Sunday, September 8, 2024
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देहरादून

बाजरा स्वाद के साथ मिलेगी सेहत, डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

 

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

 

भारत पहले से ही गेहूं और धान के उत्पादन के लिए दुनिया के शीर्ष देशों में शुमार है। भारत अन्य फसलों का उत्पादन करके भी विश्व में अपना गौरव बढ़ा रहा है। बाजरा वर्ष अगले वर्ष मनाया जाएगा।ऐसी स्थिति में भारत का ध्यान देश के बाजरा उत्पादन पर भी है।  वैश्विक आंकड़ों के अनुसार, भारत बाजरा का दुनिया का अग्रणी उत्पादक है। उत्पादकता के मामले में हमारा देश सूची में सबसे ऊपर है। भारत में रिकॉर्ड तोड़ बाजरा उत्पादन होता है। यदि आप आंकड़ों को देखें, तो भारत दुनिया में बाजरा के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है, जिसका वैश्विक उत्पादन में अनुमानित हिस्सा लगभग 41 प्रतिशत है। एफएओ (खाद्य और कृषि संगठन) के अनुसार, 2020 में बाजरा का विश्व उत्पादन 30.464 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) था और भारत का योगदान 12.49 एमएमटी था। यह कुल बाजरा उत्पादन का 41% है। पूर्व वर्ष में उत्पादित 15.92 एमएमटी बाजरा की तुलना में, भारत ने 2021-22 में बाजरा उत्पादन में 27 प्रतिशत की वृद्धि देखी है।। बाजरा उत्पादन के लिए भारत के शीर्ष पांच राज्य मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान और महाराष्ट्र हैं। बाजरा का निर्यात कुल बाजरा उत्पादन का लगभग 1% है। भारत के बाजरा निर्यात में अधिकांश भाग साबुत अनाज का होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, बाजरा उद्योग के 2025 तक 9 बिलियन डॉलर से बढ़कर 12 बिलियन डॉलर से अधिक होने का अनुमान है। यदि ऐसा होता है, तो पूरी दुनिया बाजरा का प्रमुख बाजार होगी। भारत वैश्विक बाजार का एक बड़ा हिस्सा धारण करेगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत से बाजरे का निर्यात 2021-22 में 8.02 प्रतिशत बढ़कर 159,332.16 एमएमटी हो गया, जो पिछले वर्ष 147,501.08 एमएमटी था। इंडोनेशिया, बेल्जियम, जापान, जर्मनी, मैक्सिको, इटली, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ब्राजील और नीदरलैंड दुनिया के शीर्ष बाजरा आयात करने वाले देश हैं। इन देशों को भारत से बड़ी मात्रा में बाजरा भी प्राप्त होता है। बाजरा 16 मुख्य किस्मों में उपलब्ध है। जिनका उत्पादन कर विदेशों में भेजा जाता है। इनमें कोदो बाजरा, प्रोसो बाजरा, लघु बाजरा (कंगनी), बाजरा (बाजरा), रागी (बाजरा), और ज्वार (सोरघम) शामिल हैं। चावल और गेहूं जैसे व्यापक रूप से खाए जाने वाले अनाज की तुलना में बाजरा अधिक पोषक तत्वों से भरपूर होता है। बाजरा में कैल्शियम, आयरन और फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है। बाजरा से प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत होती है। उत्तराखंड कृषि उत्पाद विपणन बोर्ड एवं निर्यातक कंपनी जस्ट ऑर्गेनिक के साथ सहयोग में उत्तराखंड के किसानों से बड़ी मात्रा में बाजरा रागी और झिंगोरा खरीद कर इनको विदेश में उत्पादित करती हैं। जल्द ही उत्तराखंड से बाजरे की खेप को डेनमार्क में निर्यात किया जाएगा.. कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादन निर्यात विकास प्राधिकरण एपीडा के अध्यक्ष का कहना है कि मोटा अनाज भारत का अद्वितीय कृषि उत्पाद है और इसकी वैश्विक बाजार में भारी मांग है ।उनका कहना है कि यह जैविक प्रमाणीकरण मानकों को भी पूरा करता है और ऐसे में जल्द ही उत्तराखंड से बाजरे की बड़ी खेप को डेनमार्क में निर्यात किया जाएगा। बाजरे में हाइड्रोकैमिकल्स तथा ऐन्टीऑक्सिडैन्टस् प्रचुर मात्रा मे मिलते हैं। जरूरत है कि हम बाजरे की खेती को समर्थन दें और इसके लिए ऋण और बीमा की व्यवस्था भी उपलब्ध करवाएं। दालों के साथ इस्तेमाल करके बाजरे से पोषक भोजन तैयार किया जा सकता है, जैसे. चपातियां, ब्रेड, लड्डू, पास्ता, बिस्कुट। बाजरे की विशेषता है सूखा प्रभावित क्षेत्र में भी उग जाना, तथा ऊंचा तापक्रम झेल जाना। यह अम्लीयता को भी झेल जाता है। यही कारण है कि यह उन क्षेत्रों में उगाया जाता है जहां मक्का या गेहूं नहीं उगाए जा सकते हैं की गेहूं और चावल के मुकाबले बाजरे में ऊर्जा कई गुना है। बाजरे की रोटी सेहत के लिए बहुत लाभदायक है। इस प्रकार से हो सकता है कि एक ऐसा समय आए, जब गेंहू हमारे खेतों से एक दम गायब हो जाए। बाजरे की खेती में उर्वरकों की जरूरत नहीं पड़ती अतः इस फसल में कीड़े.