नई दिल्ली

कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर RPF ने पकड़े 16 फर्जी रेलवे कर्मचारी जिनमे अधिकतर टिकिट चेकर थे। मुख्य सरगना फरार,,

 

रेलवे की नोकरी के लिये हर कोई चाहत रखता है, और देश भर से अक्सर रेलवे भर्ती के नाम पर लोगो के साथ धोखाधड़ी की खबरे प्रकाशित होते रहते है। बेरोजगार युवा इन जलसाजों के चक्कर मे  घरवालों की मेहनत की कमाई  गवा बैठते है। ऐसे ही मामला कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर देखने को मिला,  कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर 16 फर्जी रेलवे कर्मचारी पकड़े गए। इनमें अधिकतर चेकिंग स्टाफ है, जो नौ-दस दिनों से यहां काम कर रहे थे। इनके पास रेलवे का फर्जी पहचान पत्र और नियुक्ति पत्र भी मिला है। रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर प्रति व्यक्ति पांच से 15 लाख रुपये तक वसूले गए थे। पकड़े गए 16 में तीन लोग गिरोह में शामिल थे, जिन पर एफआईआर दर्ज की गई है।

गिरोह के सरगना समेत चार लोग फरार हैं। जीआरपी ने पनकी से एक सरगना की लग्जरी कार भी बरामद की है। बुधवार देररात स्टेशन पर टिकट निरीक्षक सुनील पासवान ने चेकिंग के दौरान प्लेटफार्म नंबर दो-तीन पर दिनेश कुमार गौतम को देखा। गले में पहचान पत्र डालकर यात्रियों का टिकट चेक कर रहा था।
सुनील ने उसे रोककर पूछा तो उसने खुद को स्टाफ बताया।

इसके पहले स्टाफ में कभी न दिखने की वजह से संदेह हुआ तो पूछताछ आगे बढ़ी। दिनेश ने बताया कि वह ट्रेनिंग कर रहा है। उसकी तरह कई और लोग भी सेंट्रल स्टेशन पर प्रशिक्षण ले रहे हैं। इस पर उससे फोन कर साथियों को बुलाने के लिए कहा गया। दिनेश ने फोन लगाया, लेकिन एक घंटे बाद भी कोई नहीं आया तो सुनील उसे जीआरपी थाने ले आए। जीआरपी की पूछताछ में मामला संगीन निकला।

इस पर जीआरपी और आरपीएफ की चार टीमें बनाईं गईं, जिन्होंने एक-एक कर 16 लोगों को पकड़ा। इनके पास से रेलवे का फर्जी पहचान पत्र बरामद हुआ। पकड़े गए अनुज प्रताप सिंह और अभिषेक कुमार के पास से नियुक्त पत्र भी मिले, जो जांच में फर्जी निकले। पूरे मामले में सीआईटी स्टेशन से प्रयागराज मंडल के सीनियर डीसीएम अंशू पांडेय ने रिपोर्ट तलब की है।

ट्रेनों के कोच नंबर नोट करने का था काम
जीआरपी और आरपीएफ टीम ने छानबीन की तो पता चला कि कुछ फर्जी कर्मचारी डायरी में ट्रेनों के कोच नंबर नोट करते मिले। पूछताछ में उन लोगों ने बताया कि हर दिन बदल-बदलकर प्लेटफार्म दिए जाते हैं, जिसमें आने वाली ट्रेनों के कोच नंबर नोट करने का काम दिया गया है। बताया कि ड्यूटी रात दस से सुबह छह बजे तक करते हैं।

बेरोजगार युवकों से पंद्रह लाख तक ठगे
सीओ जीआरपी कमरुल हसन खां के मुताबिक, रेलवे में फर्जी नौकरी दिलाने का गिरोह है। यह गिरोह बेरोजगार युवकों को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करते हैं। टीसी के लिए पांच से पंद्रह लाख रुपये तक वसूल किए गए। एक दो लोगों से पार्सल पोर्टर (सामान उठाने और रखने वाला) के लिए एक लाख रुपये लिए गए।

