काॅलेज टाइम बनाम हाॅस्टल रूमानियत। (संस्मरण) सौजन्य नीरज नैथानी
काॅलेज टाइम बनाम हाॅस्टल रूमानियत
College Time vs. Hostel Romantic. (Remembrance) Courtesy Neeraj Nathani
वो कल अचानक दिख गय्य्या।अब्बे तू!तू कहां से आ रा है ब्बे।कैस्सा है,क्या कर रा है।चल कण्डारी टी स्टाल में बैठकर गपियाते हैं।फिर उससे लम्बी चौड़ी बात हुयी,चाय की चुस्कियों के साथ।अब्बे यार क्या दिन थे,नाऊ दोज गोल्डेन डेज हैव गान।ओह माई गाड दोज स्वीट डेज,विल दे कम बैक अगेन।ओह नो, नेवर।अब्बे वो कहां है आजकल?अरे वो पढ़ाकू होली में भी गांव नहीं जाता था हास्टल के कमरे में कैद रखता था खुद को,अच्छा वो बुक इन्सेक्ट।वो सुना है बाबू है किसी दफतर में।और वो, वो नहीं था लड़ाकू,जरा सी बात पर हाकी डण्डा लेकर लड़ने झगड़ने चल देता था।हां,याद आया वो वो गुस्सैल,झगड़ालू वो तो बहुत बड़ा गोर्वमेण्ट काण्ट्रेक्टर बन गया करोड़ों कूट रहा है।और वो साइंस स्टूडेंट सारा दिन लैब में गुजारने वाला,वो वो तो किसी इन्टीट्यूट में सीनिअर साइन्टिस्ट है बल।और वो कंहा होगा मजनू।लम्बे बाल,चौड़ी मोरी का बेलबाटम,बक्कल वाली बेल्ट,काला चश्मा अच्छा वो हीरो,वो तो,,,,,,,बाद में उसने जर्नलिज्म किया,पत्रकार है किसी समाचार समूह में खूब चलती है उसकी।और उसके साथ का दूसरा जोड़ीदार ,लम्बरदार वो ,वो तो यार ,वो तो,वो तो माननीय बन गया,अच्छा माननीय।सिर्फ माननीय नहीं अति सम्मानीय यार।और वो सीधा सा कम बोलने वाला। तू उसकी बात कर रहा है वह तो प्रोफेसर हो गया।एक वो पढ़ती थी उधर से आती थी अक्सर।अरे अभी परसों ही मिली बाजार में।समय के साथ उमर ढलने लगी है हम सभी की,उसकी भी।लेकिन खुबसूरती की ठसक बाकी है अभी तक।और वो जिसके पीछे तेरा रूम पार्टनर दीवाना था,वो ,उसकी शादी किसी एन आर आई से हो गयी थी।अच्छा वो कहां होगी वो बात बात पर जुल्फें झटकने वाली,अरे वो ,वो अब सभ्रान्त परिवार की सम्मानित कुलवधू है।अच्छा वो बड़ी तेज तर्रार सी वो कहां ब्याही किसकी फूटी किस्मत?अबे वो अब बहुत बड़ी हस्ती है,कुछ ऐसा वैसा ना बोल देना किसी के सामने।अबे एक दिन वो टकरा गयी अचानक,पूछने लगी कैसे हैं आप कहना तो चाह रहा था कि किसी लायक नहीं रखा आपने,पर जज्बात फिर दबा गया पहले की तरह बड़ी शालीनता से उत्तर दिया सपरिवार ठीक हूं आप सुनाइये।वो बोली जी मैं भी ठीक हूं।अबे जब तक वो मुझसे बात करती रही चूमड़ उसका हस्बैण्ड स्कैनर की तरह मेरा चेहरा सर्वेलाइन्स में रखे रहा।घर जाकर अच्छी खासी डांट खायी होगी।साला शक्की किस्म का लग रहा था।अबे बालबच्चेदार हो गया पर फण्टूस बाजी अभी भी नहीं छोड़ी तूने।चल छोड़ ये बता ,वो हकला क्या कर रहा है? अबे हकले के बच्चे उसके ठाट बाट देखकर तू हकलाने लगेगा।