मकेड़े नहीं लगते। अधिकांश बाजरे की किस्में भंडारण में आसान है और इसमें कीड़े नहीं लगते। अतः इसके भंडारण के लिए कीट.नाशकों की जरूरत नहीं पड़ती। प्रदेश में उच्च गुणवत्तायुक्त का उत्पादन कर देश.दुनिया में स्थान बनाने के साथ राज्य की आर्थिकी तथा पहाड़ी क्षेत्रों में पलायान को रोकने का अच्छा विकल्प बनाया जा सकता है।पर्यावरण तथा मानव स्वास्थ्य दोनों को ही लाभ होगा। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष (इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर) घोषित किया है. बीते मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज दिवस 2023 के तहत केंद्रीय कृषि मंत्री ने सांसदों के लिए दोपहर के भोजन का आयोजन भी किया. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सांसदों ने मोटे अनाज से बने व्यंजनों का लुत्फ उठाया. उत्तराखंड के टिहरी में मोटा अनाज को सहेजने की कोशिश चल रही है.बाजरा सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। यह पोषक तत्वों से भरपूर साबुत अनाज है। बाजरे में एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। यह डाइट्री फाइबर, प्रोटीन और विटामिन्स से भरपूर होता है। सर्दियों में लोग बाजरे की रोटी और सरसों का साग खाना बहुत पसंद करते हैं। यह स्वादिष्ट होने के साथ सेहत के लिए भी बहुत गुणकारी होता हैबाजरे में डाइट्री फाइबर पाया जाता है, जो पाचन शक्ति को मजबूत बनाने में सहायक है। अगर आपको कब्ज, ऐंठन, गैस या पेट फूलने की समस्या है, तो डाइट में बाजरे से बने खाद्य-पदार्थ को जरूर शामिल करें। इसके नियमित सेवन से आपको कई स्वास्थ्य संबंधी लाभ मिल सकते हैं। बाजरे में कैलोरी की मात्रा कम होती है लेकिन फाइबर भरपूर मात्रा में मौजूद होता है। इसके सेवन से लंबे समय तक भूख नहीं लगती, जिससे आप ज्यादा खाने से बच सकते हैं। जो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं, डेली डाइट में बाजरे की रोटी या खिचड़ी शामिल कर सकते हैं। बाजरे में आयरन, जिंक, विटामिन बी3, विटामिन बी6 और विटामिन बी9 प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। जो स्किन को हेल्दी रखने में सहायक है। डाइट में नियमित रूप से बाजरे का सेवन करते हैं, तो झुर्रियां या त्वचा संबंधी अन्य समस्याओं से बच सकते हैं। गुणवत्ता के मामले में राजस्थान का बाजरा सबसे अच्छा होता है।आगामी समय मोटे अनाज का है। जोधपुर कृषि विवि का यह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस कई मायनों मे अहम किरदार निभाएगा। इस सेंटर के विकसित होने से बाजरा पर रिसर्च होगा। देश में 9.4 मिलियन टन बाजरे का उत्पादन होता है। इसमें से सबसे ज्यादा 3.75 मिलियन टन यानी देश के कुल उत्पादन का लगभग 42 प्रतिशत राजस्थान में होता है। गौरतलब है कि बाजरा सबसे शानदार अन्न बन चुका है। यह न केवल आयरन की कमी को दूर करता है बल्कि शरीर की तमाम व्याधियों को भी खत्म कर देता है। अंतर-फसल को अपनाने और फसल बीमा प्रदान करने के लिए बाजरा की अंतर-फसल फायदेमंद है क्योंकि बाजरे के पौधों की रेशेदार जड़ें मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करती हैं, पानी के बहाव को रोकती हैं और कटाव-प्रवण क्षेत्रों में मिट्टी के संरक्षण में सहायता करती हैं। प्रत्येक स्कूली बच्चे और आंगनवाड़ी लाभार्थी को स्थानीय रूप से प्राप्त बाजरा, ज्वार, रागी आदि के आधार पर एक दैनिक भोजन परोसा जा सकता है। यह मांग पैदा करके फसल विविधीकरण को बढ़ावा देगा। बाजरा की एमएसपी खरीद विकेंद्रीकृत पोषण कार्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए, विशेष रूप से कल के नागरिकों को लक्षित करना।बाजरा खाने के लिए तैयार खाद्य पदार्थ जैसे कुकीज, लड्डू, न्यूट्रिशन बार आदि के रूप में परोसा जा सकता है। केंद्र विशेष रूप से स्कूलों और आंगनवाड़ी के माध्यम से वितरण के लिए अपने क्षेत्र के लिए विशिष्ट बाजरा खरीदने के इच्छुक किसी भी राज्य को वित्तपोषित कर सकता है। ओडिशा में पहले से ही समर्पित बाजरा मिशन है। पोषण लक्ष्यों से जुड़ी विकेन्द्रीकृत खरीद के साथ केंद्रीय वित्त पोषण का संयोजन बाजरा के लिए वह कर सकता है जो भारतीय खाद्य निगम ने चावल और गेहूं के साथ हासिल किया है।