।। नए कल और नए समाज के लिए नई स्त्री निर्माण का आन्दोलन ।।
समाज द्वारा जनित भेदभाव की सोच स्त्री के प्रति अपराधों की जिम्मेदार है
दिनांक: 20 अगस्त 2023. महिला उत्तरजन ने 20 अगस्त को महिलाओं के प्रति अपराधों की बढ़ती भयावहता- सामाजिक कारण और समाधान विषय पर राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान, देहरादून में एक गोष्ठी का आयोजन किया। देश में महिलाओं के खिलाफ लगातार बढ़ रही हिंसा, उत्पीड़न और लिंगभेद, आपराधिक कृत्य और तद्जनित भयावहता पर गहरी चिन्ता व्यक्त की गई। कार्यक्रम का प्रारम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ ही एक महिला चेतना गीत ‘इसलिए ‘लड़कियों’ के गायन से आरम्भ हुआ। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने कहा कि समाज ने लिंगभेद, स्वभाव भेद तथा गुणभेद के आधार पर लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग सीमाएँ बना दीं। समाज द्वारा निर्मित और पोषित भेदभाव की सोच की पृष्ठभूमि ही विभिन्न अत्याचारों की जिम्मेदार है।
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गोष्ठी की पहली वक्ता डॉ सुषमा नयाल, असिस्टेंट प्रोफेसर समाजशास्त्र विभाग, एसएमजेपीजी कालेज हरिद्वार ने कहा कि महिलाओं के प्रति हो रहे अपराधों के सही आंकड़े तो समाज के सामने आ ही नहीं रहे। उन्होंने कहा कि अत्याचार और हिंसा की शिकार स्त्रियों के जीवन का एक बड़ा हिस्सा कानून की लड़ाई लड़ने और न्याय पाने में ही बीत जाता है।
दूसरे वक्ता डॉ सुरेन्द्र कुमार ढलवाल, अध्यक्ष, मनोचिकित्सा विभाग, राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान ने कहा कि हमें समानुभूति यानी स्त्रियों को समान मानने की भावना को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि अपनी पीड़ा को मूक होकर सह लेना स्त्री की यातना और कष्ट को बढ़ाता है।
संस्थान के निदेशक मनीष वर्मा ने कहा कि समाज में व्याप्त लिंगभेद ही विभिन्न समस्याओं का मुख्य कारण है।
बेटे-बेटियों को बाल्यकाल से ही समान अधिकार व कर्तव्यों के बारे में समझाना होगा। कार्यक्रम का संचालन करते हुए पूजा बिष्ट ने कहा कि स्त्री की बात करना दरआल मनुष्य की बात करना है, स्त्री के नागरिक होने की बात करना है, समाज की बात करना है, देश और दुनिया की बात करना है। एक मनुष्य की गरिमा और मानवीय अधिकारों की बात करना है। एक बेहतर दुनिया बनाने की बात करना है।
महिला उत्तरजन की अध्यक्ष श्रीमती बिमला रावत ने कहा कि हम सामाजिक सहयोग से चलने वाला एक संगठन है। सामाजिक पहल से भले ही छोटी मगर एक अच्छी दुनिया रची जा सकती है। सामूहिकता की अपनी ताकत होती है। इस सामाजिक ताकत, सहयोग, समर्थन और भागीदारी से बड़े सामाजिक बदलाव लाए जा सकते हैं। हम ऐसे ही कुछ प्रयास कोशिश करना चाहते हैं। उन्होनें कहा कि हम समाज के सहयोग से एक बेटी मेरी भी, लड़कियों का बुक बैंक, मातृकानन, बालिकाओं के लिए काउंसलिंग कैम्प आदि कार्यक्रम – चलाना चाहते हैं।
कार्यक्रम में माया ग्रुप ऑफ कालेजेज की निदेशक डा तृप्ति जुयाल सेमवाल, शिक्षा विभाग की पूर्व अधिकारी कमला पन्त, प्रमिला भट्ट, वन्दना ढौंडियाल, सिद्धि डोभाल, बीना बेंजवाल, कांता घिल्डियाल, बबिता शाह लोहानी, स्वाति डोभाल, मला कठैत प्रो अवधेश कुमार, मंजू सक्सेना, शैल बिष्ट, शांति बंगारी, विजय जुयाल, अनिल बिष्ट, लोकेश नवानी तथा अनेक गण्यमान्य लोग उपस्थित रहे।