Post Views: 0
देहरादून:-आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष फैयाज अहमद अल्वी ने कहा कि दूरी है न खाई है, मोदी हमारा भाई है। उन्होंने कहा कि मोदी और धामी सरकार में सभी योजनाओं का लाभ सभी को बराबर मिल रहा है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष मोदी सेना संगठन फैयाज अहमद अल्वी ने कहा देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना जाति, धर्म का भेदभाव किए सभी का समग्र विकास किया है और भारतवर्ष को 2047 तक विश्व गुरु बनाने का संकल्प लिया है जिसे पूरा करने हम सबको एकजुटता के साथ उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीट पर सभी प्रत्याशियों को विजयी बनाकर नरेन्द्र मोदी को पुनः प्रधानमंत्री बनाना है।
जानें कौन हैं पसमांदा मुस्लिम, जिनका नाम लेकर पीएम मोदी ने मंच से कहा- ‘इन्हें नहीं मिला न्याय’
फैयाज अजमद अल्वी ने कहा कि पसमांदा मुसलमानों का जिक्र पीएम मोदी ने पहली बार नहीं किया है। इससे पहले भी वे भाजपा की कई बैठकों और कार्यक्रम में पसमांदा मुसलमानों का जिक्र कर उन्हें भाजपा से जोडऩे की बात कर चुके हैं। वहीं सबसे पहले उन्होंने पसमांदा मुसलमानों को पार्टी से जोडऩे पर जोर तब दिया था जब वे गुजरात के सीएम थे। इसका उन्हें फायदा भी मिला था।
वहीं पीएम बनने के बाद भी वे बीजेपी को बोहरा और पसमांदा मुसलमान को एक साथ लाने की बात लगातार कर रहे हैं। अब खासतौर पर आम चुनाव 2024 पर वे बीजेपी को इन मुसलमानों को एक साथ लाने की बात आए दिन करते हैं। लेकिन अब सवाल यह है कि कौन हैं ये पसमांदा मुसलमान? और पीएम इन्हें बीजेपी से जोडऩे की बात पर क्यों जोर देते हैं? अगर आपके जेहन में भी यही सवाल है तो इस न्यूज को ध्यान से पढ़ें आपको यहां आपके हर सवाल का जवाब जरूर मिलेगा…
जानें कौन हैं पसमांदा मुस्लिम
दरअसल मुस्लिमों का एक ऐसा वर्ग है़ जो पिछड़ा या कमजोर माना जाता है। यही वर्ग पसमांदा मुस्लिम कहलाता है। देश में मुसलमानों की कुल आबादी के 85 फीसदी को पसमांदा कहा जाता है। यानी वो मुस्लिम जो दबे हुए हैं, इनमें दलित और बैकवर्ड मुस्लिम आते हैं। हिंदुओं की तरह भारतीय मुस्लिमों में भी जातीय व्यवस्था है। मुस्लिमों के उच्च वर्ग या सवर्ण को अशरफ कहते हैं, लेकिन इसके अलावा ओबीसी और दलित मुस्लिम हैं, उन्हें पसमांदा कहा जाता है। पसमांदा मूल तौर पर फारसी का शब्द है, जिसका मतलब होता है, वो लोग जो सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं। जबकि 15 प्रतिशत में सैयद, शेख, पठान जैसे उच्च जाति के मुसलमान हैं। अगड़े मुसलमान सामाजिक और आर्थिक तौर पर ये मजबूत हैं और सभी सियासी दलों में इन्हीं का वर्चस्व रहा है जबकि, पसमांदा समाज सियासी तौर पर हाशिए पर ही रहा है। पीएम मोदी इन्हीं मुसलमानों को पार्टी से जोडऩे के लिए बार-बार जोर दे रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि पूरे मुसलमानों के बजाय इन्हें जोडऩा आसान है। पसमांदा मुस्लिमों को सरकार की जनकल्याणा योजनाओं का लाभ देकर आसानी से पार्टी के करीब लाया जा सकता है।
देखे वीडियो
कई जातियों में बंटा है पसमांदा मुस्लिम समुदाय
मुसलमानों के ओबीसी तबके को पसमांदा मुस्लिम कहा जाता है। इनमें कुंजड़े (राईन), जुलाहे (अंसारी), धुनिया (मंसूरी), कसाई चिकवा, कस्साब (कुरैशी), फकीर (अलवी), नाई (सलमानी), मेहतर (हलालखोर), ग्वाला (घोसी), धोबी, गद्दी, लोहार-बढ़ई (सैफी), मनिहार (सिद्दीकी), दर्जी (इदरीसी), वन-गुज्जर, गुर्जर, बंजारा, मेवाती, गद्दी, मलिक गाढ़े, जाट, अलवी, जैसी जातियां आती हैं। इस तरह से पसमांदा मुस्लिम तमाम जातियों में बंटा हुआ है। पीएम मोदी इन्हीं पसमांदा मुस्लिमों को बीजेपी से जोडऩे पर बार-बार जोर दे रहे हैं।
बीजेपी कैसे जोड़ रही है पसमांदा मुस्लिम समुदाय को
बीजेपी के वरिष्ठ नेता बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुसलमानों के उस तबके को समाजिक तौर पर उठाने की बात कर रहे हैं, जो सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं। बीजेपी सरकार द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पसमांदा मुस्लिमों को दिया जा रहा है। पसमांदा समाज के साथ पहली बार किसी सरकार या पार्टी ने इस तरह से संवाद करने के लिए कहा है। पीएम मोदी की इस पहल को पसमांदा मुस्लिम अपनी राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक भागीदारी बढ़ाने के लिहाज से देखें, क्योंकि तीनों ही क्षेत्र में यह पिछड़े हुए हैं।