देहरादून

देहरादून : एस पी नौटियाल द्वारा सुझाये गए “मेरा बिल मेरा अधिकार” योजना को केंद्र व 6 राज्यो की सरकारों ने लागू की अपने यहाँ।

 

S P NAUTIYAL
S P NAUTIYAL

देहरादून :- देश मे 1 सितम्बर 2023 से लागू “मेरा बिल मेरा अधिकार” जिसका प्रस्ताव 3 साल से भारत सरकार व उत्तराखंड सरकार को समय समय पर डिजीटल व पत्र व्यवहार से करते रहे श्री एसपी नौटियाल जी, लेकिन सरकार ने इस ओर ध्यान नही दिया। आखिर आज सरकार को इस अनूठी योजना को लागू करना पड़ा। जिसका श्री नौटियाल जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी , वित्त मंत्री सीतारमण , नीति आयोग व उत्तराखंड मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त करते हुए, अन्य  विषयो पर जैसे स्वास्थ्य, पर्यावरण, रोजगार  पर भेजे गए अपने प्रस्तावों पर अमल करने की अपील की, 

क्या है मेरा बिल मेरा अधिकार स्कीम?

मेरा बिल मेरा अधिकार स्कीम को खासतौर पर ग्राहकों के लिए लॉन्च किया गया है जिससे वह ज्यादा से ज्यादा जीएसटी बिल लेने के लिए प्रोत्साहित हो सकें. हाल ही में वित्त मंत्रालय ने इस स्कीम के बारे में जानकारी देते हुए बताया था कि जीएसटी बिल अपलोड करने वाले लोगों को 10,000 रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक का इनाम मिल सकता है. सरकार 10-10 हजार रुपये के 800 मासिक इनाम ग्राहकों को देगी, वहीं 10-10 लाख रुपये के 10 इनाम इस योजना के तहत दिए जाएंगे.

वहीं 1 करोड़ का इनाम 3 महीने के आधार पर निकलेगा. सरकार के इस कदम के पीछे मुख्य मकसद यह है कि इससे लोगों को जीएसटी बिल लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. इससे दुकानदार ज्यादा से ज्यादा जीएसटी इनवॉइस जनरेट करेंगे और इससे कारोबारी टैक्स में बढ़ोतरी होगी.

किन राज्यों में शुरू की गई योजना

CBIC ने अपने ट्वीट में मेरा बिल मेरा अधिकार के बारे में जानकारी देते हुए बताया है कि आपका बिल आपका अधिकार है. इस योजना की शुरुआत 1 सितंबर, 2023 से कर दी गई है. पहले चरण में यह योजना असम, गुजरात, हरियाणा, पुडुचेरी, दमन और दीव और दादरा और नगर हवेली में लागू की गई है.

स्कीम में भाग लेने के लिए शर्तें-

इस स्कीम में ऊपर दिए गए राज्य या केंद्र शासित प्रदेश का कोई भी व्यक्ति भाग ले सकता है.

इसके लिए आपको अपने दुकानदार से पक्के जीएसटी बिल या इनवॉयस की मांग करनी होगी.

इस स्कीम के लिए बनाएं गए स्पेशल पोर्टल पर आप एक महीने में केवल 25 बिल तक अपलोड कर सकते हैं.

अपलोड किए गए बिल में सप्लायर का GSTIN, बिल नंबर, डेट और राशि दर्ज होना आवश्यक है.

इस तरह GST बिल को करें अपलोड

अगर आप भी इस स्कीम में भाग लेना चाहते हैं सबसे पहले ऐप को डाउनलोड करें. इसके अलावा आप web.merabill.gst.gov.in पर विजिट कर सकते हैं.

