नई दिल्लीपर्यावरण

प्रकृति, प्रचुर, प्रत्यास्थ एवं उदार है……

अगर उद्योग जगत ज़िम्मेदार है तो यह पर्यावरण साथ तालमेल बनाए रखते हुए शांतिपूर्वक रह सकता है और प्रकृति को पनपने में मदद कर सकता है। 

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आज यूएनईपी चीफ़ के वक्तव्य के अनुसार पूरी दुनियाधरती पर तीन संकटों से जूझ रही हैः जलवायु परिवर्तन का संकटप्रकृति एवं जैव विविधता की क्षति का संकट तथा प्रदूषण एवं व्यर्थ का संकट। यह संकट दुनिया के पारिस्थितिक तंत्रों पर हमला बोल रहा है।

ऐसे में भूमि सुधार परियोजनाओं पर ध्यान केन्द्रित करना बहुत ज़रूरी हो जाता है।

 मेरे लिए वेदांता के केयर्स ऑयल एण्ड गैस में रेवा वाइल्डलाईफ प्रोजेक्टऐसा उदाहरण है जो बताता है कि किस तरह कॉर्पोरेट प्रतिबद्धता वन्यजीवन में पुनरूत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

2009 में मैनग्रोव पौधारोपण परियोजना के साथ हमने क्षेत्र के 458 एकड़ में हरित बेल्ट का निर्माण किया। आज मुझे गर्व है कि रेवा में पक्षियों की 150 प्रजातियांकीटों एवं रेप्टाइल्स की 100 से अधिक प्रजातियां और पशुओं की 50 प्रजातियां हैं।

15 फीसदी ज़मीन के पुनरूत्थान से 60 फीसदी से अधिक प्रजातियां को बचाया जा सकता है जो

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