भोपालमध्यप्रदेश

शिहोर MP ! मानवता का धर्म निभाया शेरू खाँ ने, लाखो लोगो को तड़पते देख उठाया ये कदम, देखिये पूरी खबर

 

नितिन दुबे संपादक  9630130003
नितिन दुबे संपादक  

शिहोर ( MP) आज आस्था के नाम पर छलकपट चरम पर चल रहा है, कोई कम्बल वाला बाबा लोगों का इलाज कर रहा है, तो रुद्राक्ष बांटकर लोगों को बेवकूफ बना रहा है, ऐसे कई बाबा है जिनकी इस तरह की दुकानें चल रही है, जब इंसान दुःखी होता है उस दौरान ऐसे ढोंगी बाबाओं पर जल्दी विस्वाश कर बैठते, ऐसे ही मामला मध्यप्रदेश के शिहोर में देखने को मिला,

देश भर से रुद्राक्ष लेने आए लोग आयोजको के अव्यवस्था के कारण प्यास से तड़प रहे थे,  शेरू खां ने खेत से पाइप लाकर पिलाया लाखों लोगों को पानी

 

सीहोर के कुबेश्वर धाम रुद्राक्ष लेने आए लोगों को बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ा। लोग जान जोखिम में डाल कर रुद्राक्ष लेने आए थे। कई किलोमीटर दूर तक सड़कों पर वाहन और पैदल चलने वालों की लाइन खत्म ही नहीं हो रही थी। ऐसे हालात में कहीं पानी की व्यवस्था नहीं थी। लाखों लोग एक एक बूंद पानी के लिए तरस रहे थे। छोटे बच्चे और बुजुर्गों का तो प्यास के कारण बुरा हाल था। दुकानों पर 10 रुपए में मिलने वाली पानी की बोतल 50 और 100 रुपए में बेची जा रही थी, कुल मिलाकर चारों तरफ अराजकता, लूट, तड़प थी। सीहोर की सोडा ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले गांव  गोकुलपुरा निवासी शेरू खा अपने गांव गोकुलपुरा से खोखरी पेट्रोल पप डीजल लेने जा रहे थे तभी उनकी नजर सड़क पर हजारों की तादाद में प्यास से तड़प रहे लोगों पर पड़ी। शेरू खां ने पेट्रोल पंप से तुरंत डीजल लिया और अपने गांव गोकुलपुरा पहुंचे। डीजल रखने के बाद वह अपने दोस्त के खेत पर पहुंचे और वहां से सभी साथियों के साथ मिलकर बहुत लंबा पाइप इकट्ठा किया और अपने दोस्त के खेत से मोटर चालू कर पाइप को मुख्य मार्ग पर लेकर आए, जहा लोग प्यास से तड़प रहे थे और मोटर चालू करके हजारों नहीं बल्कि लाखों लोगों को उन्होंने पानी पिलाया। यह बात हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई एकता की नहीं है। यह मानवता की मिसाल है। एक तरफ वो जो शिवपुराण कथा सुना रहे थे और रुद्राक्ष वितरण कर रहे थे। लोगों बुलाकर अपने यश, धन और वैभव को बढ़ाने में लगे थे, लेकिन एक देशभक्त और मानव भक्त बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की प्यास को देख नहीं पा रहा था। शेरू खां ने तुरंत ही लाखों लोगों को पानी पिला कर उनके कंठ की प्यास बुझाई। धन्य है, शेरू खा आपकी मानव भक्ति।

 

 

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