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बालिका दिवस ! बेटियों को अपनी पढ़ाई-लिखाई में खुद पर विश्वास न डगमगाने दें (S P NAUTIYAL)

 

S P NAUTIYAL

 

सविनय निवेदन है कि सबसे पहले उन युगहष्टा श्रद्धेय श्री नरेंद्र दामोदर मोदी जी को सादर प्रणाम जिनके आशीर्वाद, प्रेरणा से आज श्रीराममंदिर का भव्य अभिषेक एवं मूर्ती प्राण प्रतिष्ठा का रामकाज संपन्न हो रहा है व उसके बाद भगवान श्रीराम की मर्यादा को प्रणाम महोदय, आज के दिन के लिए सोचा की कुछ अच्छा लिखकर आपकी सेवामें प्रेषित करूँ अतः भारत की बेटियों के लिए निवेदन कर रहा हूँ जिससे उनको पढ़ाई, निर्णय लेने, कौशल विकास व स्वालंबन के लिए पर्याप्त अवसर मिल सके जिसके लिए निम्न निवेदन आपकी सेवामें सादर प्रेषित है-

1. बेटियों की न्यूनतम विवाह योग्य आयु 21 वर्ष महोदय, इस परिप्रेक्ष्य में निवेदन है की सरकार ने महिलाओं की विवाह की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के लिए 21/12/2021 को संसद में The Prohibition of Child Marriage (Amendment) Bill 2021 विधेयक पेश किया है, विधेयक जांच के लिए Department related Parliamentary Standing Committee on Education, Women, Children, Youth and Sports को भेजा गया है। इस विधेयक के क्रम में मेरे द्वारा सरकार से द जैसे मेडिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन कम उम्र में विवाह होने से बेटियों में बढ़ रहा अवसाद व केटीय मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान महोदय द्वारा ग्रामीण भारत में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति-2023 के रिपोर्ट के अनुसार 78 फीसदी ग्रामीण माता-पिता की चाह बिटिया
स्नातक करें की रिपोर्ट का अध्ययन करने/विचार करने के लिए भारत सरकार की प्राधिकारियों से निवेदन किया है।

महोदय से निवेदन है की दो साल से अधिक समय व्यतीत हो गया पर अभी तक समिति के समक्ष जांच हेतु पेंडिंग है जबकि उक्त दोनों रिपोर्ट निश्चित रूप से बेटियों की न्यूनतम विवाह योग्य आयु बढ़ाने की लिए भी काफी उपयुक्त है। महोदय आपकी जानकारी में होगा ही की हिमाचल प्रदेश के मंत्रिमंडल ने इस वर्ष लड़कियों की विवाह योग्य आयु 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है (दैनिक आगरण दिनांक 13 जनवरी 2024)|

2. बेटियों को विवाह के लिए देखने, मंगणी, रोका, सगाई आदि पर भी न्यूनतम विवाह योग्य आयु होने तक प्रतिबंध लगे जिससे वह अपनी पढाई पूरी कर सके इस विषय के परिप्रेक्ष्य में निम्न औचित्य आपकी सेवामें सादर प्रेषित

• संयुक्त राष्ट्र की स्टेट ऑफ़ पापुलेशन रिपोर्ट 2023 के अनुसार भारत में 18 वर्ष की होने तक 23 फीसदी लड़कियों की शादी कर दी गयी (अमर उजाला दिनांक 20 अप्रैल 2023) इस 23% से स्पष्ट होता है की अभी तक देश में नाबालिग बेटियों की शादी का सिलसिला जारी है जबकि न्यूनतम विवाह योग्य आयु बेटियों के लिए वर्ष 1972 में 18 वर्ष विधिक रूप से नियत हो गयी थी। अभी कुछ दिन पहले उत्तराखंड सरकार ने बाल श्रम व बाल विवाह से मुक्ति को लेकर राज्यस्तरीय रिसोर्स सेंटर बनाने के लिए समिति गठित की है। समिति गठित करने का अभिप्राय है की देवभूमि उत्तराखंड में भी बाल विवाह प्रचलन में है।

• बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नीति का मुख्य ध्येय की महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक व राजनितिक रूप से सशक्त बनाना है।

• केंद्रीय मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान महोदय द्वारा ग्रामीण भारत में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति-2023 के रिपोर्ट के अनुसार “78 फीसदी ग्रामीण माता-पिता की चाह बिटिया स्नातक करें”। यह तभी संभव है जब गुणवता शिक्षा हेतु बालिकाओं के पहुँच के लिए सुधार और प्रोत्साहन, सशक्त नीतियां व कानूनों के माध्यम से नियंत्रण हो।

• माँ बाप पर सबसे बड़ी चिंता बेटी की शादी की होती है। अधिकांश ग्रामीण भारत, शहरी

परिवेश के गरीब परिवार, जिन परिवारों में बेटी की ज्यादा पढ़ाने का रिवाज न हो आदि

के माँ-बाप को लड़के वाले तभी से तंग करना शुरु कर देते हैं की जब लड़की 14-15 साल की होती है अतः प्रवी/दसवीं में पढ़ती है, लड़की की जन्मपत्री दे दो, जबान दे दी. टीका कर दो आदि ।