यहां आप 200 रुपये से अधिक के बिल को अपलोड करके इस प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं और 1 करोड़ रुपये तक का इनाम जीत सकते हैं.‍

बिल अपलोड करते वक्त आपको अपना नाम, मोबाइल नंबर, राज्य और नियम शर्त आदि को स्वीकार करके सबमिट करना होगा।

इस योजना के सूत्रधार है श्री एसपी नौटियाल जी

नौटियाल जी  के सुझाव पर जीएसटी पुरस्कार योजना “मेरा बिल मेरा अधिकार” 6 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 1 सितम्बर 2023 से लागू

इन्ही के द्वारा 4 साल से प्रस्तावित योजना उत्तरखंड सरकार द्वारा “बिल लाओ इनाम पाओ” योजना गत वर्ष प्रारम्भ की गई।

जीएसटी बिल लेने के लिए जन जागरूकता: “मेरा बिल मेरा अधिकार:-  मुख्यमंत्री धामी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व केंद्रीय वित्त मंत्री का किया आभार ब्यक्त

सविनय निवेदन है की आपका व माननीय वित्त मंत्री महोदया का हार्दिक आभार जो की मेरे विज़न / चिंतन / सुझाव “जीएसटी बिल लेने के लिए जन जागरूकता का संज्ञान लिया है (महोदय हो सकता है अन्य सुधीजनों लोगों ने भी इस परिप्रेक्ष्य में सुझाव दिया हो) व जीएसटी पुरस्कार योजना “मेरा बिल मेरा अधिकार” 6 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 1 सितम्बर 2023 से लागू कर दी है। महोदय, जीएसटी बिल लेने के लिए जन जागरूकता हेतु मैं गत 3-4 वर्ष से केंद्रीय सरकार व उत्तराखंड सरकार से निवेदन करता आ रहा हूँ। उत्तरखंड सरकार द्वारा “बिल लाओ इनाम पाओ” योजना गत वर्ष प्रारम्भ कर ली थी। महोदय मेरे द्वारा माननीय प्रधानमंत्री महोदय की सेवा में दिनांक 25 अगस्त, 2022 को भेजे गए “आजादी के अमृतकाल के लिए 75 चिंतन व समाधान” के सार के प्रस्तुत 21 में भी उल्लेख किया है।

सामाजिक जागृति

माल और सेवा कर प्रायः देखा गया है की उपभोक्ता, विक्रेता व सेवाप्रदाता से में GST बिल लेने बिल/कैशमेमो की मांग नहीं करता है। भुगतान के बदले की जागरुकता बिल प्राप्त करना उपभोक्ता का अधिकार है। इन सबके लिए उपभोक्ता को जागरुक करने की आवश्यकता है।

महोदय, “आज़ादी के अमृतकाल के लिए 75 चिंतन व समाधान” की एक प्रति माननीय वित्त मंत्री महोदया, भारत सरकार की सेवामें दिनांक 19/10/2022 को प्रेषित की व आपकी सेवामें भी दिनांक 14/11/2022 को प्रेषित किया। महोदय, माल और सेवा कर के परिप्रेक्ष्य में सुझाव आपकी सेवामें दिनांक 24/11/2022 को भी प्रेषित किया है। 

महोदय, वर्ष 2017 में सेवानिवृति के पश्चात् से मैं अपना गिलहरी जैसा योगदान जनमानस के जीवन के सरलीकरण व अर्थव्यवस्था की सुदृढता हेतु केंद्रीय सरकार व उत्तराखंड सरकार की सेवामें निवेदित करता आ रहा हूँ जिससे नीतियों का सरलीकर व नवाचार हो सके। इन विजन मैं से कुछ का संज्ञान सरकारों ने लिए है, जिसमें से कुछ महत्त्वपूर्ण विजन के परिणाम आपके संज्ञान हेतु संलग्न है (अनु. 1) |

महोदय, निश्चित रूप से “मेरा बिल मेरा अधिकार” योजना में उपभोक्ताओं में जागरुकता आयेगी पर इसके अलावा मेरे निम्न विजन/ चिंतन / सुझाव पर विचार करने का अनुरोध :-

