अब पनचक्कियों का अस्तित्व खत्म हो गया है डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला दून विश्वविद्यालय

Spread the love

 

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

 

देहरादून, उत्तराखंड उत्तराखण्ड राज्य के पहाड़ी गांव की तरफ जा रहें होंगे तो किसी नदी व नाले पर घराट/पनचक्की जमत डपससद्ध दिखायी देंगे। भले ये घराट बंजर नजर जरूर आ रहें हों, परन्तु यह एक ऐसा लोक विज्ञान था, जिसे लोग अपने ही आस-पास के प्राकृतिक संसाधनो से बनाते थे और अनाज पिसाई के सारे काम इस घराट के बिना असंभव थे। परस्परता इतनी थी कि अनाज पिसाई के बदले घराट मालिक को थोड़ा सा अनाज दिया जाता था। घराट बिन पानी नहीं चल सकता था, तो लोग जल संरक्षण के भी उपादान करते थे। फलस्वरूप इसके घराट तक लाया जाने वाला पानी भी निरन्तर अपने आगोश में बहता रहता था। देश के अन्य भागों में लोगो को घराट शब्द अपरिचित हो परन्तु उत्तराखण्ड के पहाड़ी लोगो को इससे गहरा संबध है। घराट न केवल स्थानीय रोजगार का साधन है, बल्कि पहाड़ी लोक जीवन और परम्पराओं से भी कहीं गहरे तक जुड़ा है। घराट वास्तव में अनाज पिसाई की पुरानी चक्की का नाम है, जो सिर्फ पानी के बहाव से ही चलती है। पानी का बहाव जितना तेज होगा चक्की उतनी ही तीव्र गति से घूमती है। नदी अथवा नालो से चक्की तक पानी गूल की सहायता से लाया जाता है। इस तरह घराट चलाने वाली गूल से सिंचाई व पेयजल इत्यादि के कामों में भी लाया जाता है। यह भी खास है कि घराट उसी नदी नाले के किनारे पर बनाया जाता है जहां पानी वर्षभर रहता है। घराट ऐसी लोक तकनिकी है जो पानी से ही चालित होती है। घराट का ताना-बाना प्राकृतिक संसाधनों से विकसित किया जाता है। हालांकि घराट बाहर से देखने में कोई झोपड़ीनुमा ही लगता है। इसकी दिवारे मिट्टी व पत्थरो तथा छत भी पत्थरों एंव टीन से बनी होती है। मगर इसके भीतर की दुनियां बड़ी ही निराली होती है। भीतर पांच फुट गहरा गड्ढा होता है, जिसके ऊपर की तरफ तली व पत्थर का गोल पहिया स्थापित होता है। इसकी तली स्थिर होती है, पर इसके नीचे लगी पुली पानी के बहाव से घूमती है। पानी का बेग घटाना व बढाने के लिए गूल पर मुंगरे का स्तेमाल किया जाता है। पानी घराट के निचले हिस्से में लगी पुली पर डाला जाता है। ऊंचाई से पानी गिरने से पुली घूमने लगती है और पुली के घूमने से घराट के भीतर स्थित आटा पिसने वाला गोल पत्थर ‘वट’ (पत्थर का चक्का) भी घूमने लगता है। वट के ऊपर गोल व तिकोने आकार का बांस या लकड़ी से बना डिब्बा लगा रहता है। जिसे स्थानीय भाषा में ‘ओडली’ कहा जाता है। इस डिब्बे में पीसने वाला अनाज डाला जाता है। ओडली के नीचे एक छोटा सा लकड़ी का डंडा लगा रहता है। जो बार-बार वट को छूता रहता है। इसकी सहायता से अनाज के दाने ओडली से धीरे-धीरे वट के मध्य गिरते हैं और इनकी इस तरह पिसाई होती है। मौजूदा समय बाजार में आटे की थैलियां उपलब्ध होने और गांवों में भी बिजली, डिजल चालित चक्किया स्थापित होने से घराटो के अस्तित्व पर संकट मंडराने लग गया है। इतनाभर ही नही सरकारों की उदासीनता के कारण इस तरह की सस्ती और परम्परागत जैसी तकनिकी समाप्त होती जा रही है। जबकि राज्य बनने के दो वर्ष बाद सरकार ने घराट के नवीनीकरण बावत बाकायदा ”उतरा विकास समिति” का गठन किया था। यह समिति घराटों का अध्ययन करेगी और साथ ही साथ घराट को विद्यृत उत्पादन के लिए विकसित करना समिति का प्रमुख कार्य था। समिति ने तत्काल घराटो का सर्वेक्षण कर दिया और इसके बाद से यह समिति सिर्फ व सिर्फ धूल चाटती रह गयी। अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण के मुताबिक एक घराट से पांच से पन्द्रह किलोवाट बिजली पैदा की जा सकती है। सरकार के आंकड़े गवाह है कि राज्य में अभी भी लगभग 22 हजार घराट मौजूद है। यदि उरेडा की तकनिकी पर गौर फरमाये तो इन पनचक्कीयों से लगभग एक हजार मेगावाट से लेकर तीन हजार मेगावाट तक की बिजली उत्पादित की जा सकती है। अकेल उत्तरकाशी जनपद में 2075 घराट मौजूद है। इनमें से मात्र 35 घराटों का उच्चीकरण करवाया जा रहा है, जिनमें 25 इलैक्ट्रिीकल घराट है। बता दें कि इलैक्ट्रिीकल घराट के लिए डेढ लाख और मैकनिकल घराट के लिए 50 हजार रू॰ की अनुदान की धनराशी सरकार द्वारा दी जाती है। उत्तरकाशी में उरेडा के परियोजना अधिकारी मनोज कुमार का कहना है कि घराट को विकसित करने के लिए सरकार 90 फीसदी अनुदान देती है। लोग अनुदान का फयदा उठाकर बहुद्देशीय घराट चलाये तो यह कमाई का अच्छा जरिया बन सकता है।
