कोविड हेल्पलाइन पर फोन कर कंट्रोल रूम से मदद मांगने वालों को मदद मिली या नहीं अब इसकी जांच पड़ताल होगी ! D M देहरादून
देहरादून जिला प्रशासन की कोविड हेल्पलाइन पर फोन कर कंट्रोल रूम से मदद मांगने वालों को मदद मिली या नहीं, अब इसकी भी पड़ताल होगी। अधिकारियों की ऑनलाइन बैठक में जिलाधिकारी डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव ने इसके निर्देश दिए हैं।
जिलाधिकारी ने कहा कि सैंपलिंग, एंबुलेंस, होम आइसोलेशन किट, बेड समेत अन्य सुविधाओं और सेवाओं के लिए जो लोग फोन कर रहे हैं, उनका फीडबैक भी लिया जाए। कुछ लोगों को फोन कर पूछा जाए कि क्या उन्हें मदद मिली या नहीं।
इसके अलावा उन्होंने होम सैंपलिंग कलेक्शन की मदद मांगने वाले मामलों की भी पड़ताल करने को कहा।
उन्होंने कहा कि यह जरूर देख लिया जाए कि संबंधित लैब का कोई कर्मचारी सैंपल लेने पहुंचा या नहीं। समय देने के बावजूद सैंपल न लेने वाली लैब के खिलाफ कार्रवाई पर जोर दिया। सीएमओ को ग्रामीण क्षेत्रों में भी सैंपलिंग में तेजी लाने और एंटीजन टेस्ट कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि चकराता, कालसी, साहिया क्षेत्र के जिन गांवों में संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। वहां बड़े स्तर पर सैंपलिंग कराई जाए।
प्रवासियों को क्वारंटीन करने की मांग
देवाल ब्लॉक सभागार में आयोजित बैठक में गांवों में आने वाले प्रवासियों को स्कूल व पंचायत घरों में क्वारंटीन करने, गांवों में मेडिकल टीम भेजने और होम आइसोलेशन का सख्ती से पालन कराने की मांग की गई। ग्राम प्रधानों ने कहा कि कई गांव में ग्रामीण बुखार से भी पीड़ित हैं। प्रवासी गांवों में पहुंच रहे हैं लेकिन वह क्वारंटीन नहीं हो रहे हैं जिससे गांवों में संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ गई है।
इस दौरान गांवों में कोविड सेंटर बनाने, जिन लोगों के पास होम आइसोलेशन की व्यवस्था नहीं है उन्हें संस्थागत क्वारंटीन करने, हर पॉजिटिव को क्वारंटीन करने, 20 मई तक हर गांव में खाद्य आपूर्ति करने, कोविड में आशा कार्यकर्ता, ग्राम प्रहरी व आंगनबाड़ी को जिम्मेदारी देने पर चर्चा हुई।
टिहरी: मिश्रवाण और नेल्डा गांव कंटेंनमेंट में शामिल
कोरोना संक्रमण अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी तेजी से पांव पसार रहा है। मिश्रवाण गांव और नेल्डा गांव को जिला प्रशासन ने कंटेनमेंट जोन घोषित किया है।
पुरोला में 82 कोरोना पॉजिटिव मिलने पर पांच कटेनमेंट जोन बने पुरोला में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। बुधवार को एक साथ 84 लोगों की कोविड जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर स्थानीय प्रशासन ने यहां पांच कंटेनमेंट एवं एक माइक्रो कंटेनमेंट जोन घोषित कर आवाजाही प्रतिबंधित कर दी है।
बुधवार को ब्लाक के सौंदाड़ी गांव में 23, पोरा में 29, मोल्टाड़ी में 18, ढकाणा में 4, छानिका में 5 एवं नगर के वार्ड नंबर तीन में 5 लोगों की कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई, जिसके बाद स्थानीय प्रशासन ने उक्त इलाकों के सभी मार्ग सील कर इन गांवों को कंटेनमेंट जोन व पुरोला नगर के वार्ड नंबर तीन जल संस्थान कार्यालय के समीप वाले क्षेत्र को माइक्रो कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया है।
चिन्यालीसौड़ का वार्ड तीन कंटेनमेंट जोन घोषित
ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण के मामलों के बाद नगर पालिका क्षेत्र में भी संक्रमण के मामले सामने आए हैं। वार्ड नंबर तीन सूलीढांग में 36 लोगों की कोविड जांच रिपोर्ट पॉजिटिव मिलने पर वार्ड को कंटेनमेंट जोन बना दिया गया है।
कर्णप्रयाग: ‘कोरोना की चेन तोड़ने के लिए लॉकडाउन जरूरी’
कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामलों से नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में लोग सहमे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार ने कोरोना संक्रमण को लेकर जो गाइडलाइन जारी की है वह पर्याप्त नहीं है। संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए कठोर कदम उठाने की जरूरत है और इसके लिए लॉकडाउन लगाना जरूरी है।
सामाजिक कार्यकर्ता हरिकृष्ण भट्ट का कहना है कि सरकार को तुरंत लॉकडाउन लगा देना चाहिए और गांवों में स्वास्थ्य विभाग की टीम, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भेजकर टीकाकरण अभियान चलाना चाहिए। पूर्व प्रमुख और तोप गांव निवासी राजेंद्र सगोई ने कहा कि लॉकडाउन में देरी नहीं होनी चाहिए।
सरकार ने पहली लहर में खूब सख्ती की, लेकिन इस बार सब भगवान भरोसे छोड़ा है। कहा कि गांवों में टीकाकरण अभियान जल्द शुरू होना चाहिए। व्यापार संघ अध्यक्ष बृजेश बिष्ट और महामंत्री उमेश खंडूड़ी ने भी नगरों व गांवों में घर-घर जाकर टीकाकरण करने पर जोर दिया।
गोपेश्वर : गांवों में स्वास्थ्य विभाग की टीम भेजने की मांग
भाजपा जिलाध्यक्ष रघुवीर सिंह बिष्ट ने दशोली, जोशीमठ और पोखरी ब्लाक के गांव-गांव में वायरल से पीड़ित ग्रामीणों के स्वास्थ्य की जांच की मांग की। उन्होंने इस संबंध में डीएम को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि दशोली में मैठाणा, दुर्मी, पगना, पाणा, ईराणी, गौंणा, धारकुमाला, रोपा, टेढ़ा, खंसाल आदि गांवों में कई ग्रामीण बुखार से पीड़ित हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम को प्रभावित गांवों में भेजकर पीड़ितों के स्वास्थ्य की जांच कर उन्हें निशुल्क दवाइयों का वितरण किया जाए।