• देश में बेटों की तुलना में बेटियां कक्षा 12 के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखने की इच्छुक होती है वार्षिक शिक्षा रिपोर्ट -2023 (एएसईआर), दैनिक जागरण 19 जनवरी 2023

• नया शैक्षणिक और पाठ्यक्रम ढांचा कक्षा 9 से 12 तक जो 14 से 18 वर्ष की आयु में पूरा होता है इसी आयु में 23% या अधिक लड़कियों की शादी की बातचीत व शादी का दिन तय होता है जिससे उनकी पढ़ाई डिस्टर्ब होती है व कई लड़कियों की पढाई अधूरी छूट जाती है जिसके मुख्य कारण लड़के वाले नहीं चाहते उनकी होने वाली बहु आगे पढ़े या उनके बेटे से ज्यादा पढ़ी-लिखी हो, बार बार लड़के वाले (कई लोग) लड़की को देखने आना, आज लड़का देखने आ रहा, कल लड़के की माँ देखने आ रही है, परसौ लड़के की बहिन देखने आ रही है. ये सिलसिला बना रहता है जिससे ऐसे समय पर स्कूल भी नहीं जा पाती यदि लड़के के परिवार वालों को पसंद न आये तो अवसाद से ग्रसित होना। मंगणी, रोका, सगाई हो जाये तो कभी लड़के का फोन आना व कभी लड़के के सगे सम्बन्धियों का जिससे न चाहते हुये भी अपनी पढ़ाई को डिस्टर्ब करते हुये घंटी बात करना पड़ता है। मैंने ऐसे भी केस देखे हैं की बोर्ड की परीक्षा मार्च में व शादी की तारिख अप्रैल में तो वह लडकी माँ-बाप व होने वाले सास-ससुर व पति के आदेशनुसार महीनों पहले शादी की तैयारी में रहती है व परीक्षा/पढ़ाई उसके किये गौण हो जाती है। पास न होने का डर आदि। इन सबसे बेटियों का अपनी क्षमता का विश्वास उगमगा जाना स्वाभाविक है जिससे वह अपेक्षित सफलता से वंचित रह जाती है।

• कम उम्र में ही ही रहा बच्चेदानी का कैंसर-18 से 35 की युवतियां भी आ रही है चपेट में। 18 साल से पहले ही मुख्य कारण बेटियों को विवाह के लिए देखने, मंगणी, रोका, सगाई पर रोक लगे तो निश्चित रूप से इस वर्ग में कैंसर के रोगियों में कमी आयेगी।
• जब भी समान अवसर दिए जाते हैं तो हमारी बेटियां बेटों से आगे बढ़कर प्रदर्शन करती है- महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू। अतः बेटियों को भी समान अवसर दिए जायें।

नयी शिक्षा नीति 2020 ऐसे लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ती है जिससे भारत देश के किसी भी बच्चे के सीखने और आगे बढ़ने के अवसरों में उसकी जन्म या पृष्ठभूमि में सम्बंधित परिस्थितियां बाधक न बन जाये NEP प्रस्तर 6.1। पूर्व विवेचित पृष्ठभूमि के लिए बेटियों के आगे बढ़ने के अवसर पर रोक लगाने के लिए उक्त कारण अपना काम कर रहा है, नयी शिक्षा नीति के लिए गहन चिलन का विषय हैं।

. हर बेटी भी सफलता चाहती है। पीएम मोदी महोदय का दूसरा प्रण सफलता का मतलब है की चिंताओं, डर, कुंठाओं और असफलता से आज़ादी, आत्म-सम्मान व संतुष्टिा बेटियों की सफलता के लिए एक निर्धारित आयु तक बेटियों को विवाह के लिए देखने, मंगणी, रोका, सगाई पर रोक लगे तभी इस प्रष्ण का पालन इन बेटियों के लिए संभव हो सकता है।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 39 बच्चों को स्वतंत्र और गरिमामय वातावारण में स्वस्थ विकास के अवसरों को सुरक्षित करना ।

महोदय उक्त तथ्यों के आधार पर बेटियों को पढ़ने दिया जाये, कौशल में सक्षम बनने दिया जाये, अपना अच्छा-बुरा सोचने लायक बनने दिया जाये, स्वालंबी बनने दिया जाये तभी बेटियों को विवाह के लिए देखने, मंगणी, रोका, सगाई आदि की प्रक्रिया शुरु हो] इन प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने के लिए इमरजेंसी रेस्पोंस सपोर्ट सिस्टम 112 से भी जोड़ा जाये।

महोदय से विनम अनुरोध है की इस एतिहासिक वर्ष 2024 (श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा वर्ष) में उक्त दोनों सुझाव विज़न को क्रियान्वयन कराने का आशीर्वाद देश की
बेटियाँ व समाज को देंगे।

 

 

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