भाजपा सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री के तीरथ सरकार को दिए चिट्ठी से विपक्ष को बैठे बिठाये मुद्दा मिला???
देहरादून। आपके अधिकारी खनन माफियाओं से मिले हुए हैं। यही वजह है कि ऐसे प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है कि जो कि संबंधित क्षेत्र में संभव ही नहीं है। इसे तत्काल निरस्त करने की जरूरत है।
प्रदेश की तीरथ सिंह रावत सरकार पर ये सनसनी आरोप भाजपा की सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने लगाए हैं। श्रीमती गांधी पूर्व में राज्य के पशु पालन विभाग पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए एक्शन के लिए तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को चिटठी लिख चुकी हैं।
अब उन्होंने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के लिए चिटठी लिखी है। चिटठी में सांसद मेनका गांधी ने नैनीताल और यूएसनगर जिले में माईग्रेटरी बर्ड कम्यूनिटी रिजर्व प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े किए। कहा कि सरकार के अधिकारी इसके औचित्य के बारे में नहीं बता रहे हैं।
यही नहीं उन्होंने कहा कि तालाब बनाकर माईग्रेटरी बर्ड को आकर्षित नहीं किया जा सकता है। ये प्रोजेक्ट संभव ही नहीं है। उन्होंने कहा कि ये पूरा मामला खनन का है और अधिकारी खनन माफियाओं के साथ मिले हुए हैं।
उन्होंने मुख्यमंत्री से इस प्रोजेक्ट को निरस्त करने का अनुरोध करते हुए प्रोजेक्ट से संबंधित कुछ जानकारियां भी मांगी हैं। बहरहाल, भाजपा सांसद की इस चिटठी से सरकार का असहज होना तय है। वजह पार्टी की ही सांसद के आरोप लगाने से विपक्ष जरूर इसे मुददा बनाएगा।
त्रिवेंद्र रावत सरकार में वन विभाग के एक अधिकारी के खिलाफ अपनी चिट्ठी से प्रदेशभर की राजनीति में हंगामा बरपाने वाली पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद मेनका गांधी ने एक बार फिर उत्तराखंड में लेटर बम फोड़ दिया है जी हां प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को मेनका गांधी ने जो पत्र लिखा है उससे एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में हंगामा तो बचेगा ही साथ ही साथ कई सवाल भी खड़े हो जाएंगे . आपको बता दें मेनका गांधी ने भाजपा सरकार के एक ऐसे फैसले पर सवाल खड़े किए हैं जो त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के दौरान शुरू करने का फैसला लिया गया था और अब तीरथ सिंह रावत सरकार उसे आगे बढ़ा रही है जी हां नैनीताल जिले के बैलपड़ाव और उधमसिंह नगर के बाजपुर में माइग्रेटरी बर्ड कम्युनिटी रिजर्व बनाने का आदेश हुआ है. सरकार की कोशिश है कि दोनों स्थानों पर ऐसी झील बने जहां प्रवासी पक्षी आ सकेंगे और इन्हें पर्यटन स्थल के रूप में भी भविष्य में आगे बढ़ाया जाए लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी सरकार के इस प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े कर रही है मेनका गांधी का कहना है कि सरकार जिस तरह से इस प्रोजेक्ट के बारे में सोचती है उसका होना संभव नहीं है मेनका का कहना है कि माइग्रेटरी बर्ड ऐसे नहीं आती है और यह सारा खेल खनन माफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है. ऐसा करने से आसपास के क्षेत्रों में वन्य जंतुओ का जीवन प्रभावित होगा. कुल मिलाकर यह पूरा मामला नेता, अफसर और खनन माफियाओं का गठजोड़ प्रतीत हो रहा है.
आपको बता दे कि यह मामला त्रिवेंद्र रावत सरकार के समय का है, बैलपड़ाव और बाजपुर में माइग्रेटरी बर्ड कम्युनिटी रिजर्व का निर्माण किया जाय. सात अगस्त 2020 को इस कार्य का शासनादेश जारी किया गया. लेकिन इसके बाद सांसद मेनका गांधी ने 26 अक्टूबर को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर पूछा कि क्या इन दोनों स्थानों पर माइग्रेटेड पक्षियों का आना जाना है? यदि आते हैं तो कौन कौन से माइग्रेटड पक्षी यहां आते हैं? कृत्रिम जल निकाय बनाकर पारिस्थितिकी तंत्र तैयार होने में सालों लग जाते हैं, जिन स्थानों पर माइग्रेटरी बर्ड कम्युनिटी रिजर्व बनाने का फैसला लिया गया है वो खनन माफियाओं द्वारा तैयार कराया गया है. मेनका के इस पत्र का कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला और अभी तक शासनादेश भी वापस नहीं हुआ. इसी दौरान उत्तराखंड में सत्ता परिवर्तन अभियान शुरू हो रहा था तो ये मामला बीच में कहीं छूट गया। हालांकि एक बार फिर मेनका की चिट्ठी उत्तराखंड पहुंची है जिससे प्रदेश की नौकरशाही में हंगामा मचा है।