देहरादून

कैबिनेट मंत्री किशोर उपाध्याय के शोसल मीडिया पर दिए बयान का हरीश रावत ने दिया अपने अंदाज में जबाब,

देहरादून । कभी कांग्रेस पार्टी में एक दूसरे के हमसफर रहे हरीश रावत और किशोर उपाध्याय एक बार फिर आमने सामने दिखाई दे रहे हैं।

दरअसल किशोर उपाध्याय के शोसल मीडिया पर किये गए ट्वीट के बाद हरदा ने पलटवार किया है।

किशोर उपाध्याय ने हरीश रावत पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि जब तक वे हरीश रावत के हनुमान थे तब तक वे राजनीतिक तोर पर आगे बढ़ते रहे।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान में टिहरी से भाजपा के विधायक किशोर उपाध्याय विधानसभा पहुंचे। इस दौरान उन्होंने जहां अपने अतीत से जुड़ीं बातें याद की तो साफ कह दिया कि अब कांग्रेस और कांग्रेसियों की तरफ वह मुड़कर भी नहीं देखना चाहते।
किशोर उपाध्याय ने कहा कि वह इस बात की परवाह नहीं करते कि कांग्रेस के लोग उन्हें क्या बोल रहे हैं। कांग्रेस को इस वक्त चाहिए कि अपनी हालत पर विचार-विमर्श और समीक्षा करे। कहा कांग्रेस में जो वह करना चाहते थे, नहीं कर पाए, लेकिन बीजेपी ने उन्हें मौका दिया है। वह अब पांच साल जनता की सेवा करेंगे।

हरीश रावत की हार और उनके राजनीतिक भविष्य पर बोलते हुए किशोर उपाध्याय ने कहा हरीश रावत बड़े नेता और उनके भाई हैं। उन्होंने कहा आज जो उनकी और पार्टी की हालत है, उस पर उन्हें सोचना और विचार करना चाहिए। कहा आज अगर हरीश रावत को लोग इतने बड़े नेता के तौर पर देख रहे हैं तो उसके पीछे अगर कोई व्यक्ति है तो वह किशोर उपाध्याय ही है।
अगर किशोर उपाध्याय न होता तो हरीश रावत आज इतने बड़े नेता न होते। किशोर उपाध्याय ने कहा अब वह कांग्रेस और कांग्रेसियों की तरफ मुड़कर नहीं देखना चाहते हैं। एक बार जिस पन्ने को उन्होंने पलट दिया, दोबारा उस पन्ने को वे कभी पढ़ना नहीं चाहते हैं।
वही किशोर उपाध्याय के इस तरीके के बयान पर हरीश रावत ने भी बड़ा बयान दिया है उनके अनुसार मैंने फेसबुक पर देखा, अपने पुराने दोस्त श्री किशोर उपाध्याय जी की पोस्ट। उन्होंने कहा कि जब तक मैं उनका हनुमान था, तब तक वो आगे बढ़ते रहे, इस पर कोई संदेह नहीं है। मेरे जीवन को आगे बढ़ाने में जिन लोगों का महत्त्व है, उनमें Kishore Upadhyaya जी के महत्व को मैंने कभी नहीं झुठलाया। इस बार लंका विजय के समय हमारे हनुमान, रावण के कक्ष में बैठ गए, फिर भी कोई बात नहीं, वो आगे बढ़ें, मंत्री बनें हमारी कामना है, फिर मुख्यमंत्री बनें और हनुमान हैं संजीवनी लाना उनका स्वभाव है, वनाधिकार की संजीवनी उत्तराखंड के लिए लेकर के आएं इसके लिए मेरी शुभकामनाएं हैं।

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