देहरादून पुलिस का नाम आज देश की उन पुलिस टीमों में शामिल किया जाता है जो अपनी काबिलियत और अथक मेहनत के दम पर अपराधी कोई भी हो और कितना भी दूर हो उन्हें पकड़ने में कामयाबी हासिल करते है। दून पुलिस को इस अभिमान और उपलब्धि दिलवाने के पीछे जिस सुदृढ़ सोच,काबिल नेतृत्व व ‘टफ फाइटिंग स्पिरिट’ की भूमिका रही उसका आधार बने पूर्व दून एसएसपी डीआईजी अरुण मोहन जोशी।
3 अगस्त 2019 को देहरादून एसएसपी का कार्यभार संभालते ही उनके सामने कार्यभार व कई सामाजिक समस्याओं की चुनौती थी,पर कहते है जिसे अपनी काबिलियत पर भरोसा होता है वह मुश्किल चुनौतियों से पार पाने का हर रास्ता निकाल लेता है। ऐसे ही इरादे के साथ बतौर एसएसपी देहरादून उन्होंने दून पुलिस की चुनौतियों को स्वीकार किया। *बतौर एसएसपी दून पुलिस का कार्य संभालने में उनके द्वारा जिस युवा सोच, बेहतरीन नेतृत्व क्षमता, काबिलियत का उदहारण पेश किया गया उससे न सिर्फ आम जनता के बीच दून पुलिस के लिए भरोसा जागा बल्कि जनपद पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा भी उनके कार्य दक्षता को आड़े हाथों लिया गया।*
उनके द्वारा अपने काबिल नेतृत्व क्षमता में समस्त दून पुलिस के अपने अधीनस्थ अधिकारियों से लेकर हर एक कर्मी को प्रेरणा दी जिसकी बदौलत यह कहना अतिशियोक्ति न होगी कि दून पुलिस के कार्य करने के तरीकों में युवा सोच का प्रभाव दिखाई देने लगा। एसएसपी रैंक के कुछ ही महीनों के भीतर डीआईजी के पद पर पदोनियुक्ति के उपरांत भी उनकी बेहतरीन पारी के चलते ही उनको ही एसएसपी देहरादून के पद पर यथावत रखा गया।उनके द्वारा जितना पुलिस के कार्यशैली में बदलाव और तेज़ी लाने के लिए कार्यालय के भीतर कार्य करने को लेकर अपने कार्यालय से लेकर थाना पुलिस टीम को निर्देशित किया गया उतना ही उनके द्वारा सड़क व्यवस्था और पब्लिक डीलिंग में सीधे तौर पर जुड़े पुलिस अधिकारियों व कर्मियों को तैयार किया गया। उनके काबिल नेतृत्व में व एएसपी सिटी श्वेता चौबे,एएसपी ग्रामीण प्रमेन्द्र डोभाल,एसपी ट्रैफिक प्रकाश चंद आर्य, एसपी क्राईम लोकजीत सिंह सहित क्षेत्राधिकारी पल्लवी,शेखर सुयाल,अनुज कुमार,विवेक,नरेंद्र पंत जैसे बेहतरीन व काबिल पुलिस अधिकारियों की टीम की बदौलत पुलिस कार्यशैली का नया ‘बेंच मार्क’ सेट किया। उनके द्वारा पूरे दिन का कोई ऐसा समय शायद ही हो जब उनके द्वारा अपनी पुलिस टीम के कार्यों में ढिलाई का संज्ञान न लिया गया हो। आम जनता की सुरक्षा व आम जनता के बीच पुलिस को लिए भरोसा बनाये रखने की यह उनकी कोशिश ही थी कि उनके द्वारा दिन हो या रात किसी भी वक़्त फील्ड में उतर अपनी पुलिस टीम की ड्यूटी करने के तरीके पर स्वयं नज़र रखी जाती रही। उनके द्वारा ढिलाई पर अपने अधिनस्थों को लताड़ा गया तो उनके कार्यों के लिए उन्हें सराहा भी।
थाना नेहरुकोलोनी का कामना मर्डर केस हो या थाना राजपुर का चर्चित व हाई प्रोफाइल ईश्वरन निवास लूट केस उन्होंने यह सभी मामलों को अपनी काबिलियत व पुलिस टीम के अथक प्रयासों के बदौलत सभी अभियुक्तों को उनके अंजाम तक पहुँचाया। ईश्वरन निवास लूट मामला इन सबमे एक ऐसा मामला रहा जिसमे उनकी टीम एसपी सिटी,एसओजी व अन्य थाना टीम द्वारा 14 माह का समय के भीतर सभी शातिर 9 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया जिसमे नौवां अभियुक्त उनके द्वारा पुलिस कप्तान के तौर पर आखिरी गिरफ्तार किया हुआ अभियुक्त रहा।उनके द्वारा बतौर पुलिस कप्तान अपनी पुलिस टीम को हर छोटे बड़े मामलों पर बराबर तवज्जो व कार्यवाही करने के तैयार किया गया। उनकी बदौलत पुलिस टीम में नया जोश व काबिलियत निखरी और बतौर पुलिस सभी आपराधिक मामलों के खुलासों पर सबके हौसले बुलंद हुए।