जीआरपी के पहुंचने से पहले फरार हो गया सरगना
जीआरपी ने गैंग के सरगना रुद्र प्रताप ठाकुर की तलाश में पनकी में छापा मारा, लेकिन वह पकड़ में आने से पहले ही निकल गया। जीआरपी ने उसकी लग्जरी गाड़ी जब्त कर ली है। जांच में पता चला कि रुड़की का प्रॉपर्टी डीलर राकेश भट्ट बेरोजगारों को फंसाने का काम करता है और युवकों को रुद्र के पास भेजता था। इनके साथी अनुज अवस्थी और रोहित की भी तलाश की जा रही है।

दो मंजिल से कूदा फर्जी टीसी
फर्जी नियुक्ति के बाद टीसी बनाए गए युवक यासिर की तलाश में जब जीआरपी फेथफुलगंज स्थित किराये के मकान पर पहुंची तो वह भागने लगा। जीआरपी से बचने के लिए दो मंजिला मकान से छलांग लगा दी। इससे उसे गंभीर चोटें आईं। उसे इलाज के लिए केपीएम में भर्ती किया गया है। यासिर उन 16 में है, जिनके साथ ठगी हुई है।

लेते थे सबकी हाजिरी, करते थे वसूली
जीआरपी ने एफआईआर में दिनेश कुमार गौतम, शिव नारायण त्रिपाठी उर्फ राहुल और पवन गुप्ता उर्फ रौनक पर गंभीर धाराएं लगाकर आरोपी बनाया है। ये तीनों बाकी की हाजिरी लेते थे। खुद भी फर्जी पहचान पत्र डालकर स्टेशन पर यात्रियों का टिकट चेक करते थे। सूत्रों के अनुसार ये तीनों यात्रियों से वसूली भी करते थे। जीआरपी ने इन्हें रैकेट में शामिल माना है।

टीटीई का किरायेदार भी था आरोपी, सीआईटी तलब
इस मामले में एक अन्य आरोपी ननकू नाम का बताया जा रहा है। वह करीब एक महीने से रेलवे के एक टीटीई के घर पर किराये पर रह रहा था। यह टीटीई कानपुर सेंट्रल स्टेशन के सामने रेलवे बंगले में रहता है। इसकी पत्नी भी रेलवे में ही नौकरी करती है। यूनियन में भी इसका दखल है, जिसकी वजह से इसको सपोर्ट मिलता है।

लाखों रुपये देकर फर्जी तरह से नौकरी के झांसे में आकर ठगे गए 13 युवकों को मामले में वादी बनाया जाएगा। इसके बाद चारों फरार आरोपियों को गिरफ्तार कराकर सख्त कार्रवाई कराएंगे। पीड़ितों का प्रारंभिक पड़ताल में कोई दोष साबित नहीं हुआ है, बल्कि वे ठगे गए हैं।
सौमित्र यादव, प्रभारी एसपी, प्रयागराज

16 फर्जी रेलवे कर्मचारियों के नाम
– दिनेश कुमार गौतम निवासी देहरादून थाना नेहरू कालोनी (टीसी)
– पवन गुप्ता निवासी पीरोड थाना सीसामऊ (पार्सल पोर्टर प्राइवेट) हाजिरी लेता था
– शिव नारायण त्रिपाठी निवासी चौरिहन का पुरवा थाना जगतपुर रायबरेली हाल पता फेथफुलगंज बाजार (हाजिरी लेता था)
– बंसगोपाल निवासी कीसाखेड़ा थाना साढ़, कानपुर नगर
– नमित शाह निवासी अखरी थाना नरवल, कानपुर
– मानस द्विवेदी निवासी शिवाला थाना कोतवाली, कानपुर
– गौरव कटियार, निवासी विजय नगर, कानपुर
– अभिषेक निवासी मुजहा थाना अमृतपुर, फर्रुखाबाद
– अनुज प्रताप निवासी गठवाया थाना मेरापुर, फर्रुखाबाद
– जीनू यादव निवासी दुर्गाखेड़ा थाना अजगैन, उन्नाव
– आनंद कुमार निवासी दुर्गाखेड़ा थाना अजगैन, उन्नाव
– प्रदीप कुमार निवासी टोला माफ थाना सिसोलर हमीरपुर
-बिजलाल निवासी सरसा थाना सोरावं, प्रयागराज
– पवन यादव निवासी पंडित कापूरा थाना नगरा, बलिया
– यासिर अराफात निवासी हरजोली झोजा थाना झबरेडा हरिद्वार
– अंकुर कुमार निवासी हरजोली झोजा थाना झबरेडा हरिद्वार

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