80 के दशक में लोक जीवन विकास भारती बूढा केदारनाथ, दशोली ग्राम स्वराज मण्डल चमोली और बाद में हिमालयी पर्यावरण शिक्षा संस्थान उत्तरकाशी, हेस्को संस्था देहरादून ने भी अपने-अपने कार्य क्षेत्र में घराट पद्धति को विद्युत उत्पादन के लिए विकसित किया है, जो आज बहुपयोगी है। बता दें कि रामदेव भी इन्ही घराटो से पीसे हुए अनाज को ही बाजार में उपलब्ध करवा रहा है।घराट और पहाड़ का गहरा संबंध रहा है। तीन दशक पूर्व तक पहाड़ों में घराटों में गेहूं पिसा जाता था और घराट यहां के लोक जीवन से जुड़े थे। आधुनिकता की दौड़ में चक्कियां आने से घराट सिमटते रहे। वर्तमान दौर में जिले भर में घराटों की संख्या नहीं के बराबर रह चुकी है। ऐसे दौर में पिथौरागढ़  जिला मुख्यालय की सीमा के पास चैसर गांव में रंधोला ने नीचे एक घराट चर्चाओं में हैं। पूर्व की भॉति घराट के मालिक की आजीविका का माध्यम बना है। आज जब बाजार में आटा उपलब्ध होने के बाद भी कई लोग घराट के स्वादिष्ट आटे के शौकीन इस घराट में गेहूं पिसवाते हैं। आसपास के लोग तो इसी घराट का आटा प्रयोग में लाते हैं। घराट मालिक ने घराट के स्वरू प को भी आधुनिक कर दिया है। इस घराट की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि घराट मालिक इसी घराट से बिजली पैदा करता है उत्पादित बिजली से घराट जगमग रहता है। जहां पर तराजू भी इलेक्ट्रानिक लगाए गए हैं। अमूमन घराट का जिक्र आते ही एक झोपड़ीनुमा कमरे का भान होता है परंतु कृष्ण राम ने घराट को सुसज्जित कर दिया है। यूं तो आज से दो दशक पूर्व घराटों से बिजली पैदा करने की सरकारी योजना चली थी। इस योजना के तहत धारचूला और मुनस्यारी के कुछ घराटों से बिजली पैदा की गई । विडंबना यह रही कि सरकारी अन्य योजनाओं की तरह यह भी फेल हो गई। आज धारचूला और मुनस्यारी के एकाध गांवों में ही घराट रह चुके हैं। चैसर निवासी कृष्ण राम का कहना है कि घराट लगाने में उरेडा ने मदद की है। यदि सरकार और प्रशासन मदद करे तो इस घराट से 50 किलोवॉट बिजली पैदा हो सकती है जिससे एक गांव जगमग हो सकेगा। वह बताता है कि उसके परिवार की आजीविका का साधन ही घराट हैउत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में स्थाई जलस्रोतों के साथ ही बरसात के मौसम में फूटने वाले चश्मों की संख्या भी लगातार कम होती जा रही है। हालांकि बरसाती चश्मों की कम होती संख्या अथवा इनसे पानी मिलने की अवधि को लेकर फिलहाल कोई अध्ययन सामने नहीं आया है, लेकिन औद्यानिकी और कृषि के जानकारों का कहना है कि राज्य में स्थाई स्रोतों के सूख जाने अथवा उनमें पानी कम हो जाने के साथ ही बरसात के दिनों में लाखों की संख्या में फूटने वाले चश्मों की संख्या और उनकी अवधि में भारी गिरावट आई है। उत्तराखंड में जलस्रोत लगातार सूख रहे हैं, यह बात नीति आयोग की रिपोर्ट से भी साफ होती है और उत्तराखंड जल संस्थान के अध्ययन से भी। उत्तराखंड जल संस्थान की रिपोर्ट कहती है कि राज्य के 500 जलस्रोत सूखने की कगार पर हैं। राज्य की 512 पेयजल परियोजना में पानी की आपूर्ति में 50 से 90 प्रतिशत तक की कमी आ गई है. मौजूदा समय बाजार में आटे की थैलियां उपलब्ध होने और गांवों में भी बिजली, डिजल चालित चक्किया स्थापित होने से घराटो के अस्तित्व पर संकट मंडराने लग गया है।लोग अनुदान का फयदा उठाकर बहुद्देशीय घराट चलाये तो यह कमाई का अच्छा जरिया बन सकता है।