1. देश के सभी व्यापार/उद्योग संगठनों को विश्वास में लेते हुये जन जागरुकता अभियान चलाया जाये की बिल लेना व देना क्यों जरुरी है, इसके लिए शहर-शहर, कस्बा कस्बा, गाँव-गाँव रैलियां निकाली जाये, इसके लिए स्कूल व कॉलेज के छात्र, बेरोजगार संघ, महिलायें, सहकारी समितियां अपना महत्वपूर्ण योगदान निभा सकती है। जैसा करोना काल में लोगों को जागृत किया गया, प्रधानमंत्री जन धन योजना की लिए जागृत किया गया, संचारी (विशेषकर TB) व गैर-संचारी रोगों के बचाव के लिए जागृत किया जा रहा है, ब्रेस्टफीडिंग के लिए जागरूक किया जा रहा है आदि आदि की लिए ।

2. भले ही शहर के लोग जागरूक हो पर कस्बों व गांवों में भी आज बिल लेने-देने का प्रचलन बहुत कम है, इनको भी पीएम किसान सम्मान निधि की जागरूकता की तरह जागरुक करने के लिए व्यवस्था बनानी होगी।

3. आज़ादी के अमृतकाल के शैशावस्था में ही लक्ष्य निर्धारित हो की बिना बिल के कोई माल व सेवा नहीं मिलेगी, डिजिटल क्रांति में ये क्रांति भी लोगों में लानी होगी।

4. “मेरा बिल मेरा अधिकार केवल पंजीकृत व्यापारी से ही क्यों खरीददार का अधिकार तो अपंजीकृत से भी बिल लेने का होना चाहिये, जिसके लिए मेरे द्वारा पूर्व में ये सुझाव भी प्रेषित किया था| अपंजीकृत विक्रेता व सेवा प्रदाता द्वारा बिल जारी करना: भले ही माल और सेवा कर अधिनियम की धारा 63 के अंतर्गत अपंजीकृत (unregistered) व्यक्तियों के लिए कर निर्धारण का प्रावधान हो परन्तु GST धारा 35 लेखा पुस्तकें रखना व धारा 31 में बिल जारी करने के मामले केवल पंजीकृत व्यापारियों/सेवा प्रदाताओं पर ही लागू होता है। अधिनियम में ये कहीं प्रावधानित नहीं है की अपंजीकृत व्यक्ति बिना कर के बिल जारी करें। यदि अपंजीकृत को बिल जारी न करने की छूट दे दी गयी है तो लेखे रखने की भी छूट दे दी गयी है तो उस व्यक्ति की टर्नओवर का कैसे पता लगेगा व उसके लेखों के शुद्धता की क्या गारंटी है, वह तो अपनी टर्नओवर सामान्यतः पंजीयन सीमा से कम ही रखेगा। भले ही प्रान्त में पंजीयन सीमा 20 लाख /
40 लाख धनराशि है पर अपंजीकृत व्यापारियों की लिए बिल जारी करने के लिये एक नयी धारा 31-क व लेखा रखने के लिए धारा 35 क का प्रावधान हो। कुछ व्यक्ति रेडी, खोमचे, पटरी आदि वाले हो सकते है अतः बिल जारी करने व लेखा पुस्तकें न रखने की सुविधा सीमा पांच-दस लाख धनराशि तक ही रखी जाये तदोपरांत अनिवार्य हो । 5. साइबर कैफे (Cyber cafe) द्वारा प्रदत सेवाओं के लिए इनबिल्ट (inbuilt) सेवा का मूल्य निर्धारित हो व बिल स्वतः जारी हो इस विषय में विस्तृत सुझाव भारत सरकार के

सेवामें दिनांक 30/11/2020 को प्रेषित किया है जिसका आज़ादी के अमृतकाल के 75 चिंतन व सुझाव के सार के प्रस्तर 69 में भी उल्लेख किया है।

