उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में बड़े हर्षोउल्लास से मनाई गई छोटी दिवाली बग्वाल, “गै पिनी पूजा”,,
यमकेश्वर/ जोशीमठ-: गढ़वाल हिमालयी क्षेत्रों के पहाड़ी गाँवों में आज नरक चतुर्दशी और छोटी दीवाली है,और पशु धन को समर्पित पर्व “गै पिनी पूजा” पर्व बड़े ही धूम धाम पूर्वक मनाया गया, पहाड़ों में आज छोटी दीपावली पर्व के साथ हर हर घर में पशु धन गौ वंश की विशेष पूजा की जाती है।
एक तरफ जँहा शहरों में ऑफिस खुले हुए है, बाजार में खूब रौनक है। वंही उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में पारम्परिक रूप में धूमधाम से बग्वाल मनाई गई। यमकेश्वर क्षेत्र में कई गाँवो में दोपहर में गायों को बग्वाल देने कि खबर है ।
कुछ ग्रामीणों ने कल रात को बग्वाल तैयार कर ली थी कुछ ने आज सुबह किया। सुबह मंडुवे के आटे को पानी मे पकाकर उसके पेड़े बनाये, साथ ही झंगोरा, चावल और जौ के आटे के पेड़े बनाए, उन्हें टोकरी में रखकर जंगल से अलग अलग प्रकार के फूल एवं गेंदे के फूल से सजाई गई। उसके बाद टोकरी में सजाई गई बग्वाल की धूप दीप नैवैद्य से पूजा अर्चना करके सपरिवार व्रत लेकर गौ वंश को जिमाया गया। गौ वंश को जिमाने से पहले उनकी पूजा की गई, बैलों को पकौड़ी खिलाई गई, सबके सींगों पर कड़वा तेल लगाया गया, उसके बाद सभी गौ वंश को बग्वाल दी गई। आखिर में घी प्रज्वलित कर उन्हें वासना दी गई। सभी वासियों एवं प्रवासियों द्वारा हर्षोल्लास के साथ गांव में बग्वाल मनाई।
उसके बाद घरों में लोभिया के स्वाल औऱ सूंठ की पकौड़ी बनायी गई कुछ लोग शाम को स्वाल बनाकर घी के साथ खायें जायेगे। आज भी ग्रामीण आंचलों में बग्वाल मनाने की परंपरा कायम है, क्योकि गौ वंश को वर्ष भर से इस त्यौहार का इतंजार रहता है।
जोशीमठ चमोली गढ़वाल में भी धूमधाम से मनाई गई बग्वाल “गै पिनी पूजा”
सुबह से ही सीमांत जोशीमठ प्रखण्ड के डाँडो, नोग, सुनील, बड़ागाँव, मेरग, ढाक, तपोवन, रिंगी,शुभाई, सहित पांडुकेश्वर, पुलना, पटूडि, लामबगड, बामणि गाँव, आदि जगहों पर ग्रामीणों ने सुबह सबसे पहले पूरी, स्वाला, पकौड़ी के साथ मोटे पोस्टिक अनाज का प्रसाद बनाकर अपने गौशालों में अपने गौ वंशों की पूजा अर्चना कर उन्हें सभी व्यंजनों का भोग लगा कर उनसे आशीर्वाद लिया,ये पुजायें अब गोवर्धन पूजा तक जारी रहेंगी।