देहरादून

मसूरी में चल रहे राष्ट्रीय मिलेट सम्मेलन में पहाड़ के इस पूर्व राजपत्रित अधिकारी ने अपने 7 विचारो का संज्ञान लेने का किया अनुरोध

श्रीअन्न को समर्पित कुछ लोक पर्व: घेंजा, कोदू का नैठावण, इष्टदेव चौरंगीनाथ को बाड़ी का भोग, चुन्या, अस्का, आंठय, पिनौला
हम उस देवभूमि के वासी हैं जहाँ श्रीअन्न कोदू की गुड़ाई की समाप्ति को “कोदू का नैठावण पर्व ” हर्ष उल्लास व धूमधाम से मनाते हैं
मसूरी में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय मिलेट सम्मेलन में उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में भी चिंतन हो:

1. “कोदू का नैठावण पर्व” के दिन को राष्ट्रीय कोदू दिवस के रूप में घोषित हो |

2. कोदू (मंडवा) को देवभूमि उत्तराखंड की राज्य फसल घोषित किया जाये|

3. उत्तरखंड के पहाड़ से हजारों लोग विदेशों में शेफ (CHEF) का कार्य करते हैं व उत्तरखंड की अर्थव्यवस्था में इनका सशक्त योगदान है अतः श्रीअन्न को विश्व की हर थाली तक पहुंचाने के लिए नायक बनायें |

4. श्रीअन्न के समर्पित पहाड़ के लोक पर्वो की विरासत को बचाने के लिए सरकार की तरफ से प्रयास हो ।

5. किसानों के खेत-खलियान तक चीड़, लैंटीना घास, गाजर घास, जंगली जानवरों का बोला-बाला व जैविक खाद की कमी। बंजर भूमि पुनरुद्धार के लिए एक ठोष नीति बने तभी तो श्रीअन्न का उत्पादन बढ़ेगा ।

6. पहाड़ में अधिकतर छोटे छोटे जोत वाले किसान हैं, श्रीअन्न की खरीद ग्राम स्तर पर SHG द्वारा या सरकारी सस्ते गले की दुकान पर हो |

7. कोदू का तना जब हरा रहता है वह मीठा होता है, पर कभी किसी का ध्यान इसके मीठे रस की उपयोगिता की तरफ नहीं गया अत: शोध हों|

** उक्त सभी 7 बिंदु पर विस्तृत औचित्य सरकार की सेवामें पूर्व में प्रेषित

सात समंदर पार उत्तराखंड के श्री अन्न के पकवानों को जन जन की थाली पर पहुँचाने के नायक बन सकते हैं पहाड़ के नवयुवक शेफ् जो विदेशों में कार्यरत हैं वहा पर आवश्यकता है उनको प्रोत्साहित करने हेतु उनके लिये एक सेमिनार का आयोजन हो।

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