सरकारी जन सुविधा केन्द्रों पर हर प्रकार के फॉर्म भरने की व हर प्रकार के काम करने की सुविधा नहीं होती है। आधुनिक समय में कंप्यूटर हर व्यक्ति की आवश्यकता बन गयी है। आनलाइन काम दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। साइबर कैफे स्वरोजगार में कमाई का एक बड़ा साधन बन चुका है। अधिकांश लोगों को साइबर कैफे की सेवा लेनी पड़ती है जो उपभोक्ता से मनमर्जी से सेवा के बदले पैसा वसूल करते हैं जैसा कोरोना लाकडाउन अवधि में पास बनाने के लिए भी देखा गया है। जब वस्तुओं की कीमतें निश्चत हो सकती है तो सेवा की कीमतें भी निश्चित हो। सेवा का साफ्टवेयर विकसित करते समय फार्म के विवरण व संलग्न स्कैनिंग डाक्यूमेंट को ध्यान में रखते हुए सेवा का शुल्क inbuilt निर्धारित हो व ली गयी सेवा के लिए बिल स्वतः जारी हो।
6. खरीददार द्वारा बिल प्राप्त करने के लिए विक्रेता/सेवा प्रदाता के यहाँ बोर्ड लगे: विभिन्न अधिनियमों में बिल जारे करने का प्रावधान है जैसा की Drug and Cosmetic Act, Consumer Protection Act, GST Act परन्तु देश के हजारों दावा विक्रेता दवाई के साथ ही बिल जारी नहीं करते जबकि Mfg date, expiry date, batch no. का उल्लेख बिल जारी करते समय आवश्यक होता है। जिस प्रकार पंजीकृत व्यक्ति अपने व्यापार स्थल पर GST संख्या का बोर्ड लगाता है उसी प्रकार भुगतान काउंटर के आस-पास Consumer awareness हेतु बोर्ड लगे। भ्रष्टाचार में कमी लानी है तो जन जागरूकता के लिए ये सब करने पड़ेंगे।

दुख:द है की डिजिटल भारत (DIGITIAL INDIA) में भुगतान देकर भी बिल प्राप्त करने के लिए गिड़गिड़ाना पड़ता है। बिल लेना क्यों जरुरी है उसके लिये कुछ आवश्यक बिंदु भी व्यापारी के यहाँ डिस्प्ले (display) हो तो जनमानस में खरीद बिल लेने की जागरुकता बढ़ेगी| महोदय, CONSUMER AWARENESS हेतु उपभोक्ता के महत्वपूर्ण अधिकारों का बोर्ड व्यापार/सेवा प्रदाता स्थल पर लगे व साथ ही देश व्यापी प्रचार-प्रसार भी हो विशेषकर ग्रामीण भारत में, इस परिप्रेक्ष्य में मेरे द्वारा आदरणीय प्रधानमंत्री महोदय से भी निवेदन किया जो की Depatment of Consumer Affairs, भारत सरकार ने दिनांक 25/05/2023 को “suggestion noted” किया है।

7. माल और सेवा कर/अप्रत्यक्ष कर शोध संस्थान व डाटा विश्लेषण: महोदय, इस विषय में कई बार भारत सरकार से भी निवेदन कर चूका हूँ की स्वतंत्र शोध संस्थान केंद्र सरकार के साथ साथ प्रत्येक राज्यों में वित्त सचिव के अंतर्गत हो। महोदय, हो सकता है की कुछ राज्यों में ये संस्थान आयुक्त जीएसटी के अंतर्गत हो पर अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे होंगे। क्यों होना चाहिये शोध संस्थान इसके लिए संक्षिप्त में औचित्य भी है ।

महोदय, आपसे अनुरोध है की मेरे उक्त विजन/चिंतन /सुझाव पर भी विचार करने की कृपा करें | अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुये आदर के साथ|

स्थायी पताः ग्राम सेमा, पट्टी ढुंगमन्दार, पोस्ट समेण्डीधार, जनपद टिहरी गढ़वाल (उत्तराखण्ड ) – 249181

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