नैनीताल- कभी पहाड़ के लिये अभिशाप माने जाने वाले पिरूल जो कि काफी ज्वलनशील है लेकिन अब यही पिरूल लोगों की जिन्दगी रोशन कर रहा है।
यूं तो पिरूल के उन्मूलन के लिये वन विभाग सालों से प्रयासरत है और पिरूल से कोयला व बिजली निर्माण जैसे कार्य शुरु भी हुवे लेकिन जो कारगर नहीं  हुए।

इसी को देखते हुए वन विभाग अब पिरूल का प्रयोग बॉयलर में करने जा रहा है इसके लिये सेंचुरी पेपर मिल से 5 वर्षो का अनुबंध भी हो चुका है।
विभाग की इस पहल से महिलाओं को सीधे तौर पर रोजगार से जोड़ा जायेगा समूहों के माध्यम से गांवो से पिरूल एकत्र किया जायेगा इसके लिये 3 रुपये प्रति किलो विभाग व 3 रुपये प्रति किलो सेंचुरी मिल की तरफ से भुगतान किया जायेगा यानि महिलाओं को 6 रुपये प्रति किलोग्राम पिरूल का भुगतान किया जायेगा।

डीएफओ टीआर बीजूलाल के मुताबिक नैनीताल डिवीजन से पिरूल मॉडल की शुरुआत होगी जिसे फिर सभी डिवीजन में लागू किया जायेगा।
यदि विभाग की ये पहल कारगर रही तो फायर सीजन में न केवल जंगलों को नुकसान से बचाया जा सकेगा बल्कि महिलाओं को भी रोजगार उपलब्ध होगा।