 21 अप्रैल को सर्दी-जुकाम से पीड़ित हो गया। अगले ही दिन सांस लेने में तकलीफ होने लगी जांच में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई। हालत बिगड़ने पर पत्नी अनीता ने उसे संतकबीर नगर जनपद के एक निजी अस्‍पताल में भर्ती कराया। पाई-पाई जोड़कर दो वक्‍त की रोटी का इंतजाम करने वाले इस परिवार से अस्‍पताल में घड़ी-घड़ी खर्च कराया जाने लगा। अनीता बताती हैं कि पांच दिन बड़ी मुसीबत में गुजरे। पास-पड़ोस व रिश्तेदारों से कर्ज लेकर अनीता ने आखिरी सांस तक पति को बचाने की कोशिश की लेकिन पांचवां दिन बीतते-बीतते डॉक्‍टरों ने जवाब दे दिया। वेंटिलेटर बेड के लिए न परिवार के पास पैसे थे और न अस्‍पताल के पास इतना बड़ा दिल। बेबस अनीता पति को डिस्‍चार्ज कराकर 26 अप्रैल को घर ले आई और 24 घंटे के अंदर सांसों ने शैलेश का साथ छोड़ दिया।

अंतिम संस्कार भी सहयोग से हुआ

कोरोना के दंश से पीड़ित इस परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए गांव के निर्वतमान प्रधान अजय यादव ने आर्थिक सहयोग कर शैलेश का अंतिम संस्‍कार व क्रिया कर्म कराया। अब अनीता के सामने तीन मासूम बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी है। उस पर पड़ोसियों और रिश्तेदारों से लिया डेढ़ लाख का कर्ज चुकाने की चिंता। यह सब सोचकर अनीता फफक पड़ती है, ‘कोरोना ने सब छीन लिया। पति के हिस्से में जमीन का टुकड़ा है वह भी ताल तलैया में। कर्ज कैसे चुकाएं, कुछ समझ नहीं आ रहा।’

मवाना के तीन मासूम व दादी

 

दूसरी घटना मवाना पश्चिमी  यूपी से

कोरोना महामारी में अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों के जीवन का सहारा कौन बनेगा। नगर में एक ऐसा परिवार है, जिसमें तीन बच्चों के सिर से एक साथ माता-पिता का साया उठ गया। घर में कोई कमाने वाला नहीं रहा। परिवार में केवल रह गई हैं 75 साल की दादी। उनको खुद इस उम्र में स्वयं सहारे की जरूरत है।

कोरोना ने कई परिवारों को जिंदगी भर का जख्म दे दिया है। मवाना नगर के मोहल्ला काबलीगेट में बुढ्डापीर के पास रहे परिवार पर कोरोना का कहर बरसा। एक साथ माता-पिता की मौत होने के बाद परिवार के बच्चे बेसहारा हो गया जिनमें बड़ी बेटी पलक (15 वर्ष), परी (14 वर्ष), आराध्या (6 वर्ष) है। उनकी 75 वर्षीय दादी भी है जिन्हें खुद सहारे की जरुरत है।

बेटी पलक कृषक इंटर कॉलेज इंग्लिश मीडियम में कक्षा दसवीं में, परी इसी कॉलेज की नौवीं कक्षा में पढ़ने जाती है। वर्तमान समय में तीनों बच्चे अपनी दादी के साथ दो कमरे किराये पर लेकर रह रहे हैं। बड़ी बेटी पलक बताती हैं कि उनके पिता यतेन्द्र चौहान जंझेड़ी गांव के प्राइमरी पाठशाला में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे। बाबा नत्थू सिंह प्राइमरी स्कूल में शिक्षक रहे थे। उनकी मृत्यु के बाद कम पढ़ा लिखा होने के कारण यतेन्द्र को शिक्षा विभाग में नौकरी मिल गई थी। उनकी पत्नी अनुज (35 वर्ष) थी लेकिन दोनों कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए और मेरठ में भर्ती हो गए। आठ दिन बाद 30 मई के दिन पति-पत्नी की एक ही दिन मौत हो गई। इससे पूरा परिवार बिखर गया।

परिवार की 75 वर्षीय दादी बीरो कहती हैं कि कोरोना महामारी ने उनके परिवार को तोड़कर रख दिया है। बेटा-बहू दोनों एक दिन ही चले गए। उनके बुढ़ापे की लाठी छिन गई। इन हालातों में तीनों बच्चों के खाने और पढ़ाई खर्च की व्यवस्था कहां से हो पाएगी।

मदद को बढ़े हाथ

परिवार के लिए कई ओर से मदद के लिए हाथ बढ़ने शुरू हो गए हैं। थाना प्रभारी धर्मेन्द्र राठौर ने एक माह का राशन और अन्य सामान भेज दिया है। एसडीएम कमलेश गोयल ने परिवार के फॉर्म भरवा दिए हैं, जिनकी एक दिन में जांच पूरी कर मुख्यालय भेज दी जाएगी। उधर, कृषक इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य देवेन्द्र कुमार ने दोनों बालिकाओं की फीस माफी और निशुल्क किताबें देने की बात कही।

परिवार को आवास दिलाने का आश्वासन दिया

राज्यसभा सांसद कांता कर्दम अपने भ्रमण के दौरान मोहल्ला काबलीगेट में कोरोना संक्रमण से मरे यतेन्द्र चौहान के आवास पर पहुंची और उनकी बेटियों व मां बीरो से बात की। उन्हें बताया गया कि यह परिवार किराये के मकान में रह रहा है और जीवाकापार्जन का कोईसहारा नहीं रहा। राज्यसभा सांसद कांता कर्दम ने आश्वासन दिया कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना में मकान आवंटित कराया जायेगा और परिवार को सभी सरकारी सुविधाएं दिलाइ्र जायेगी।

 

 

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