*प्रेमनगर सर्राफा लूट कांड हो या पटेलनगर सर्राफा,डबल उनके द्वारा इन दोनों मामलों के अभियुक्तों के अपराध के कदमों का लंबी दूरी तक पीछा कर उन्हें दूसरे राज्यों से गिरफ्तार किया गया।आज देहरादून पुलिस में शायद ही कोई आपराधिक मामला ऐसा हो जिसका खुलासा न हुआ हो। दून पुलिस के इन इरादों व काबिलियत का ही यह इनाम रहा कि आज दून पुलिस देश की काबिल, अनुशाषित,कर्मठ व मेहनती पुलिस टीम में गिनी जाती है।*
जिसकी बदौलत देश के अन्य राज्यों द्वारा दून पुलिस की कार्यशैली व योजना के तरीकों को अपने यहां भी शामिल करने की पहल की थी।यह डीआईजी की काबिलियत रही कि हरिद्वार में एक मर्डर केस में दून पुलिस की मदद ली गयी।
कोरोना काल डीआईजी अरुण मोहन जोशी के कार्यकाल में वह एक अवसर रहा है जहां न सिर्फ देहरादून बल्कि सम्पूर्ण देश मे दून पुलिस की जो संवेदनशील व कोरोना वारियर की जो छवि बनी वह दून पुलिस के इतिहास में अमिट बन गयी है।कोरोना काल में दून पुलिस द्वारा आम जनता की सुरक्षा के प्रति अभेद सुरक्षा चक्र,व्यवस्थित प्रशासन व्यवस्था,जनमानस सुविधा व जनसंपर्क हेतु बेहतरीन व्यवस्था का उदहारण सबके समक्ष पेश किया। कोरोना के चले लॉकडाउन में दून पुलिस द्वारा न सिर्फ शहर सुरक्षा व्यवस्था को बेहतरीन व अनुशाषित तरीके से संभाला गया बल्कि पुलिस टीम द्वारा आम जनता की सुविधा के लिए घर घर जाकर दवाई,भोजन आदि व्यवस्थाओं के इंतजामात की कोशिश की जो तस्वीरें सबके सम्मुख आयी वह निसंदेह अविस्मरणीय रही। दून पुलिस की कोरोना काल की कार्ययोजना से राज्य सरकार इतना प्रभावित रही कि राज्य सरकार द्वारा अन्य जनपदों में भी दून पुलिस के तरीकों को अपनाने को सुझाया गया था। इस काल का सबसे बेहतरीन क्षण वह भी रहा जिनमे डीआईजी के पुलिस अधिकारियो द्वारा ग्राउंड जीरो लेवल पर हर पहर,हर मौसम व विकट परिस्थितियों में कर्मियों के साथ फ्रंटफुट पर खड़े होकर कोरोना पर विजय पाई गई।
डीआईजी के संवेदनशीलता का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उन्होंने जहां चक्कूमोहल्ले में बरसात में गिरे एक घर मे रेस्क्यू ऑपरेशन में स्वयं घटनास्थल पर रहकर रेस्क्यू ऑपरेशन कि गतिविधि यों पर नज़र रखी बल्कि रात में व ठंड के मौसम में आम जनता की सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों की सहूलियत को उनकी ड्यूटी टाइम में बदलाव व चाय नाश्ते के इंतज़ाम भी किये गए वहीं कोरोना काल मे अपनी पुलिस टीम की सुरक्षा को फेस शील्ड से लेकर स्वास्थ्य परीक्षण की जिम्मेदारियों को निभाने के चलते उन्हें अपनी टीम के बीच लोकप्रिय भी बनाया।
उनकी काबिलियत का यह यहीं नही थमा,जब ऑपेरशन सत्य के माध्यम से उन्होंने दून के कई युवाओं को नशे की लत से बाहर निकाला जिसपर न सिर्फ उन युवाओं के अभिभावकों द्वारा पुलिस की इन पहल की सराहना की गई बल्कि स्वयं उन युवाओं द्वारा पुलिस की काउन्सलिंग का स्वागत कर स्वयं से नशे को त्यागने की पहल में भागीदार बना गया। जो दून पुलिस व उनकी उपलब्धियों में शामिल हुए।
*हमारे उत्तराखंड पुलिस की तीन आधार मित्रता, सेवा व सुरक्षा के आधार को सुदृढ़ व सफल बनाने में अरुण मोहन जोशी टीम द्वारा जिस संवेदनशीलता और काबिलियत से कार्य किया गया उसकी बदौलत दून पुलिस के कार्यों को अन्य राज्यों में सराहना भी मिली।*
लगभग साढ़े 15 महीने के डीआईजी अरुण मोहन जोशी के कार्यकाल को देखे तो उसे दून पुलिस का सबसे बेहतरीन काल व स्वर्णिम काल कहा जा सकता है। आज की देहरादून पुलिस की बुलंद व शशक्त भूमिका में डीआईजी अरुण मोहन जोशी की युवा सोच,जीतने की ललक,और बेहतरीन कार्ययोजना का सबसे बड़ा योगदान रहा जिन्होंने दून पुलिस में दूरदर्शिता,स्पष्टता व संवेदनशीलता को शामिल कार्य करने को प्रतिबद्ध किया व हर कदम अपने कार्यों से अपने कर्मियों व अधीनस्थों के लिए प्रेरणा बने।