देहरादून-: फर्ज की जंग में हम तो मदद को निकले थे जिनके लिए उनसे ही बदनामी का उपहार ले आये।।
यह किस्सा आज बिल्कुल सच साबित हो गया जहां एक प्रकरण में हमारे दो सुरक्षा कर्मी आम जनता की सुरक्षा करने ड्यूटी पर पहुंचे किन्तु कुछ ऐसा हुआ कि वह ही उल्टा घटना के शिकार हो गए। घटना का दर्द उन्हें उस समय शायद उतना न लगा जितना कुछ घंटे बाद उस दर्द पर नमक तब छिड़क गया जब समस्त जनपद मीडिया से लेकर सोशल मीडिया के जरिये पुलिस कार्यवाही का एक हिस्सा आग की तरह चंद घंटों में हर न्यूज़ चैनल से लेकर सबके फ़ोन में फैलने लगा,जिसके बाद पूरे शहर में हर तरफ पुलिसकर्मी द्वारा एक महिला से बर्बरता नाम से पुलिस पर जमकर छींटाकशी की गयी जो फिलहाल अभी तक जारी है।पर अभी तक इस घटना में किसी भी जगह पुलिसकर्मियों व उस प्रकरण की वजह पर गौर नही किया गया न ही विश्लेषण का कोई कार्यक्रम किया गया कि यह घटना क्या थी, क्यों?
यह हम सभी का असल मायने में दोगला रवैया सामने लाता है,जिन पुलिसकर्मियों को कोरोना वारियर्स का तमगा देकर सबने कोरोना काल में सर आंखों पर बिठा दिया था आज एक अधूरी वीडियो के दम पर उनको चंद सेकंड में जमीन पर लाकर पटक दिया। देखा जाए तो अक्सर हम मीडिया में देखते है कि वक़्त पर पुलिस द्वारा न पहुँचने या पीड़ित पक्ष की शिकायत पर तुरंत एक्शन न लेने के चलते हादसा हो गया,….काश पुलिस समय रहते ऐसा कर लेती वैसा कर लेती….पर देहरादून जनपद के थाना नेहरुकोलोनी में यह बात बिल्कुल उल्टी साबित हो गयी। थाना नेहरुकोलोनी क्षेत्रांतर्गत निवासी एक महिला द्वारा चीता पुलिस को स्वयं फोन कर उनके घर में पड़ोस में ही रहने वाले दो युवकों द्वारा उनकी पुत्री व बहु के साथ अभद्रता व छेड़खानी करने के संबंध में मदद मांगी गयी। उस समय ड्यूटी पर तैनात दो चीता कर्मी इस खबर को सुन तुरंत उस क्षेत्र में पहुंचे व उन महिलाओं की शिकायत पर उन युवकों को समझाने उनके घर गए। उन युवकों को जब चीता कर्मियों ने चौकी साथ चलने को कहा तो उन युवकों की माँ उन पुलिसकर्मियों के साथ गाली गलौच व अभद्रता करने लगी। जिसपर उस औरत ने अपने परिजनों संग उन पुलिस कर्मियों पर हमला कर दिया जिसका वीडियो उनके द्वारा नही बनाया गया जो की कोई घर के अंदर से बना रहा था।पर जब पुलिसकर्मी ने अपने बचाव में महिला के खिलाफ कार्यवाही की तो उस समय उस व्यक्ति द्वारा वीडियो बना दिया गया। जो की आज सबके सामने है,जिसपर वह पुलिसकर्मी हर जगह जमकर आलोचना सह रहे है।अब इस घटना से हम क्या समझे- पुलिसकर्मी पीड़ितों की ममदद न करे या खुद पर हमला हो तो अपना बचाव भी न करे? अभियुक्तों को उनकी मनमानी करने के लिए बस समझा कर छोड़ आये?
इस बात का अफसोस इस बात से भी है कि जनपद के अधिकांश मीडिया बंधुओं द्वारा मीडिया ट्रायल जैसे हडकंडों के जरिये हर तरफ इस वीडियो के जरिये सीधे तौर पर उस दो पुलिसकर्मियों को दोषी ठहरा दिया जबकि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा इस विषय में जांच के आदेश दिए गए है और वीडियो की सत्यता को परखने की बात कही है। ऐसे में बाकी लोगों द्वारा पहले ही उन दो पुलिसकर्मियों को दोषी मान कैसे उनको अपराधी घोषित कर दिया।यह देखो तो लगता है वाकई स्वतंत्रा के मायने बदलने लगे है,लेखन की स्वतंत्रा ऐसी की बिन जांचे परखे एक पहलू के आधार पर पूरी कहानी की रूपरेखा गड डाली।अपना यह हाल देख सभी पुलिसकर्मी अब शायद यह सोच रहे होंगे कि फर्ज अदायगी का फल क्या वाकई ऐसा होता है?