मामला 27 मई का है। जिला आवंटन से संबंधित पत्र भी सभी सिविल सर्जन को भेज दिया गया। अब विभाग को इसकी जानकारी हुई है। इसे लेकर अलर्ट जारी किया गया है। सभी सिवल सर्जन को पत्र लिखकर कहा गया है कि जिला आवंटन का आदेश पूरी तरह फर्जी है। इस पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं की जाए।
असामाजिक तत्वों ने निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. कौशल कुमार के नाम पर आदेश जारी कर दिया। जिसमें लिखा गया कि बिहार कर्मचारी चयन आयोग द्वारा 2016 में निकाले गए विज्ञापन के अंर्तगत एएनएम के पद पर नियमित नियुक्ति के लिए शैक्षणिक एवं अन्य प्रमाण पत्रों की जांच का काम 8 अप्रैल 2019 से 15 मई 2019 तक 11 कार्य दिवसों में संपन्न किया गया था।
इसमें 130 अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे थे। इन अनुपस्थित अभ्यर्थियों से प्राप्त आवेदन के आलोक में कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए शैक्षणिक योग्यता एवं प्रमाण पत्रों की जांच 10 मई को की गई। जांच के बाद इन 79 अभ्यर्थियों की एएनएम के पद पर नियमित नियुक्ति के लिए संलग्न सूची के अनुसार जिला आवंटित किया जाता है।
अभ्यर्थियों का डोजियर सिविल सर्जन को निबंधित डाक से भेजा जा रहा है, डोजियर प्राप्त होने के बाद इनका योगदान लेना सुनिश्चित करेंगे। सिविल सर्जन कार्यालय ने इस पत्र को रिसीव भी किया है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि यह पूरा पत्र फर्जी है।
फर्जी एएनएम बहाली का मामला मधेपुरा जिले से पकड़ में आया है। निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. कौशल कुमार ने बताया कि इस मामले की जानकारी होने के तत्काल बाद सभी जिलों को अलर्ट कर दिया गया। सचिवालय थाने में प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई है। उन्होंने कहा कि बीएसएससी से हाल में इस तरह की कोई बहाली नहीं निकाली गई है। मधेपुरा जिले में सबसे अधिक 23 अभ्यर्थियों का आवंटन माफियाओं ने किया है, इन 23 में से 12 अभ्यर्थियों का गृह जिला नालंदा बताया गया है।