लेखक उत्तराखण्ड सरकार के अधीन उद्यान विभाग के वैज्ञानिक के पद पर कार्य कर चुके हैं वर्तमान में दून विश्वविद्यालय कार्यरत  हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

https://www.hooksportsbar.com/

https://www.voteyesforestpreserves.org/

sbobet mobile

slot pulsa

https://bergeijk-centraal.nl/wp-includes/slot-deposit-gopay/

https://www.yg-moto.com/wp-includes/sbobet/

https://bergeijk-centraal.nl/wp-content/slot777/

https://www.pacificsafemfg.com/wp-includes/slot777/

https://www.anticaukuleleria.com/slot-myanmar/

https://bergeijk-centraal.nl/wp-includes/slot-bonus-new-member/

https://slot-pulsa.albedonekretnine.hr/

https://slot-bonus.zapatapremium.com.br/

https://idn-poker.zapatapremium.com.br/

https://sbobet.albedonekretnine.hr/

https://mahjong-ways.zapatapremium.com.br/

https://slot777.zapatapremium.com.br/

https://www.entrealgodones.es/wp-includes/slot-pulsa/

https://slot88.zapatapremium.com.br/

https://slot-pulsa.zapatapremium.com.br/

https://slot777.jikuangola.org/

https://slot777.nwbc.com.au/

https://fan.iitb.ac.in/slot-pulsa/

nexus slot

Sbobet88

slot777

slot bonus

slot server thailand

slot bonus

idn poker

sbobet88

slot gacor

sbobet88

slot bonus

sbobet88

slot myanmar

slot thailand

slot kamboja

slot bonus new member

sbobet88

bonus new member

slot bonus

https://ratlscontracting.com/wp-includes/sweet-bonanza/

https://quickdaan.com/wp-includes/slot-thailand/

https://summervoyages.com/wp-includes/slot-thailand/

https://showersealed.com.au/wp-includes/joker123/

https://www.voltajbattery.ir/wp-content/sbobet88/

idn poker/

joker123

bonus new member

sbobet

https://www.handwerksform.de/wp-includes/slot777/

https://www.nikeartfoundation.com/wp-includes/slot-deposit-pulsa/

slot bonus new member

cmd368

saba sport

slot bonus

slot resmi 88

slot bonus new member

slot bonus new member

https://www.bestsofareview.com/wp-content/sbobet88/

sbobet88

Ubobet

sbobet

bonus new member

rtp slot

slot joker123

slot bet 100

slot thailand

slot kamboja

sbobet

slot kamboja

nexus slot

slot deposit 10 ribu

slot777

sbobet

big bass crash slot

big bass crash slot

big bass crash slot

spaceman slot

big bass crash

big bass crash

big bass crash

spaceman slot

spaceman slot

spaceman slot

spaceman slot

spaceman slot

spaceman slot

spaceman slot

spaceman slot

spaceman slot

spaceman slot

spaceman slot

spaceman slot

wishdom of athena

spaceman

spaceman

slot bonanza

slot bonanza

Rujak Bonanza

Candy Village

Gates of Gatotkaca

Sugar Rush

Rujak Bonanza

Candy Village

Gates of Gatotkaca

Sugar Rush