फिट रहने की आवश्यकता के बारे में बढ़ती जागरूकता के साथ लोग अपने नियमित आहार में ‘स्वस्थ’ विकल्पों को शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसी ही एक वस्तु है बाजरा। लेकिन, जबकि बाजरा (कम कार्ब्स और उच्च प्रोटीन) के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि केवल बाजरा आहार का पालन करने की सलाह नहीं दी जाती है। “बाजरा को मध्यम मात्रा में लेने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसके अत्यधिक सेवन से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि अनाज में ऐसे पदार्थ होते हैं जो थायराइड के कामकाज में बाधा डालते हैं।बाजरा अपनी धीमी पाचन क्षमता के कारण देर से पचने का कारण बन सकता है क्योंकि इनमें फाइबर अधिक होता है। आंतों के विकार वाले लोगों को परेशानी हो सकती है। बाजरा अमीनो एसिड का एक अच्छा स्रोत है, लेकिन शरीर के लिए अमीनो एसिड की बहुत अधिक मात्रा की सिफारिश नहीं की जाती है, बाजरा आधारित आहार ने मधुमेह या हृदय रोगों वाले लोगों के लिए प्रभावी रूप से काम किया है क्योंकि बाजरा चीनी के स्तर को कम करने और प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करता है। हालांकि, स्वस्थ लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे वैकल्पिक दिनों में बाजरा आधारित आहार शामिल करें। बॉडी बिल्डिंग के लिए लोगों को प्रोटीन डाइट लेनी चाहिए और जो लोग वेट मैनेजमेंट करना चाहते हैं उन्हें बाजरे की डाइट लेनी चाहिए। वैश्विक बाजरा बाजार को 2021-2026 के बीच 4.5 प्रतिशत सीएजीआर दर्ज करने का अनुमान है। बाजरा’ सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान इसकी खपत के कई सबूतों के साथ भारत में उगाई जाने वाली पहली फसलों में से एक थी। वर्तमान में 130 से अधिक देशों में उगाए जाने वाले बाजरा को पूरे एशिया और अफ्रीका में आधे अरब से अधिक लोगों के लिए पारंपरिक भोजन माना जाता है।भारत में, बाजरा मुख्य रूप से एक खरीफ फसल है, जिसमें अन्य समान स्टेपल की तुलना में कम पानी और कृषि आदानों की आवश्यकता होती है। बाजरा आजीविका उत्पन्न करने, किसानों की आय बढ़ाने और पूरे विश्व में खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी विशाल क्षमता के आधार पर महत्वपूर्ण हैं। सरकार द्वारा जारी बयान के अनुसार, IYM 2023 के लक्ष्य को प्राप्त करने और दुनिया भर में भारतीय बाजरा को फैलाने के लिए, कृषि और किसान कल्याण विभाग ने एक सक्रिय बहु-हितधारक जुड़ाव दृष्टिकोण अपनाया है इसके लिए इसमें केंद्र सरकार के सभी मंत्रालय, राज्य/केंद्रशासित प्रदेश, किसान, स्टार्ट-अप्स, निर्यातक, खुदरा व्यवसाय, होटल और भारतीय दूतावासों आदि को शामिल किया गया है.इसके अलावा उन्होंने बताया कि मंत्रालयों, राज्यों और भारतीय दूतावासों को 2023 में विभिन्न प्रकार की आईवाईएम से संबंधित गतिविधियों का संचालन करने और उपभोक्ताओं, किसानों और पर्यावरण के लिए बाजरा के लाभों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, एफएसएसएआई और अन्य मंत्रालयों में जनवरी महीने यानी इसी माह के लिए कार्यक्रम निर्धारित हैं, जिसमें आंध्र प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में बाजरा मेला-सह-प्रदर्शनी और पंजाब, केरल और तमिलनाडु में ईट राइट मेले शामिल हैं. एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक खेती-किसानी की औपचारिक शुरुआत से पहले हमारे पूर्वज बाजरे पर ही निर्भर रहते थे। जंगली घास जैसी दिखने वाले बाजरे के संबंध में इतिहासकारों का मानना है कि इसका सेवन 7000 साल पहले भी किया जा चुका है। एएनआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि 7000 साल से भी पहले इंसानों ने बाजरा का सेवन किया था, इसके प्रमाण खोजे गए हैं। उत्तरी चीन में मिट्टी के कटोरे में अच्छी तरह संरक्षित अवस्था में नूडल्स भी पाए गए हैं। इस आधार पर लोगों का मानना है कि हजारों वर्ष पहले समुदायों द्वारा की जाने वाली अन्य फसलों की ‘खेती’ से पहले बाजरे का सेवन किया जाता रहा है।.

लेखक दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं।

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