Saturday, July 27, 2024
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Big breaking :- प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर सख्त हुए DG शिक्षा बंशीधर तिवारी, जारी किया ये आदेश,

शैक्षिक सत्र 2023-24 अप्रैल से प्रारम्भ हो गया है तथा छात्र – छात्राओं एवं उनके अभिभावकों के द्वारा पाठ्य पुस्तकें क्रय की जा रही है। इस संदर्भ में विभिन्न माध्यमों से अभिभावकों एवं जनसामान्य से शिकायतें प्राप्त हो रही है कि राज्य में संचालित विभिन्न बोर्ड के अन्तर्गत मान्यता प्राप्त विद्यालयों में लागू की गयी पाठ्य पुस्तकों की दरें अत्यधिक है, जिससे अभिभावकों पर अनावश्यक व्ययभार पड़ रहा है।

आप यह भी अवगत है कि मा0 उच्च न्यायालय नैनीताल में योजित रिट याचिका संख्या 640/645/669/811 /813/ 835 / 2018 एवं 3302 / 2017 में मा0 उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 13 अप्रैल 2018 के अनुपालन में महानिदेशालय के पत्र संख्या – महानिदे0 / 11918-67/ पा०पु० / 2018-19 दिनांक 02 मार्च 2019 के द्वारा समस्त जनपदों को तदनुसार अनुपालनार्थ यथाआवश्यक दिशा-निर्देश प्रसारित किये गये। इसी क्रम में पुनः संज्ञान में लाना है कि आई० सी० एस० ई० बोर्ड से मान्यता प्राप्त विद्यालयों को छोड़कर अन्य समस्त विद्यालयों में लागू की जा रही पुस्तकें पूर्णतः एन० सी०  ई० आर० टी०/ सी०बी०एस०ई० पाठ्यक्रम आधारित होनी आवश्यक है।

उक्त विद्यालयों में पाठ्यक्रम के अनुरूप आवश्यक होने पर अन्य प्रकाशकों की पुस्तकें इस शर्त के साथ लागू की जा सकती है कि उनका मूल्य एन०सी०ई०आर०टी० की पुस्तकों के मूल्य के समान या लगभग इसके बराबर हो। साथ ही पुस्तकें सी०बी०एस०ई० के पाठ्क्रय एवं दिशा-निर्देशों / एन०सी०ई०आर०टी० पाठ्यक्रम एवं दिशा-निर्देशों के अनुरूप होनी चाहिये।

अतः उक्त के आलोक में प्रत्येक जनपद में मुख्य शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारम्भिक ) तथा विकासखण्डों में खण्ड शिक्षा अधिकारी एवं उप शिक्षा अधिकारी अपने-अपने स्तर पर सुनिश्चित करें कि निजी विद्यालयों द्वारा मा० उच्च न्यायालय के द्वारा पारित आदेश का अनुपालन किया जाय सम्बन्धित अधिकारी जनहित में अपने अधीनस्थ क्षेत्रान्तर्गत स्थित 1 विद्यालयों का समय-समय पर औचक निरीक्षण अनिवार्यतः करें तथा इस अवधि में प्रश्नगत प्रकरण पर अभिभावकों से भी संवाद स्थापित करने का प्रयास करें।
यदि निजी विद्यालयों द्वारा किसी भी प्रकार से निर्देशों का उल्लघंन किया जाता है, तो ऐसे विद्यालयों को कारण बताओं नोटिस जारी किया जाय तथा आवश्यकता होने पर प्रकरण उच्चाधिकारियों के संज्ञान में भी लाया जाय सम्बन्धित अधिकारी यह भी सुनिश्चित करें कि भम्रण / निरीक्षण से सम्बन्धित आख्या उच्च स्तर पर उपलब्ध करायी जाय।

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