यमकेश्वर ! बीन नदी पुल निर्माण में क्यो नही सरकार कदम बढ़ा रही आगे, किसी बड़े हादसे का हो रहा इंतज़ार???
कई दशकों से यमकेश्वर की जनता का इस पुल की मांग को सरकारो ने नही दिया महत्व
ऋषिकेश: ऋषिकेश के बैराज-चीला मार्ग पर पड़ने वाली बीन नदी मानसून सीजन में हजारों लोगों के लिए परेशानी का सबब बन जाती है। लंबे समय से बीन नदी पर की जा रही पुल की मांग आज तक पूरी नहीं हो पाई है। जिससे यमकेश्वर प्रखंड का डांडामंडल क्षेत्र तो बरसात के दिनों में राजधानी से अलग-थलग पड़ जाता है। खास कर तब लोगों के पास व्यवस्था को कोसने के सिवा कुछ नहीं बचता, जब डांडामंडल के गांवों से बीमार लोगों को इलाज के लिए ऋषिकेश चिकित्सालय पहुंचाना चुनौती साबित होता है।
बैराज-चीला मार्ग न सिर्फ ऋषिकेश और हरिद्वार के बीच का एक वैकल्पिक मार्ग है, बल्कि इस मार्ग पर यमकेश्वर प्रखंड के डांडामंडल के 82 गांवों की हजारों की आबादी भी जुड़ी हुई है। बैराज-चीला मार्ग पर पड़ने वाली बीन नदी इस मार्ग पर सबसे बड़ी बाधा है। बीन नदी यहां भूमिगत चीला शक्ति नहर के ऊपर से बहती है और बरसात में विकराल रूप धारण कर देती है। नदी का बहाव इतना तेज होता है कि यहां वाहन फंस जाते हैं। कई बार तो यहां यात्री बसें, दुपहिया और चौपहिया वाहनों में सवार लोगों की जान पर बन आई है। बीन नदी पर लंबे समय से पुल निर्माण की मांग की जा रही है। मगर, इस व्यवस्था की खामी ही कहेंगे कि कभी बजट के अभाव में तो कभी राजाजी पार्क के कायदे-कानूनों के चलते यहां पुल नहीं बन पाया है। बीन नदी पर पुल न होने का सबसे बड़ा खामियाजा डांडामंडल क्षेत्र के लोगों को उठाना पड़ता है। खासकर जब गांवों में लोग बीमार होते हैं या अन्य कोई आपात स्थिति आती है तो बीमारों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ऋषिकेश पहुंचाने में ग्रामीणों के पसीने छूट जाते हैं। कई बार तो लोग जान जोखिम में डालकर नदी पार कर ऋषिकेश पहुंचते हैं। वर्षों से ग्रामीण बीन नदी पर पुल निर्माण की मांग करते आ रहे हैं। पुल की मांग को बीते वर्ष डांडामंडल के ग्रामीणों ने लंबा आंदोलन भी चलाया। मगर, बावजूद इसके अभी तक इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किए जा सके। कुछ वर्ष पूर्व लोक निर्माण विभाग दुगड्डा ने यहां पुल के लिए प्रस्ताव तैयार किया था, मगर, राजाजी राष्ट्रीय पार्क का क्षेत्र होने के कारण यहां पुल निर्माण को अनुमति नहीं मिल पाई।
बीन नदी पर पुल निर्माण को लेकर विभिन्न स्तरों पर ग्रामीण मांग कर चुके हैं। मगर, इस दिशा में कहीं से भी गंभीरता से प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। बीते वर्ष लंबे आंदोलन के बाद भी पुल को लेकर शासन व प्रशासन द्वारा कोई संज्ञान नहीं लिया गया। पूर्व मुख्यमंत्री भी घोषणा कर चुके हैं, मगर अभी तक इस घोषणा पर भी कोई अमल नहीं हो पाया।
