उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष धीरेन्द्र प्रताप ने जाने-माने पत्रकार लेखक साहित्यकार और नाटककार राजेंद्र धस्माना की तीसरी पुण्यतिथि पर उनका स्मरण करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है ।
धीरेन्द्र प्रताप ने कहा है कि स्वर्गीय धस्माना विलक्षण प्रतिभा के धनी थे।
उन्होंने 16 मई 2017 को इस संसार को अलविदा कह दिया था।
भारतीय सूचना सेवा में रहते हुए भी धस्माना जी उत्तराखंड आंदोलन में सक्रिय रहे। अपने विचारों को खुल कर प्रकट करते रहे। वे ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन में न्यूज एडीटर थे। उस जमाने में रेडियो पर उनका नाम सुनना और फिर दूरदर्शन के बुलेटिन में समाचारों के बाद राजेंद्र धस्माना लिखा देखकर हर उत्तराखंडी का सीना गर्व से फूल जाता था। संपूर्ण गांधी वांग्मय के 100 खंडों में से अंतिम 10 खंडों के संपादक धस्माना जी ही थे। उत्तराखंड के सामाजिक संगठनों में भी वे आजीवन सक्रिय रहे। धस्माना जी पत्रकार, संपादक, लेखक, नाटककार, आंदोलनकारी, मानवाधिकारवादी, कवि सभी कुछ थे। मगर, इन सभी से पहले वे महामानव थे।
धीरेन्द्र प्रताप ने इस मौके पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से उत्तराखंड में स्वर्गीय राजेंद्र धस्माना की स्मृति में किसी संस्थान,किसी सड़क अथवा किसी भवन का नाम रखने की मांग करते हुए कहा है कि स्वर्गीय धस्माना की महान सेवाओं को देखते हुए उनकी स्मृति को अक्क्षुण बनाने के लिए यह जरूरी होगा कि हम उनके लिए कुछ ऐसा काम करें जिससे वे सदैव हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बने रहे।
उत्तराखंड के कई प्रमुख पत्रकार, लेखको , आंदोलनकारियों और अधिकारियों जिनमें सर्वश्री हरीश लखेड़ा, रोशन, कुशाल जीना अवतार नेगी, व्योमेश जुगरान,प्रदीप वेदवाल, संयोगिता ध्यानी, खुशहाल सिंह बिष्ट, एसडीएम वीरेंद्र गुसाईं आकाश जोशी, देव सिंह रावत, मनमोहन शाह ईश्वर रावत, नंदन सिंह रावत, हरिपाल रावत, सुरेश नौटियाल, उमा जोशी, उमाशंकर कुकरेती, प्रताप शाही, प्रेमा सिंह ज्योति सेतिया, राजेंद्र रतुड़ी, अनिल पंत, लक्ष्मण रावत और बचन सिंह धनौला शामिल हैं स्वर्गीय राजेंद्र धस्माना को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए धीरेंद्र प्रताप द्वारा उनकी स्मृति में कुछ संस्थान बनाए जाने की मांग का सर्वसम्मति से समर्थन किया है।
आइए इस मुहिम में शामिल होइए-
—-राजेंद्र धस्माना जी के नाम पर किसी संस्थान का नाम रखे उत्तराखंड सरकार
–डा. हरीश लखेड़ा
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मेरी स्मृतियों में अमर हैं राजेंद्र धस्माना
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जेरासना मांध्रद यानी राजेंद्र धस्माना! जी हां, राजेंद्र धस्माना। वे इस उप नाम से भी लिखते थे। विलक्षण प्रतिभा के धनी धस्माना जी की आज पुण्यतिथि है। यकीन करना मुश्किल है कि धस्माना जी हमारे बीच नहीं हैं। परंतु यह सत्य है कि 16 मई 2017 को उन्होंने इस संसार को अलविदा कह दिया था।
भारतीय सूचना सेवा में रहते हुए भी धस्माना जी उत्तराखंड आंदोलन में सक्रिय रहे। अपने विचारों को खुल कर प्रकट करते रहे। वे ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन में न्यूज एडीटर थे। उस जमाने में रेडियो पर उनका नाम सुनना और फिर दूरदर्शन के बुलेटिन में समाचारों के बाद राजेंद्र धस्माना लिखा देखकर हर उत्तराखंडी का सीना गर्व से फूल जाता था। संपूर्ण गांधी वांग्मय के 100 खंडों में से अंतिम 10 खंडों के संपादक धस्माना जी ही थे। उत्तराखंड के सामाजिक संगठनों में भी सक्रिय रहे। धस्माना जी पत्रकार, संपादक, लेखक, नाटककार, आंदोलनकारी, मानवाधिकारवादी, कवि सभी कुछ थे। मगर, इन सभी से पहले वे महामानव थे। सहृदय धस्माना जी को लेकर मेरा दावा है कि जो व्यक्ति एक बार भी उनसे मिल गया, हमेशा के लिए उनका हो गया होगा।
देहरादून से गणित में एम.एससी करने के बाद दो जगह लेक्चरर की नौकरी का ऑफर छोडक़र मैं दिल्ली चला आया था। हालांकि दिल्ली आकर ही मुझे मालूम हुआ कि इस महानगर में कितना संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे में उदासी व निराशा भरे क्षणों में धस्माना जी के पास चला जाता था। उनके पास हमेशा ही प्यार और स्नेह मिलाता था। उनसे मिलने के बाद मैं आगे बढऩे की प्रेरणा का उत्साह लेकर लौटता था।
धस्माना जी चले गए। अब 2019 से उनकी स्मृति में ‘श्री राजेंद्र धस्माना व्याख्यान माला’ शुरू की है। मुझे उम्मीद थी कि उत्तराखंड सरकार और वहां के नेता अपने समाज के ऐसे विलक्षण लोगों की स्मृति को जिंदा रखेंगे, मगर निराशा ही हाथ लगी।
इसलिए अब जयहरीखाल में डिग्री कॉलेज लैंसडौन में हमारे सीनियर रहे व अब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र रावत जी से अनुरोध है कि राजेंद्र धस्माना जी की स्मृति में उनके नाम पर किसी संस्थान, सडक़ आदि का नामकरण किया जाए।
प्रदेश के सभी सांसदों, मंत्रियों, विधायकों से लेकर युवा सांसद श्री अनिल बलूनी से भी यही अनुरोध है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत, पूर्व अध्यक्ष श्री किशोर उपाध्याय, कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव श्री हरिपाल रावत समेत कांग्रेस के नेताओं से अनुरोध है कि वे वादा करें कि प्रदेश में उनकी सरकार आने पर वे राजेंद्र धस्माना जी की स्मृति को जिंदा रखने के लिए पहल करेंगे।
इसलिए आप सभी से विनम्र निवेदन है कि इस मांग में साथ दीजिए और इस पोस्ट को आगे बढ़ाते रहें। यही राजेंद्र धस्माना जी के लिए हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
— डा. हरीश लखेड़ा/नयी दिल्ली/ 16 मई 2020।
इस न्यूज़ में मेरी फेसबुक पोस्ट को नकल कर दिया गया हूं।
डॉ हरीश लखेड़ा।
आपका आभार व्यक्त करता हु। श्रीमान जी हमे धस्माना जी के लिये मिलकर कुछ ऐसा कार्य करना चाहिये ताकि जन जन तक उनकी ख्याति पहुँच सके। में इस मुहिम में आपके साथ हु।