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भाई तो भाई होता है। देखिये मानवता को संदेश देती यह खबर

नरसिंहपुर/ कहा जाता है कि रिश्तों में चाहे कितनी भी खटास आ जाए लेकिन अपने तो अपने ही होते हैं. इस कहावत को एक छोटे भाई ने सच कर दिया है. दरअसल दोनों भाईयों के बीच जमीन के एक टुकड़े को लेकर विवाद चला. मामला कोर्ट तक गया लेकिन जब बड़े कोरोना से मौत हो गई तो छोटे भाई ने पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देकर रिश्तों की अहमियत बता दी.इससे उलट मामला टेहरी गढ़वाल के इस युवक के साथ घटी , देहरादून के कनिष्क हॉस्पिटल में

इनकी कोरोना संक्रमण से मौत हो गई थी। और उनके परिजन  मृत शरीर को हॉस्पिटल में ही छोड़कर गॉव चले गए थे। अस्पताल प्रसासन ने पुलिस के सहयोग से शव का अंतिम संस्कार किया।

क्या है मामला
घटना नरसिंहपुर जिले की है. जहां को लोलरी गांव के रहने वाले मुन्नू पटेल का अपने छोटे भाई किशन पटेल के साथ जमीन का विवाद चल रहा था. इस विवाद के चलते बड़े भाई ने किशन को कोर्ट में भी घसीटा और बीते 8 साल से यह मामला चल रहा है.

मुन्नू पटेल की कोई संतान नहीं थी. इसलिए वह अपनी बेटी और दामाद के साथ ही रहते थे. इस दौरान मुन्नू पटेल ने अपनी सारी जायदाद अपने दामाद के नाम कर दी थी. बीते दिनों मुन्नू पटेल कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए. तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां दामाद भी उनके साथ था. इस दौरान मुन्नू पटेल की तबीयत बिगड़ी और उनकी मौत हो गई.

हैरानी की बात ये है कि जिस दामाद के नाम मुन्नू पटेल ने अपनी सारी जायदाद कर दी थी, वो दामाद मुन्नू के शव को श्मशान घाट ले जाने की बजाय अस्पताल से चुपचाप गायब हो गया. इस पर अस्पताल ने शव को लावारिस जानकर उसके अंतिम संस्कार की तैयारी कर दी थी. तभी मुन्नू के छोटे भाई किशन को अपने भाई की मौत का पता चला. इस पर किशन ने दुश्मनी भूलाकर अपने भाई के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया. किशन ने ही अपने भाई के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी.

किशन ने बताया कि एक जमीन के टुकड़े को लेकर बीते 8 साल से विवाद था. मेरा भाई मुझे दुश्मन मानता था और अपने दामाद के पास ही रहता था और उसे बेटे से भी बढ़कर मानता था. जैसे ही मुझे भाई के निधन की खबर मिली मैं दौड़ा चला आया. किशन का कहना है कि जब भाई ही नहीं है तो दुश्मनी किस बात की और मैंने अपना फर्ज निभाया

.लिंक सोर्स

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