विकास की मजबूत बुनियाद रख गए थे शिवानंद नौटियाल डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
![डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला](https://uttarakhandkesari.in/wp-content/uploads/2022/12/IMG-20221208-WA0017.jpg)
हिदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक एवं कुशल राजनीतिज्ञ डा. शिवानंद नौटियाल का जन्म 28 जून 1926 को पौड़ी जनपद के ग्राम कोटला में हुआ था। वर्ष 1967 में इन्होंने सक्रिय राजनीति में पदार्पण किया तथा 1969 में पौड़ी गढ़वाल क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए। 1974 तथा 1979 के विधानसभा चुनावों में भी जीत हासिल की। वह पौड़ी से दो बार और कर्णप्रयाग से छह बार विधायक बने। 1979 में डा. नौटियाल को उत्तर प्रदेश सरकार में उच्च शिक्षा एवं पर्वतीय विकास मंत्रालय का दायित्व सौंपा गया। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई पुस्तकें भी लिखी। उनकी जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि डा. नौटियाल ने अपने मंत्री कार्यकाल के दौरान कई इंटर कालेज और डिग्री कालेज के अलावा सड़कों का निर्माण कर पहाड़ी क्षेत्रों में विकास की एक मजबूत बुनियाद स्थापित की। कहा कि दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली, पेयजल, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं को लेकर उन्होंने हमेशा मिशन के रूप में कार्य किया, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। अब डॉ. शिवानंद नौटियाल छात्रवृत्ति रूपए 250 प्रतिमाह से बढ़ाकर रूपए 1500 प्रति माह कर दिया गया है। साथ ही यह छात्रवृत्ति 11 बच्चों की बजाय 100 बच्चों को प्रदान की जाएगी। यही वजह है कि वे आज भी आमजन के बीच लोकप्रिय जनप्रतिनिधि के रूप में जाने जाते हैं। गढ़वाल के लाकनृत्य गीत’ उनका शोध प्रबन्ध है. इस शोधग्रन्थ में गढ़वाली लोक साहित्य के सभी रूपों का विस्तार से वर्णन किया गया है. गढ़वाली लोकमानस, गढ़वाल के नृत्य, गढ़वाल के लोकगीत, गढ़याल के खुदेड़ गीत, गढ़वाल के नृत्य गीत, ना की लोककथाएँ, कुमाऊँ दर्शन बदरी केदार की ओर नौटियालजी की श्रेष्ठ शोधात्मक रचनाएँ हैं. डॉ. शिवानन्द को उनकी साहित्यिक अभिरुचियों के लिए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की ओर से आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी नामित पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. डॉ. नौटियालजी उत्तराखण्ड में अविस्मरणीय रहेंगे.(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।