बहुत बड़ी शानदार कोठी,महंगी कार,आलीशान लाइफ स्टाइल।अच्छा वो तो साधारण से घर से ही था फिर अचानक ये पैसौं की अंधाधुंध बारिश।यही तो कोई नहीं जानता कि आखिर वो काम क्या करता है?मे बी व्हाइट कलर जाब।भगवान जाने।यार कई बार बहुत सारे दोस्तों ने बिना बात के पेपर वाकाऊट किया।प्रोफेसर से भिड़ने गए।वी सी के खिलाफ नारे लगाए।कल्चर नाइट में हुड़दंग मचाया,इलैक्शन में ना जाने कितने दांव पेंच चलाए खा-बा चलाया,पौड़ी टिहरी,चमोली चलाया,देशी पहाड़ी चलाया,लोकल बाहरी चलाया,दादागिरी चलायी,हास्टल वर्सेज कैम्पस चलाया,आर्ट्स वर्सेज साइन्स चलाया,कामर्स चलाया,।अच्छा छोड़ यार ये सब।ये बता वो,,,अबे टाइम हो गया मेरी गाड़ी का सुन ये मेरा कार्ड रख काल करना।बाकी बातें फोन पे ।और वो लप्पक लिया अपनी गाड़ी की ओर।नीरज नैथानी
जीवन परिचय
नाम- नीरज नैथानी
जन्म तिथि-१५जून१९६१शैक्षणिक योग्यता-बी०एस सी०,बी०एड०,एम०ए०(अंग्रेजी,समाज शास्त्र एवं इतिहास), पर्यटन पी०जी०डिप्लोमा
लेखन- कविता,कहानी, लघुकथा, यात्रा संस्मरण, व्यंग्य,नाटक,आलेख, निबंध आदि
प्रकाशन-
पांच पुस्तकें प्रकाशित
डोंगी(लघु कथा संग्रह), हिमालय पर पर(पथारोहण संस्मरण),लंदन से लैस्टर(यात्रा संस्मरण),हिम प्रभा(काव्य संग्रह), विविधा (व्यंग्य संग्रह)
प्रकाशनाधीन
थाई लैंड से लौटकर(यात्रा संस्मरण) संयुक्त अरब अमीरात में सात दिन(यात्रा संस्मरण), हिमालय से हिमालय तक(यात्रा संस्मरण)
पटना से पोर्ट ब्लेअर(यात्रा संस्मरण)
सुनहरे सात दिन सिंगापुर व कुलालम्पुर के(यात्रा संस्मरण)
पटना से पोर्ट ब्लेयर तक (यात्रा संस्मरण)
आकाशवाणी केंद्रों व विभिन्न टेलीविजन चैनलों,,(पटना,दिल्ली,देहरादून,गाजियाबाद,नजीबाबाद,पौड़ी,पोर्ट ब्लेअर) से कविता,आलेख एवं वार्ता प्रसारण।
दूरदर्शन, राष्ट्रीय सहारा, सुदर्शन, दैनिक हिंट आदि पर काव्य पाठ
लालकिले पर हिंदी अकादमी दिल्ली द्वारा आयोजित कवि सम्मेलनों में अनेक बार काव्य पाठविदेश यात्राएं-मारीशस, लंदन, संयुक्त अरब अमीरात (दुबई, शारजाह,अजमान, आबूधाबी,फुजीरोह), थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, नेपाल, भूटान, बहरीन,मस्कट आदिसम्मान/पुरस्कार/उपाधि
भारत के राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार,पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार, हिन्दी भूषण, हिन्दी साहित्य सेवी, विद्या वाचस्पति, शैलेश मटियानी राज्य शिक्षक पुरस्कार, हिन्दी गौरव आदि
सम्प्रति-प्रधानाध्यापक
राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
उत्तराखंड
पत्रालय-निकट चौरास पुल
बद्रीनाथ मार्ग
श्रीनगर गढ़वाल
उत्तराखंड
पिन-२४६१७४
ईमेल-neerajnaithani31@gmail com
ध्वनि संपर्क-९०१२९४५३३२/९४१२९४९८९४