रुद्रप्रयाग :- आधुनिकता के दौर में युवाओं को भी उसमें अपने कैरियर भविष्य इंजीनियर डॉक्टर वैज्ञानिक व अन्य प्रोफेशनल जॉब में दिख रहा है, जिससे युवा मेहनत भी कर रहा है, ओर सफलता भी हासिल कर रहे है। अभिवाहक अपने बच्चो पर जबर्दस्ती नही कर सकते, बच्चे की मानसिकता को पढ़ना बहुत जरुरी है, जिससे दबाब बढ़ने पर हताशा में युवक आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं, जैसे कि इस घटना में विदित हो रहा है।
ऐसा ही मामला रुद्रप्रयाग जनपद के जखोली विकासखंड में घटित हुआ है। जहां एक 14 वर्षीय नाबालिक छात्र ने संस्कृत महाविद्यालय में एडमिशन लेने से मना कर दिया था। लेकिन बालक के अभिभावको द्वारा संस्कृत महाविद्यालय में प्रवेश को लेकर अत्यधिक दबाव के चलते 14 वर्षीय छात्र ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।
जखोली के एक नाबालिग छात्र को उसके परिजन संस्कृत विद्यालय में प्रवेश दिलाना चाहते थे लेकिन छात्र ने संस्कृत महाविद्यालय में प्रवेश लेने से साफ साफ मना करते हुए जखोली के ही स्थानीय विद्यालय में प्रवेश लेने की इच्छा जताई थी, जिस पर परिजन तैयार नहीं हुए। लगातार दबाव के चलते छात्र अवसाद में आ गया और उसने सोमवार सुबह घर पर ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। जवान बेटे की मौत के बाद घर में मातम छाया हुआ है , परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है तो वहीं स्थानीय जनता में भी शोक का माहौल है।