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टोल टैक्स से नाराज गांव वालों ने बना डाली अपनी बायपास सड़क,,,,

 

कर्नाटक-: फास्टैग (FASTag) को टोल प्लाजा पर होने वाली समस्याओं और जाम को दूर करने केटोल टैक्स से नाराज गांव वालों ने बना डाली बायपास सड़क

 

फास्टैग (FASTag) को टोल प्लाजा पर होने वाली समस्याओं और जाम को दूर करने के मकसद से लागू किया गया था और इसे सरकार के एक बड़े परिवर्तनकारी कदम के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, आए दिन टोल टैक्स को लेकर कई मामले भी सामने आ रहे हैं। इन दिनों कर्नाटक का हेजामादी टोल प्लाजा काफी सुर्खियों में है। इस साल की शुरुआत में जब से फास्टैग को वाहनों के लिए अनिवार्य किया गया, तब से रियायत को लेकर स्थानीय लोगों और टोल कंपनियों के बीच अक्सर हंगामा होता रहा है।

 


स्थानीय लोगों की मांग है कि उन्हें टोल मुक्त परिवहन का विकल्प दिया जाए। इसके लिए उन्होंने स्थानीय प्रशासन से कई बार लिखित अपील की, लेकिन जब अधिकारियों से कोई मदद नहीं मिली तो ग्रामीणों ने मामले को अपने हाथों में ले लिया।

क्या है मामला?

हेजामादी टोल वर्ष 2018 के आसपास बनाया गया था। टोल प्लाजा के बनते ही ग्रामीणों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था। ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन के बाद उन्हें टोल मुक्त परिवहन के लिए पास जारी किया गया। हालांकि, फास्टैग के लागू होने के बाद अब किसी भी तरह का भौतिक पास मान्य नहीं है और अब स्थानीय लोगों को भी फास्टैग खरीदना पड़ रहा है।

कहां बनी यह बायपास सड़क

हेजामादी गांव के ग्रामीणों ने टोल बूथ के पास पैरलल (सामानांतर) सड़क बना दी है। लोगों ने इस नई सड़क को काफी व्यस्त मंगलूरू-उडुपी हाईवे पर बनाया है। इस साल की शुरुआत में जब फास्टैग लागू किया गया था, तब हेजामादी के निवासियों को कुछ रियायत दी गई थी। हालांकि, इस गांव से यात्रियों को ले जाने वाली चार बसों को कोई रियायत नहीं मिली।

ग्राम पंचायत ने इस बात को उठाया और स्थानीय प्रशासन से बसों को रियायत देने की मांग की। इसपर प्रशासन ने बसों को रियायत देने का आश्वासन दिया था। हालांकि, आश्वासन पर कभी अमल नहीं किया गया। काफी इंतजार और अनुरोध करने के बाद हारकर आखिरकार ग्राम सभा ने पंचायत बुलाई और इस समस्या से पिण्ड छुड़ाने का फैसला लिया गया

 

बना दी नई सड़क

पंचायत ने टोल बूथ को बायपास करने के लिए एक सामानांतर सड़क बनाने का फैसला लिया और जेसीबी बुलाकर जमीन की खुदाई शुरू कर दी। देखते ही देखते कुछ घंटो में टोल बूथ के सामानांतर एक नई सड़क बनाकर तैयार हो गई। नई सड़क बनाए जाने की खबर मिलने के बाद अधिकारी मौके पर पहुंचे।

अधिकारियों ने ग्रामीणों से निर्माण कार्य को रोकने की मांग की लेकिन ग्रामीण ऐसा करने के मूड में नहीं थे। उन्होंने मांग की कि अधिकारी पहले उनकी मांगों को पूरा करें तभी सड़क निर्माण रोका जाएगा। अधिकारियों और ग्रामीणों के बीच लंबी बातचीत चली जिसके बाद, एक लिखित आश्वासन दिया गया कि वे भविष्य में बसों को रियायत देंगे। हालांकि, बसों ने अस्थायी सड़कों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है।

