द्वारीखाल: पौड़ी गढ़वाल
उत्तराखंड की देवभूमि पर एक ऐसे व्यक्ति भी हैं जो स्थानीय सेल्फ हेल्प ग्रुप को प्रशिक्षण देने की अनोखी प्रतिभा रखते हैं, वर्ष 2016 से वर्ष 2021 तक आपके द्वारा लगभग 22000 लोगों को आजीविका मिशन संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम से जोड़ा गया, साथी साथ कई मंचों से आप प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं सम्मान से नवाजे गए हैं, कई एसोसिएशन से आप ब्रांड एंबेसडर के रूप में भी कार्य करते हैं।आज उनसे जानने का प्रयास करते हैं कि किस प्रकार से आप अपनी प्रशिक्षण कार्यक्रम संपूर्ण उत्तराखंड की भूमि पर चलाते हैं।
पत्रकार: नमस्कार, अपना परिचय देने का कष्ट करें!
कोठारी: नमस्कार, मैं सुनील दत्त कोठारी (वंश परंपरागत वैद्य एवं हर्बल टी विशेषज्ञ) संस्था कोठारी पर्वतीय विकास समिति फाउंडर एवं सेक्रेटरी.
पत्रकार: किस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम से आप स्थानीय ग्रामीण लोगों को सशक्त बनाने के लिए लोगों को जोड़ते हैं।
कोठारी: हमारी संस्था उत्तराखंड में पाए जाने वाली वनस्पतियों की पहचान कर उनको आधार देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाती है, जो प्राय 3 दिवस से 5 दिवस तक के होते हैं, इन कार्यक्रम में मुख्य रूप से स्थानीय पाए जाने वाली प्राकृतिक एवं कृषि वनस्पतियों को आधार देने के लिए ताकि वह रोजगार पूरक मुहिम से जुड़ सकें।
पत्रकार: आप प्रशिक्षण कार्यक्रम में गांव या फिर स्थान का चुनाव कैसे करते हैं।
कोठारी: हमारे प्रशिक्षण कार्यक्रम को कोई भी व्यक्ति जो उत्तराखंड के ग्रामीण परिवेश में रहता है, इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को क्षेत्र में करवा सकते हैं, इसके लिए संस्था को एक प्रार्थना पत्र के द्वारा संपर्क साधा जा सकता है, साथ ही साथ आधारभूत दस्तावेज तथा व्यवस्था एवं नियोजन संबंधी चर्चा के बाद आप इसको अपने क्षेत्र में आसानी से करवा सकते हैं! इसमें आप ब्लॉक तहसील व प्रदेश स्तर की भागीदारी को भी जोड़ सकते हैं।
पत्रकार: आपके प्रशिक्षण कार्यक्रम की विषय वस्तु क्या होती है।
कोठारी: देखिए संस्था का उद्देश्य “उत्तराखंड पलायन मुक्त रोजगार युक्त हो”, इस मुहिम को सफल बनाने के लिए हम लोग आजीविका से जुड़े हुए जो विषय वस्तु हमारी परंपरागत
विधान से युक्त हैं उनकी विस्तृत जानकारी साथ ही साथ आधुनिक रूपांतरण वह बाजारीकरण की मुहिम से जोड़ने का प्रयास होता है, प्रशिक्षण के प्रत्येक दिन अलग-अलग विषय वस्तु का समावेशित करते हुए संपूर्ण जानकारी उस विषय वस्तु की दी जाती है।
पत्रकार: प्रशिक्षण कार्यक्रम में किस आयु वर्ग के लोग सम्मिलित हो सकते हैं।
कोठारी: हमारी संस्था में किसी भी वर्ग विशेष एवं उम्र का आधार नहीं है, अपितु कार्य का निर्धारण उसकी मानसिक एवं शारीरिक स्थिति को लेकर किया जा सकता है।
पत्रकार: आपका प्रशिक्षण कार्यक्रम सरकारी संस्थाओं द्वारा चलाए जाने वाले कार्यक्रम से किस प्रकार भिन्न है।
कोठारी: हमारी संस्था का प्रशिक्षण का प्रारूप हमारी वंश परंपरागत विधाओं का विस्तृत कार्यक्रम होता है, इनमें मुख्य रूप से वैद्य विद्या को आधार लेकर वनस्पतियों की पहचान एवं कृषि एवं अकृषि को आधार लेकर चलना होता है, वर्तमान सरकार द्वारा चलाए जाने वाले विभागों के संदर्भ में योजनाएं इससे बिल्कुल ही अलग हैं, अगर आप देखेंगे तो उत्तराखंड में कोई भी व्यक्ति हर्बल टी विशेषज्ञ की भूमिका में नहीं है, मैं स्वयं उत्तराखंड की भूमि पर वंश परंपरागत वैद्य के रूप में कार्यशील हूं तथा हर्बल टी विशेषज्ञ एवं नेटल मैन के रूप में विश्व में जाना जाता हूं।
पत्रकार: प्रशिक्षण के बाद आप उन स्थानीय महिलाओं के उत्पादन को कैसे बाजार तक पहुंचाते हैं।
कोठारी: हमारी संस्था का प्रशिक्षण पूर्ण करने के पश्चात स्वयं सहायता समूह अपने घरों में रहकर वस्तुओं का निर्माण करते हैं तथा संस्था विक्रय व्यवस्था के लिए प्राय वस्तुओं को स्वयं ही खरीद कर बाजार तक पहुंचाती है या फिर अन्य व्यापारिक संस्थाओं से संपर्क का विस्तृत प्रारूप बनाया जाता है।
पत्रकार: अभी तक आपको कोई सरकारी सहायता मिली है आपके
प्रशिक्षण कार्यक्रम में!
कोठारी: जी नहीं, आशा करते हैं हमारे कार्यों को आधार वर्तमान सरकार अवश्य देगी सरकार कोई ना कोई प्रारूप हमारे लिए अवश्य ही निर्धारित करेगी।
पत्रकार: सिखाने का गुण तथा कठिनाइयों की व्याख्या दें, खासकर उत्तराखंड के ग्रामीण परिवेश में!
कोठारी: देखिए सीखना एवं सिखाना मानवीय प्रकृति है, परंतु जब हम इन इनको प्रशिक्षण कार्यक्रम से जोड़ते हैं तो गुणवत्ता के साथ साथ संस्कृति को पहचान एवं समाज को मार्गदर्शन का कार्य करती है।
पत्रकार: प्रशिक्षण कार्यक्रम को गुणवत्ता एवं आर्थिक सहयोग कौन प्रदान करता है।
कोठारी: हमारी संस्था के कार्यक्रमों को मुंबई महाराष्ट्र की “एचपीएमएफ” एवं “टीसीए”का सहयोग आर्थिक एवं गुणवत्ता रूप में हमेशा मिलता रहा है।
पत्रकार: सुधी पाठकों को यह बताने की कष्ट करें कि किन किन विषयों पर आपके पास प्रशिक्षण उपलब्ध है।
कोठारी: हमारे द्वारा हर्बल चाय प्रशिक्षण 48 किस्म की, प्राकृतिक रेशा प्रशिक्षण कार्यक्रम, क्राफ्ट संबंधी आइटम मुख्य रूप से हैं।
पत्रकार: धन्यवाद
कोठारी: धन्यवाद आपका एवं संपूर्ण टीम का जिन्होंने हमारे कार्य को बल देने के लिए अपना कीमती समय निकाल कर हमारा मनोबल बढ़ाया,,