पिछले कुछ सालों से हार्ट अटैक के मामलों में अचानक तेजी आ गई है. आजकल 25 साल के युवा भी हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं. हार्ट अटैक साइलेंट किलर की तरह आता है तो और चुपके से इंसान की जान ले लेता है. इससे लोगों में दहशत है कि आखिर हार्ट अटैक या दिल से संबंधित बीमारियों के मामले में इतनी तेजी क्यों आ रही है. हालांकि अधिकांश मामलों में हार्ट अटैक का कारण व्यक्ति की खुद की खराब लाइफस्टाइल है लेकिन इसके लिए कई अन्य कारण भी जिम्मेदार होते हैं. अब एक नए अध्ययन में इस बात की पुष्टि की गई है कि अत्यधिक ठंड या गर्म का मौसम भी हार्ट अटैक को बढ़ावा दे रहा है. यानी मौसम की बेरहम मार हार्ट अटैक का कारण बन रही है. ठंड में ब्लड वैसल्स में संकुचन होता है जिसके कारण हार्ट पर अनावश्यक दबाव पड़ता है, इससे हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ता है लेकिन अब अध्ययन में यह भी कहा गया है कि न सिर्फ ठंड बल्कि अत्यधिक गर्मी भी हार्ट अटैक का कारण बन सकती है.
एक शोध में पता चला है कि ठंड के मौसम में दिल के दौरे अधिक और गंभीर तरीके से आते हैं। जर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार हृदय रोग से संबंधित मौतों की दर 25 दिसंबर और 5 जनवरी के बीच तेजी से बढ़ जाती है।
सर्दियों ने दस्तक दे दी है, ऐसे में आपको सर्दियों में अपने स्वास्थ्य को लेकर खास सतर्क रहने की जरुरत है। सर्दियों में खासतौर से हार्ट अटैक बढ़ जाता है।
एक शोध में पता चला है कि ठंड के मौसम में दिल के दौरे अधिक और गंभीर तरीके से आते हैं। जर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार हृदय रोग से संबंधित मौतों की दर 25 दिसंबर और 5 जनवरी के बीच तेजी से बढ़ जाती है।
बर्मिंघम स्कूल ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर स्टीफन पी ग्लासर का कहना है कि सर्दियों के महीनों में दिन के घंटों में बदलाव होता है, इस बदलाव की वजह से कोर्टिसोल जैसे हार्मोन का संतुलन भी बिगड़ जाता है जिससे दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
ठंडे तापमान की वजह से धमनियां कठोर हो जाती हैं, खून का प्रवाह बाधित हो जाता है। इसकी वजह से दिल को ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है और दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है।
ग्लासर का कहना है- ठंड के मौसम में, दिल को ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत होती है क्योंकि शरीर में गर्मी बनाए रखने के लिए इसे बहुत काम करना पड़ता है। स्टडीज से पता चला है कि दिल के दौरे और दिल की बीमारी से संबंधित दिक्कतें सुबह के समय ज्यादा होती हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि सुबह के समय ब्लड प्रेशर बढ़ने से ज्यादातर लोगों को हार्ट अटैक या स्ट्रोक आ जाता है। ग्लासर का कहना है कि सर्दियों में अंधेरा जल्दी होने की वजह से लोग अपने ज्यादातर काम सुबह करते हैं। गतिविधियों के समय में बदलाव की वजह से शरीर पर भी इसका असर पड़ता है जिसकी वजह से हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और हार्मोन्स में भी बदलाव होने लगते हैं।
ग्लासर कहते हैं कि सर्दियों में लोगों को अधिक जागरूक रहने की जरूरत है। अगर आपको दिल संबंधी बीमारी है और आप सुबह के समय मेहनत वाला काम नहीं करना चाहते हैं तो अपनी एक्टिविटी में कटौती करें और धीमी शुरूआत करें। हमारा कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम किसी भी बदलाव को धीरे-धीरे स्वीकार कर पाता है। ग्लासर ने चेतावनी देते हुए कहा कि रूटीन में अचानक बदलाव खतरनाक हो सकता है।
अमेरिकन सेफ्टी एंड हेल्थ इंस्टीट्यूट की अध्यक्ष सू लेही का कहना है कि किसी भी दबाव और मेहनत वाली एक्सरसाइज को 15 मिनट से ज्यादा ना करें। बाहर जाने से पहले अपना पल्स लेट जरूर चेक करें। एक्सरसाइज के तुरंत बाद कॉफी या सिगरेट ना पिएं क्योंकि कैफीन और निकोटीन की वजह से दिल पर और दबाव बढ़ता है।
एक्सरसाइज शरीर के लिए बहुत अच्छी होती है लेकिन एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जब बॉडी इसके लिए तैयार ना हो तो एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए। अगर आपको दिल संबंधी कोई बीमारी है तो डॉक्टर की देखरेख में ही एक्सरसाइज करें। अपनी नई दिनचर्या की शुरुआत धीरे-धीरे करें और अपने डॉक्टर के संपर्क में बने रहें।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि सर्दियों में त्योहारों की वजह से बहुत छुट्टियां पड़ती हैं और इस दौरान लोग खाने-पीने में कई तरह की लापरवाही करते हैं। ठंड के मौसम में लोग खूब खाते-पीते हैं, स्मोक करते हैं जिससे उनका वजन बढ़ जाता है। ये सारी चीजें दिल की बीमारी के खतरे को बढ़ाती हैं। तला-भुना खाने से बचें और डाइट में हरी सब्जियां और फल शामिल करें।