मंदिर में अपने 5 साल के बच्चे का गला रेतकर बाप ने भी खुदकुशी करने की कोशश की
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सिरसागंज (फीरोजाबाद): संपत्ति के बंटवारे के विवाद को लेकर मिनी ट्रक चालक ने सोमवार सुबह दुस्साहसिक वारदात को अंजाम दे दिया। मंदिर में ले जाकर सब्जी काटने वाली छुरी से पांच साल के बेटे का गला रेता, फिर अपना गला काट लिया। ग्रामीण किसी तरह मंदिर का दरवाजा खुलवा बच्चे को अस्पताल ले गए। पुलिस ने चालक को सैफई भेजा।
दोनों की हालत नाजुक है। स्वजन के मुताबिक चालक ने अवसाद में यह कदम उठाया है।
किसरांव गांव निवासी 30 वर्षीय संदीप कुमार अपने साढ़ू का मिनी ट्रक चलाता है। 10 दिन पहले उसके पिता की मौत हो गई थी। अपने हिस्से की जमीन न मिलने को लेकर वह परेशान था। सोमवार सुबह 9.30 बजे घर के पास बने शिव मंदिर में अपने पांच वर्षीय पुत्र छोटू को गोद में ले गया और दरवाजा बंद कर लिया। इसी बीच दो महिलाएं पूजा करने मंदिर पहुंचीं तो अंदर से बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। झांक कर देखा तो संदीप अपने बेटे का गला रेत रहा था। सूचना पर पहुंचे ग्रामीण किसी तरह दरवाजा खुलवाकर बच्चे को अस्पताल ले गए। इसके बाद संदीप ने फिर दरवाजा बंद कर लिया और खुद के गले और सीने पर चाकू से वार किए। इंस्पेक्टर गिरीश कुमार गौतम फोर्स के साथ पहुंचे और पुष्पेंद्र को इलाज के लिए भेजा। एसपी ग्रामीण डा. अखिलेश नारायण सिंह भी पहुंच गए। इंस्पेक्टर ने बताया कि बच्चे को आगरा के रेनबो हास्पिटल और पिता को सैफई आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया है। आरोपित की पत्नी बेबी की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया है।
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फिल्मी है संदीप की जिदगी की कहानी.
किसान जयवीर के तीन पुत्र पप्पू, डब्बू और संदीप थे। आठ साल की उम्र में संदीप उर्फ लबरा वर्ष 2003 में घर से भाग गया। वर्ष 2008 में एक लड़के को संदीप समझकर जयवीर घर ले आए और उसका पालन पोषण करने लगे। लगभग पांच साल पहले जयवीर का असली बेटा संदीप अचानक वापस लौट आया और उसने पूरी कहानी बताई। तब तक जयवीर वर्ष 2008 में लाए गए संदीप की शादी कर चुके थे। उसके दो पुत्र आर्यन व छोटू पैदा हुए। बड़ा बेटा आर्यन मामा के घर रहता था। असली संदीप के आने के बाद उसकी परिवार में स्थिति बिगड़ने लगी। पुलिस के मुताबिक संदीप अपने लिए दो बीघा जमीन मांग रहा था, जबकि जयवीर ने असली बेटे के आने के बाद उससे मुंह मोड़ लिया। 10 दिन पहले जयवीर सिंह की बीमारी से मौत हो गई। यह भी बताया जाता है जयवीर मरने से पहले अपनी 12 बीघा जमीन तीनों बेटे को दे चुके थे। फिलहाल जयवीर के तीनों बेटे बाहर रहकर काम करते हैं।