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“सीएसआईआर – आईआईपी द्वारा “पेट्रोरसायन तथा जैवरसायन के क्षेत्र में संभावनाओं और चुनौतियों” पर केंद्रित एक ऐतिहासिक ‘अनुसंधान एवं विकास – उद्योग सम्मेलन’(आरएंडडी-इंडस्ट्री मीट) का आयोजन”

 

देहरादून, जुलाई 18, 2024 — वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (सीएसआईआर-आईआईपी) द्वारा सीएसआईआर के “एक सप्ताह, एक विषय ” अभियान के एक अंश के रूप में एक महत्वपूर्ण अनुसंधान एवं विकास – उद्योग सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन ” पेट्रोरसायन तथा जैवरसायन के क्षेत्र में संभावनाएं और चुनौतियां” विषय पर केंद्रित था। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास कार्यों तथा वास्तविक औद्योगिक अनुप्रयोगों के मध्य अंतर को कम करना था।

इस सम्मेलन में पेट्रोरसायन और जैवरासायन के क्षेत्र में भविष्य की दिशा निर्धारण और साझेदारी के अवसरों का पता लगाने के लिए प्रतिष्ठित विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और प्रमुख औद्योगिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

इस सम्मेलन के प्रारंभ में सीएसआईआर-आईआईपी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. उमेश कुमार ने ‘एक सप्ताह – एक विषय’ अभियान के रसायन विज्ञान और प्रौद्योगिकी(सीएलपी) विषय के सामरिक महत्व पर प्रकाश डाला। अपनी स्थापना के बाद से, सीएलपी थीम एक साझा उद्यम रहा है, जिसमें आठ सीएसआईआर प्रयोगशालाए – सीएसआईआर-आईआईपी, सीएसआईआर-एनसीएल, सीएसआईआर-आईआईसीटी, सीएसआईआर-सीएलआरआई, सीएसआईआर-एनआईआईएसटी, सीएसआईआर-एनईआईएसटी, सीएसआईआर-सीईसीआरआई और सीएसआईआर-सीएसएमसीआरआई शामिल हैं। डॉ. उमेश ने बताया कि इस विषय के अंतर्गत वर्तमान में लगभग 25 करोड़ रुपये की संचयी लागत की 28 फास्ट-ट्रैक ट्रांसलेशनल और बुनियादी अनुसंधान परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है।

डॉ एच एस बिष्ट, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईपी ने अपने सम्बोधन में रासायनिक और पेट्रोरसायन क्षेत्र में ऊर्जा-कुशल और हरित प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता पर बल दिया। उन्होंने राष्ट्र की आवश्यकता और बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए बुनियादी अनुसंधान को अभिनव, स्वदेशी प्रौद्योगिकियों में रूपांतरित करने के लिए अनुसंधान एवं विकास – औद्योगिक सहयोग के महत्व को रेखांकित किया। डॉ. बिष्ट ने रिफाइनिंग उद्योगों के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास और व्यावसायीकरण के क्षेत्र में हाल की उपलब्धियों को भी प्रदर्शित किया और भारत के संवहनीयता सम्बंधी प्रयासों को संचालित करने वाले अग्रणी समाधान उपलब्ध करवाने के सीएसआईआर-आईआईपी के मिशन की पुष्टि की।

डॉ बिपिन थपलियाल, महासचिव, इंडियन एग्रो एंड रिसाइकल्ड पेपर मिल्स एसोसिएशन (IARPMA) ने माननीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के मार्गदर्शन में प्रारंभ एक सप्ताह – एक विषय की पहल की सराहना की। डॉ. थपलियाल ने लुगदी और कागज उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की और इस क्षेत्र को बायोरिफाइनरी प्रक्रम के साथ एकीकृत कर कागज उद्योग के कचरे को उच्च मूल्य वाले विशिष्ट रसायनों में कैसे परिवर्तित किया जा सकता है, इसकी जानकारी भी दी।
डॉ. भूपेश सामंत, महाप्रबंधक, अनुसंधान एवं विकास, गोदरेज इंडस्ट्रीज ने नवीकरणीय वनस्पति तेलों को ओलियोकेमिकल्स में परिवर्तित करने के अभिनव दृष्टिकोणों के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने उनके विविध अनुप्रयोगों पर प्रकाश डाला, जिसमें ईमल्सीफायर, सॉल्वैंट्स और खाद्य पैकेजिंग शामिल हैं।
इस अवसर पर डॉ. भरत नेवालकर, मुख्य महाप्रबंधक, बीपीसीएल (आर एंड डी) ने भी पेट्रोरसायन विकास के नए क्षेत्रों में काम करने के अवसर और चुनौतियों पर अपने विचार साझा किए।
डॉ. नरेंद्र अग्निहोत्र, एचएमईएल और डॉ. वाईएस झाला, आईओसीएल ने भी स्वदेशी उत्पादों के विकास में अनुसंधान एवं विकास संस्थान और औद्योगिक साझेदारी के महत्व पर प्रकाश डाला।
डॉ आर मैती, मुख्य महाप्रबंधक और प्रमुख, अनुसंधान एवं विकास, इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड ने वैश्विक संवहनीयता रुझानों के संदर्भ में अनुसंधान एवं विकास सम्बंधी चुनौतियों के विषय में बताया। उन्होंने अत्याधुनिक हरित और नवीकरणीय प्रौद्योगिकियों के लक्ष्य हेतु प्रगतिशील उच्च प्रदर्शन सामग्री, नवीकरणीय स्रोतों से जैव-आधारित पॉलिमर और बायोगैस-व्युत्पन्न ईंधन की दिशा में हो रहे बदलाव पर चर्चा की।

इस सम्मेलन के तकनीकी सत्र में सीएसआईआर की विभिन्न प्रयोगशालाओं के प्रमुख वैज्ञानिकों की प्रस्तुतियां शामिल थीं। इसमें सीएसआईआर-आईआईपी, सीएसआईआर-एनसीएल, सीएसआईआर-आईआईसीटी, सीएसआईआर-सीडीआरआई, सीएसआईआर-एनआईआईएसटी, सीएसआईआर-एनआईआईएसटी, सीएसआईआर-एनईआईएसटी, सीएसआईआर-सीईसीआरआई और सीएसआईआर-सीएसएमसीआरआई के शोधकर्ताओं ने रसायन क्षेत्र में अपने अभूतपूर्व अनुसंधान और अभिनव समाधानों को साझा किया।
‘कच्चे तेल से रसायन प्रक्रम’ के भविष्य पर एक अत्यधिक महत्वपूर्ण पैनल चर्चा के साथ यह सम्मेलन सम्पन्न हुआ। विशेषज्ञों के इस पैनल ने रिफाइनिंग प्रक्रम के लिए फीडस्टॉक के रूप में जैव-तेल की क्षमता और भविष्य के अनुसंधान एवं विकास के अवसर के रूप में इसकी व्यवहार्यता पर चर्चा की।

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