हल्द्वानी / देहरादून : इंदिरा ह्रदयेश हम सबके बीच नही हैं और कांग्रेस की राजनीति में एक बड़ा शून्य उनके जाने से हो गया है तो हरीश रावत ने इंदिरा ह्रदयेश को याद करते हुए एक बड़ा भावुक फ़ेसबुक पोस्ट लिखा है देखिये हरदा ने लिखा क्या ।
डाॅ. इन्दिरा हृदयेश जी उत्तराखण्ड में कांग्रेस की एक बड़ी नेता और विधानमण्डल में प्रतिपक्ष की नेता थी। श्रीमती हृदयेश सबको सदमे में छोड़कर उस दिशा की ओर चली गई जहां से केवल स्मृतियां/यादें शेष रह जाती हैं। परिदंत कथाओं की नायका की तरह उन्होंने अपने लम्बे सार्वजनिक जीवन में न केवल पद प्राप्त किये बल्कि प्रत्येक पद को अपनी प्रतिभा व जीवटता से शोभायमान किया। दिनांक-12 जून, 2021 को 1 बजे, हम सब लोग राज्य के प्रभारी श्री देवेन्द्र यादव जी के घर पर बैठकर 2022 के लिये कांग्रेस की सत्ता वापसी के लिये जनसंघर्ष का खाका तैयार कर रहे थे, इंदिरा हृदयेश जी बहुत उत्साहित थी।
हमने खटीमा के शहीद स्थल से मसूरी तक परिवर्तन यात्रा के प्रथम चरण का कार्यक्रम बनाया तो इन्दिरा हृदयेश जी हम सबका उत्साह बढ़ाते हुये सलाह दे रही थी कि सबको पूरी ताकत से इस यात्रा में जुड़ना पड़ेगा। देवेन्द्र यादव जी के आतिथ्य में जब मैंने उनको रोटी परोसी तो इन्दिरा जी ने बहुत हंसते हुये कहा कि भैया रोटी ही क्यों कभी कुछ और भी परोसा करो। मैं भी उनके इस हास्य-परिहास में मुदित भाव से चुप रह गया। बैठक के बाद पत्रकार मित्रों ने श्री देवेन्द्र यादव जी से पूछा कि क्या आप चुनाव सामुहिक नेतृत्व में लड़ेंगे या चेहरा घोषित करेंगे? श्री देवेन्द्र यादव ने जो आज तक स्थिति है, उसी का उल्लेख किया।
मगर इन्दिरा जी तो इन्दिरा जी थी, वे सामुहिक नेतृत्व का झंडा लेकर निकल पड़ी और पत्रकारों को अपनी ओर से बता दिया कि हमने बैठक में यह निर्णय लिया है। बाद में पत्रकारों ने जब मुझसे पूछा तो मैंने हंसते हुये कहा कि इंदिरा हृदयेश जिन्दाबाद और साथ ही पत्रकारों को स्मरण कराया कि अशोक चौहान समिति ने असम व केरल में चुनावी हार का कारण राज्य स्तर पर नेतृत्व को लेकर असमंजस एक बड़ा कारण रहा है। उस समय मुझे मालूम नहीं था कि अंतिम बार इंदिरा हृदयेश जिन्दाबाद कह रहा हॅू। दूसरे दिन मध्यान के वक्त खबर मिली कि इंदिरा हृदयेश जी नहीं रही, समाचार पर सहसा विश्वास नहीं हुआ। मैं भागा-2 उत्तराखण्ड सदन पहुंचा। इंदिरा जी पलंग पर इतने शान्त भाव से लेटी हुई थी कि लगता ही नहीं था कि वो स्वर्गवासी हो गई हैं।
मेरी वर्षों पहले स्व. गोविन्द सिंह माहरा जी के आवास पर इन्दिरा हृदयेश जी से मुलाकात हुई थी, उनके साथ श्री ओमप्रकाश शर्मा जो उस समय शिक्षकों के प्रान्तीय नेता थे, वो भी बैठे हुये थे। गोविन्द सिंह माहरा जी उस समय विधायक थे और इन्दिरा जी अपने चुनाव के सिलसिले में आयी थी और गोविन्द सिंह माहरा जी ने अपने क्षेत्र के ब्लाॅक प्रमुखों को बुलाया था कि हम लोग भी इन्दिरा जी के साथ खड़ें हों और उस दिन के बाद मैं हमेशा इन्दिरा जी का कार्यकर्ता रहा। जब वो दूसरा चुनाव लड़ी तो उनको उस समय एक चुनौती मिल गई थी।