आज की सबसे बड़ी खबर नहीं रहे चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा कोरोना के चलते पिछले कई दिनों से एम्स में हो रहा था उनका इलाज लेकिन आज उनका निधन हो गया आपको बता दें 94 साल के सुंदरलाल बहुगुणा का नाम पर्यावरण के क्षेत्र में बेहद इज्जत से लिया जाता है उनके जाने से उत्तराखंड को एक बड़ी क्षति पहुंची है
बेटे ने अंतिम समय मे कुछ ऐसे दी शब्दो की श्रद्धांजलि
अपने पिता सुंदर लाल बहुगुणा का यह लगभग 75 साल पुराना चित्र मैंने इस बेला में इस लिए डाला है कि एक नदी अपने निष्पत्ति एवं विसर्जन बिंदु पर समान रूप से रवां दवां रहती है । अजल और अबद का सुकूत लगभग एक जैसा होता है । अपने उद्गम पर पर नदी जितनी शांत होती है , विसर्जन विंदु पर भी उसी तरह निःशब्द हो जाती है ।
वह ऋषिकेश के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में बगैर किसी हाय तौबा के निश्चेष्ट हैं ।
हम 4 परिजन मेरी मां , बहन , जीजा , स्वयं मैं तथा हमारे निकटस्थ समीर रतूड़ी उनके निकट हैं ।
हमने नियति को अपने अभिलेख की पूर्णाहुति के इंगित दे दिए हैं । उर्वर मिट्टी बनने हेतु महा वृक्ष का स्वाभाविक पतन हमेशा अवश्यम्भावी रहा है ।
हम प्रकृति के पुजारी उसके विधान की अवज्ञा कैसे कर सकते हैं ।