एनएचएआई की दलील

एनएचएआई का कहना है कि टोल प्लाजा के 20 किलोमीटर के क्षेत्रफल में रहने वाले लोगों के लिए टोल टैक्स मुक्त रखा गया है। इसके लिए स्थानीय लोगों को अपने वाहन रजिस्ट्रेशन और ड्राइविंग लाइसेंस के आधार पर फास्टैग खरीदना होगा जिसके बाद रियायत दी जाएगी। स्थानीय लोगों के फास्टैग टोल से गुजरने पर टोल टैक्स नहीं कटेगा।मकसद से लागू किया गया था और इसे सरकार के एक बड़े परिवर्तनकारी कदम के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, आए दिन टोल टैक्स को लेकर कई मामले भी सामने आ रहे हैं। इन दिनों कर्नाटक का हेजामादी टोल प्लाजा काफी सुर्खियों में है। इस साल की शुरुआत में जब से फास्टैग को वाहनों के लिए अनिवार्य किया गया, तब से रियायत को लेकर स्थानीय लोगों और टोल कंपनियों के बीच अक्सर हंगामा होता रहा है।

 


स्थानीय लोगों की मांग है कि उन्हें टोल मुक्त परिवहन का विकल्प दिया जाए। इसके लिए उन्होंने स्थानीय प्रशासन से कई बार लिखित अपील की, लेकिन जब अधिकारियों से कोई मदद नहीं मिली तो ग्रामीणों ने मामले को अपने हाथों में ले लिया।

क्या है मामला?

हेजामादी टोल वर्ष 2018 के आसपास बनाया गया था। टोल प्लाजा के बनते ही ग्रामीणों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था। ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन के बाद उन्हें टोल मुक्त परिवहन के लिए पास जारी किया गया। हालांकि, फास्टैग के लागू होने के बाद अब किसी भी तरह का भौतिक पास मान्य नहीं है और अब स्थानीय लोगों को भी फास्टैग खरीदना पड़ रहा है।

कहां बनी यह बायपास सड़क

हेजामादी गांव के ग्रामीणों ने टोल बूथ के पास पैरलल (सामानांतर) सड़क बना दी है। लोगों ने इस नई सड़क को काफी व्यस्त मंगलूरू-उडुपी हाईवे पर बनाया है। इस साल की शुरुआत में जब फास्टैग लागू किया गया था, तब हेजामादी के निवासियों को कुछ रियायत दी गई थी। हालांकि, इस गांव से यात्रियों को ले जाने वाली चार बसों को कोई रियायत नहीं मिली।

ग्राम पंचायत ने इस बात को उठाया और स्थानीय प्रशासन से बसों को रियायत देने की मांग की। इसपर प्रशासन ने बसों को रियायत देने का आश्वासन दिया था। हालांकि, आश्वासन पर कभी अमल नहीं किया गया। काफी इंतजार और अनुरोध करने के बाद हारकर आखिरकार ग्राम सभा ने पंचायत बुलाई और इस समस्या से पिण्ड छुड़ाने का फैसला लिया गया

बना दी नई सड़क

पंचायत ने टोल बूथ को बायपास करने के लिए एक सामानांतर सड़क बनाने का फैसला लिया और जेसीबी बुलाकर जमीन की खुदाई शुरू कर दी। देखते ही देखते कुछ घंटो में टोल बूथ के सामानांतर एक नई सड़क बनाकर तैयार हो गई। नई सड़क बनाए जाने की खबर मिलने के बाद अधिकारी मौके पर पहुंचे।

अधिकारियों ने ग्रामीणों से निर्माण कार्य को रोकने की मांग की लेकिन ग्रामीण ऐसा करने के मूड में नहीं थे। उन्होंने मांग की कि अधिकारी पहले उनकी मांगों को पूरा करें तभी सड़क निर्माण रोका जाएगा। अधिकारियों और ग्रामीणों के बीच लंबी बातचीत चली जिसके बाद, एक लिखित आश्वासन दिया गया कि वे भविष्य में बसों को रियायत देंगे। हालांकि, बसों ने अस्थायी सड़कों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है।

एनएचएआई की दलील

एनएचएआई का कहना है कि टोल प्लाजा के 20 किलोमीटर के क्षेत्रफल में रहने वाले लोगों के लिए टोल टैक्स मुक्त रखा गया है। इसके लिए स्थानीय लोगों को अपने वाहन रजिस्ट्रेशन और ड्राइविंग लाइसेंस के आधार पर फास्टैग खरीदना होगा जिसके बाद रियायत दी जाएगी। स्थानीय लोगों के फास्टैग टोल से गुजरने पर टोल टैक्स नहीं कटेगा।

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