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उत्तराखंड के पैराग्लाइडर्स ने नयार घाटी साहसिक खेल महोत्सव में दिखाया अपना हुनर, पर्दे के पीछे के असली हीरो रहे गोल्डन महासीर कैम्प के युवा

अजय रावत अजेय, वरिष्ठ पत्रकार

देहरादून। नयार घाटी में आयोजित पहले नयार घाटी साहसिक खेल महोत्सव में उत्तराखंड के पैराग्लाइडर्स ने गज़ब के हुनर का प्रदर्शन किया। उत्तराखंड के विक्रम नेगी, करण नयाल, मनीष मखोलिया और शाहरुख ने राज्य स्तर पर क्रमशः प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ स्थान हासिल किया।


उत्तराखंड के पैराग्लाइडर्स ने जिस उत्साह से शिरकत की उससे उम्मीद जगने लगी है कि भविष्य में देवभूमि का आसमान अपने पहाड़ के युवाओं की परवाज़ से गुलज़ार होगा।

हिमालयन ऐरो स्पोर्ट्स ऐसोशिएसन के सचिव विनय सिंह के मुताबिक इस प्रतियोगिता में पिथौरागढ़ के राजेन्द्र पनेरू, सावन बिष्ट, मनीष मखोलिया व शाहरुख , भीमताल के पूरन सिंह व करण नयाल, बागेश्वर के जगदीश जोशी, देहरादून के राहुल पंवार व विक्रम नेगी एवम टेहरी लेक से शरद उनियाल व नवीन नेगी ने अपना हुनर दिखाया। विनय सिंह ने जोड़ा कि स्थानीय स्तर पर बड़ी संख्या में हुनरमंद पायलट तैयार करने की दिशा में ‘हासा’ कार्यरत है। निकट भविष्य में नयार घाटी सहित प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में पैराग्लाइडिंग के हब तैयार किये जायेंगे। साथ ही अन्य तरह के साहसिक खेल गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने नयार वैली एडवेंचर स्पोर्ट्स फेस्टिवल को बेहद सफल करार देते हुए आने वाले साल में इसे भव्य रूप देने के साथ ही और अन्य गतिविधियों में भी इजाफा करने का इरादा ज़ाहिर किया।

उन्होंने बताया कि इस आयोजन की सफलता में स्थानीय युवाओं की भागीदारी को अनदेखा नहीं किया जा सकता। दीपांशु, अमित, जितेंद्र, संतु व सपना आदि ने इस आयोजन के दौरान अपेक्षित सहयोग किया। वहीं शीला-बांघाट गांव के युवाओं ने कैम्प गोल्डन महाशीर के बैनर तले नितिन काला और कृष्णा काला सीटू की अगुवाई में आकाश काला, अनंत काला सहित 1 दर्जन युवाओं ने स्वेच्छा से आयोजन में स्वयंसेवक की भूमिका का निर्वहन करते हुए 6 दिनों तक अनथक परिश्रम कर नयार घाटी को वैश्विक फलक पर पहचान दिलाने की इस पहल में अपना सर्वोच्च योगदान सुनिश्चित किया। पूर्व ग्राम प्रधान शीला महेंद्र काला के साथ अरुण काला आदि ने भी इस आयोजन में युवाओं को स्वयंसेवक के रूप में प्रतिभाग करने हेतु प्रेरित किया।


पलायन एक चिंतन की रही महत्वपूर्ण भूमिका

पलायन एक चिंतन के संयोजक रतन सिंह असवाल ने बताया कि समूह का सपना रहा है कि क्षेत्र में पर्यटन की संभावनाएं तलाश कर आजीविका के साधन उपलब्ध कराए जाएं, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार मिले और पलायन पर अंकुश लगे। समूह बीते 3 वर्षों से लगातार नयार घाटी में जमीनी कार्य कर रहा है। इस आयोजन में समूह के उपक्रम कैम्प गोल्डन महासीर के युवाओं ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। यह 4 दिवसीय आयोजन सिर्फ एक जलसा साबित न हो इसके लिए समूह अपने सतत प्रयासों को निरंतर जारी रखेगा। उन्होंने हासा के प्रयासों को सराहा।

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