वर्ष 2016 से उत्तराखंड की ग्रामीण भूमि पर कार्य कर रहे पौड़ी गढ़वाल के सुनील दत्त कोठारी अपनी वंश परंपराओं का निर्वहन को ही जीवन का उद्देश्य मान चुके हैं, उत्तराखंड की भूमि जो की चार धाम से पहचान लिए हुई है, स्थानीय वनस्पतियों के द्वारा पोषित करने का प्रयास कर रहे हैं। कोठारी ने समय-समय पर अपनी उत्पादन एवं प्रयासों के द्वारा सिद्ध किया हिमालय की घास (बेकार) दिखने वाले पेड़-पौधों आजीविका सर्जन की जा सकती है,व विश्व पटल पर अपनी संस्कृति को मजबूत स्तंभ की तरह इस्तमाल किया जा सकता है।
अपने स्थानीय पौधों का आधार लेकर उत्तम किस्म की हर्बल चाय व वस्तु की उत्तम स्वास्थ्यवर्धक एवं पौष्टिक आधार लेकर प्राकर्तिक पौधे से चटनी, जूस, पाउडर में बदल कर एवं मुरब्बा जो अभी तक प्रचलन से बाहर थे, उन सभी को प्रस्तुत किया जो कि रोग निदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इन्हीं संदर्भ को सिद्ध करने के लिए आप ज्योतिषीय विश्लेषण का आधार एवं विचार का सुंदर एवं सरल शब्दों में जनहित के लिए प्रस्तुत करते हैं। ग्रहों से राशि का संबंध में बताया कि मेष राशि वाले सिर, पेट, मस्तिक एवं आंखों के रोग से प्राय ग्रस्त हो जाते हैं। मुख, नेत्र, हड्डी एवं मास प्रभावी राशि वृष होती है,अगर गला, वास,नली से संबंधी मिथुन राशि वाले व्यक्ति प्रभावी होते हैं,कर्क के जीवन में सीना, फेफड़े एवं रक्त की समस्याएं उजागर होती रहती हैं,वही सिंह राशि वाले पीठ, हर्ट, आते जिगर की समस्याओं से ग्रसित रह सकते हैं, कन्या वाले पेट की ऊपरी भाग, आते, हड्डि एवं मांस को लेकर दुखी रह सकते हैं, तुला वाले कमर घुटना, स्वसन क्रिया के उतार चढ़ाव से घबराए रहते हैं,धनु वाले जांग ,जांग की नसों वह मल द्वार को संभालने में व्यस्त रहते हैं, ठीक मकर वाले जोड़ो की हड्डियां वह मांस से दुखी रहते हैं, कुंभ वाले घुटना, घुटने की हड्डियां मांस और सांस क्रिया के अचानक परिवर्तन से दुखी रह सकते हैं,मीन राशि पैरों की अंगुलियां तथा उनकी नसों से ग्रसित पाए जा सकते हैं।
ज्योतिषी गणना के द्वारा ग्रहों के नष्टफल पर विचार करते हैं, कारक राशि का ध्यान रखती हुए उच्च ग्रह व नीच ग्रह के आकलन की स्थिति से भाव की गणना ही एक उत्तम ज्योतिषी की पहचान होती है।
अगर बात करें तो सूर्य की प्रभाव की तो बिल जड़ का उपयोग, चंद्रमा में खिरनी जड़, मंगल में अनंत मूल जड़, बुद्ध में विधारा जड़, गुरु में हल्दी जड़, शुक्र में सर्पगंधा जड़, सनी ग्रह बिछू बूटी की जड़, राहु में सफेद चंदन की जड़, केतु में अशगध की जड़ आदि। उपरोक्त पौधों की वंश परंपरागत मालाएं आप जनहित में उपलब्ध कराते आ रहे हैं। किसी भी जातक का रोग निदान प्रक्रिया में लक्ष्यों के साथ ज्योतिषीय विश्लेषण, उपचार खाद्य पदार्थों के निर्माण के ग्रह, नक्षत्र व आधार लेकर प्रकाशित करते हैं।
आज का मानव को विस्तार पूर्वक जानकारी एवं प्रारुप प्रस्तुत मानव जीवन के लय फायदेमंद व आजीविका मे कार्यशील रहना आपके जीवन का उद्देश्य रहा है।
चलो, एक बार हम सभी हिमालय की संस्कृति के खान-पीन पदार्थ, उपचार के माध्यम को लेकर आधुनिक मानव को तार्किक एवं न्यायसंगत रुप में प्रस्तुत किया जाए।