पूर्व मुख्यमंत्री हरिद्वार लोकसभा सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) ने हालांकि यहां वर्ष 2018 में पक्के पुल के निर्माण की घोषणा की थी, जो अभी तक धरातल पर नहीं उतरी है। यमकेश्वर प्रखंड के डांडा मंडल क्षेत्र के दर्जनों गांव के लोग कई वर्षों से बीन नदी पर पुल निर्माण की मांग सरकार से करते आ रहे हैं। पुल नहीं होने से खासकर बरसात में स्थानीय ग्रामीणों को घरों में कैद होने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
चीला मार्ग पर बीन नदी का मानसून में रौद्र रूप हमेशा ही हादसों को बुलावा देता रहा है।
। जनपद पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर प्रखंड के अंतर्गत चीला मार्ग पर बीन नदी (Bean River) का मानसून में रौद्र रूप हमेशा ही हादसों को बुलावा देता रहा है। इस वर्ष कावड़ यात्रा (Kanwar Yatra) है, ट्रैफिक प्लान में यह रूट भी शामिल है। ऐसे में स्थानीय ग्रामीणों सहित कांवड़ियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े होना लाजमी है।
कई वर्षों से बीन नदी पर पुल की मांग
पुल निर्माण के लिए केंद्रीय वन्यजीव बोर्ड (Central Board of Wildlife) से एनओसी मिल चुकी है। पुल निर्माण के लिए प्रथम चरण में स्वीकृत की गई 29 लाख रुपए की धनराशि से मृदा परीक्षण व अन्य कार्यों को पीडब्ल्यूडी ने शुरू कर दिया था। लोनिवि की दुगड्डा डिवीजन के मुताबिक, पुल की कुल लंबाई 200 मीटर और चौड़ाई नौ मीटर है। प्रथम चरण के कार्य के लिए टेंडर भी आमंत्रित कर लिए गए थे मगर कार्य अब तक शुरू नहीं हुआ है।
बीन नदी (Bean River) में हुए हादसे 18 जून 2014- कुनाऊ चौड़ से चीला जा रहा बाइक सवार गुर्जर बीन नदी में बहा। 28 जुलाई 2016- प्रदेश के 50 यात्रियों से भरी बस बीन नदी में उत्थान के बीच फंसी, चार घंटे रेस्क्यू के बाद सभी को सुरक्षित निकाला। 31 जुलाई 2016- हरिद्वार से ऋषिकेश आ रही कांवड़ यात्रियों से भरी बस बीन नदी के उफान में फंसी। सभी कावड़ यात्रियों को सुरक्षित निकाला। 17 फरवरी 2017- पोलिंग पार्टी लेकर वापस आ रही बस घोरगड़ी के समीप बीन नदी में पलटी। आठ मतदान कर्मियों को सुरक्षित निकाला। 17 अगस्त 2018- ऋषिकेश से हरिद्वार जा रही प्राइवेट कंपनी की बस बीन नदी के उफान में फंसी। तीर्थ यात्रियों को सुरक्षित रेस्क्यू किया। 09 अगस्त 2021- हरिद्वार से एम्स ऋषिकेश आ रहा का एक कैदी वाहन बीन नदी में फंसा, क्रेन की मदद से निकाला।
खतरे से अलर्ट (Alert) के कोई उपाय नहीं
बीन नदी (Bean River) क्षेत्र राजाजी टाइगर रिजर्व (Rajaji Tiger Reserve) की गौहरी रेंज के अंतर्गत आता है। पुलिस प्रशासन की बात करें तो यह क्षेत्र थाना लक्ष्मण झूला क्षेत्र में शामिल है। इसके पास ही चीला पुलिस चौकी है। जबकि बैराज में पुलिस की पिकेट है। रेंज कार्यालय भी इसी मार्ग पर स्थित है। मानसून (Monsoon) के वक्त नदी में होने वाले हादसों की रोकथाम के लिए पुलिस और वन विभाग की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इतना जरूर है कि जब कोई घटना हो जाती है तो दोनों ही विभाग कुछ दिन अलर्ट होकर वाहनों को नदी का पानी उतरने तक रोकते नजर आते हैं।