देहरादून :-उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष और चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने 2 सितंबर 1994 को उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के दौरान हुए मसूरी गोलीकांड के हीरो राजेंद्र पवार के आज हुए निधन पर गहरा दुख और शोक व्यक्त किया है। धीरेंद्र प्रताप ने कहा है कि राजेंद्र पवार और उनके स्वर्गीय पिता मसूरी नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष और उत्तराखंड क्रांति दल के संस्थापकों में से एक स्वर्गीय हुकुम सिंह पवार ने उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ।जहां हुकुम सिंह पवार अनेकों- अनेक बार राज्य आंदोलन के दौरान लाठीचार्ज और उत्पीड़न के शिकार हुए ।कई बार जेल गए वही राजेंद्र पवार को 2 सितंबर 1994 को पुलिस की गोलियों का शिकार होना पड़ा। वे वे 2 सितंबर 1994 को हुए ऐतिहासिक मसूरी कांड के दिन राज्य निर्माण आंदोलनकारियों के साथ एक जुलूस में शिरकत कर रहे थे और तभी पुलिस गोली से गंभीर रूप से घायल हो गए थे और कई दिनों तक जीवन मौत से जूझते रहे। धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि राजेंद्र पवार और उनके स्वर्गीय पिता हुकम सिंह पवार का उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के इतिहास में नाम “सोने के अक्षरों” में लिखा जाएगा। उन्होंने राजेंद्र पवार की अंत्येष्टि पूर्ण सरकारी सम्मान के साथ किए जाने की मांग की है और कहा है कि भाजपा राज में राज्य आंदोलनकारी एक-एक करके गुजरने पर लगे हैं परंतु सरकार ना तो उनकी पेंशन बढ़ाने को तैयार है ना उनकी आरक्षण की व्यवस्था,जो कांग्रेस ने की थी उसको लागू करने को तैयार है और पिछले 3 साल में एक भी राज्य आंदोलनकारी का चिन्हीकरण त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने करना उचित नहीं समझा ।उन्होंने त्रिवेंद्र रावत सरकार को “आंदोलनकारी विरोधी “सरकार बताया ।
उन्होंने आज ही गुजरे पूर्व विधायक बृजमोहन कोटवाल के निधन पर भी शोक व्यक्त किया है और कहा है कि वे राज्य के अच्छे नेताओं में से एक थे।