व्यक्ति कितने बड़े पद और प्रतिष्ठित स्थानों पर रहे लेकिन अपना मूल निवास और पैतृक आवास को मरते दम तक नहीं भूलता ऐसा ही वाकया योग नगरी ऋषिकेश में 1904 से रह रहे परिवार जिस के तत्कालीन मुखिया स्वर्गीय काशीनाथ गुप्ता ने अपने जीवन की शुरुआत बाबा काली कमली में सेवा देकर प्रारंभ की और उसके बाद नावा हाउस प्राइमरी विद्यालय ऋषिकेश में बतौर शिक्षक बच्चों को पढ़ाया आज उनके पढ़ाए छात्र हर क्षेत्र में खूब उन्नति कर रहे हैं स्वर्गीय काशीनाथ गुप्ता के 2 पुत्र थे बड़े रामरक्षपाल गुप्ता छोटे जितेंद्र कुमार गुप्ता छोटे पुत्र का स्वर्गवास 2 वर्ष पूर्व 19 नवंबर 2019 को हो गया था बड़े पुत्र रामरक्षपाल गुप्ता अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में अपने पैतृक घर एवं अपनी जन्मस्थली कलकत्ते वाली धर्मशाला घाट रोड ऋषिकेश को देखने की इच्छा अपने सहायक अभियंता पुत्र संजय गुप्ता से की जिस पर अत्यंत आज्ञाकारी पुत्र ने अपने पिता को ऋषिकेश लाकर उनके जेहन में जो जो जगह थी उन जगह का स्वरूप तो बदल गया लेकिन रामरक्षा पाल गुप्ता के भतीजे पंकज गुप्ता जो जन्म से ऋषिकेश में ही रहते हैं उन्हें पूर्व की स्थितियों का ज्ञान था उन्होंने प्रत्येक स्थान पर ले जाकर अपने ताऊ जी को जिस जिस जगह का नाम वह ले रहे थे ले जा कर दिखाया अत्यधिक भाव विभोर होकर रामरक्षपालगुप्ता जी बात बात पर पुरानी यादों के अश्रु बहा रहे थे लेकिन जब त्रिवेणी घाट से वापस घर लौटे तो उनके चेहरे पर एक सुकून की लहर दिख रही थी आपको बता दें रामरक्षपाल गुप्ता की माता जी का देहांत बहुत बचपन में हो गया था इन्होंने अपनी सारी शिक्षा अपने चाचा तहसीलदार लक्ष्मी नारायण गुप्ता के साथ रहकर पूर्ण करें और सरकारी सेवा में रहते हुए अंत में जिलाधिकारी मुरादाबाद से सेवानिवृत्त हुए