उत्तराखंडचर्चित मुद्दा

पूर्व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री हेमंत द्विवेदी पर राजनीति से प्रेरित मुकदमे को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज।

*सांच को आंच नहीं*

 


सत्य प्रताड़ित हो सकता है पराजित कतई नहीं। उत्तराखंड सरकार के पूर्व दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री हेमंत द्विवेदी,  हेमंत दा पर षड्यंत्र के तहत धोखाधड़ी के लगाए गए बेबुनियाद आरोप और राजनीतिक छवि को खराब करने की कोशिश का पर्दाफाश हुआ है। देश की सर्वोच्च अदालत ने उन लगाए गए बेबुनियाद, मनगढ़ंत आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। हेमंत दा बेदाग थे और सबसे बड़ी अदालत ने भी उस पर अपनी मुहर लगा दी है।
करीब डेढ़ साल पर रची गई साजिश के प्रत्यक्ष और कुछ गुप्त षडयंत्रकारी न सिर्फ बेनकाब हुए  अपनी मेहनत और परिवार की प्रतिष्ठा के साथ आगे बढ़ने और समाज के मददगार हेमंत दा के खिलाफ कुछ असमाजिक तत्वों की मदद से बड़ी साजिश रची गई। भीमताल थाने में उन पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया। जितेंद्र सिंह पुत्र सरदार संपूर्ण सिंह ने फर्जी तरीके से कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसा किया। इस खेल में जितेंद्र सिंह तो एक मोहरा था। दरअसल हेमंत दा को बदनाम करने, उनकी ईमानदार छवि और राजनीतिक रसूख को धूमिल करने के लिए कुछ बड़े लोगों ने गहरी साजिश रची थी। राजनीतिक विद्वेश रखने वाले पर्दे के पीछे से कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मदद से अपने मकसद को अंजाम देने में जुटे थे।
हेमंत दा से जो भी लोग जुड़े हैं या उन्हें जानते हैं। इन आरोपों ने उन्हें झकझोर दिया था, ऐसे आरोपों के बाद पूर्व सैन्य अफसर पिता, परिवार और समाज का सामना उन्हें करना था। मैं समझता हूं कि बीते डेढ़ साल हेमंत दा ने झूठे मामले में खुद से इसकी सजा भी भोगी। मानसिक यंत्रणा झेली लेकिन न तो वे डिगे और न ही ताकतवर लोगों से समझौता किया। खुद को साबित करने की लंबी लड़ाई और सच्चाई पर अड़े रहे। सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष को सुना,ओर फर्जी दस्तावेज खंगाले तथ्यों को परखा और फैसले में दूध का दूध पानी का पानी हो गया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उन अधिकारियों का चेहरा समाज में बेनकाब हुआ जो इशारों में काम कर साठगांठ में शामिल थे। कहावत है जो सच्चा है उसका साथ ऊपर वाला देता है। बीज निगम उत्तराखंड के पूर्व अध्यक्ष तथा पूर्व प्रदेश मंत्री भारतीय जनता पार्टी के श्री हेमंत द्विवेदी पर 4 मार्च 2018 को पुलिस द्वारा लगाए गए फर्जी मुकदमे को आज सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस घटना ने साबित कर दिया है कि जो लोग बार-बार केवल षड्यंत्र की राजनीति करना चाहते हैं उनके उनके मंसूबे कभी पूरे नहीं होंगे । प्रदेश का दुर्भाग्य है कि कुछ तथाकथित स्वयंभू नेताओं ने खुद को प्रत्येक व्यवस्थाएं चाहे वह न्याय व्यवस्था ही क्यों ना हो से अपने आप को बहुत ऊपर मान लिया है उनको लगता है कि वह जैसा चाहेंगे वैसे ही होगा किंतु हमें ध्यान रखना चाहिए कि हमारे देश कि लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में न्यायपालिका का महत्वपूर्ण स्थान है और आज पुन: इसी न्यायपालिका के माध्यम से षड्यंत्र के शिकार श्री हेमंत द्विवेदी जी इस फर्जी मुकदमे से पाक साफ होकर निकले हैं। इस घटना ने आज एक बार पुनः शासन प्रशासन में बैठे षड्यंत्र कार्यों के मुंह पर जोरदार तमाचा मारा है जो हमेशा अपने षड्यंत्र के बल पर इस प्रदेश में स्वयं को स्थापित रखना चाहते हैं। इस घटना से यह भी कहावत चरितार्थ हुई है कि भगवान के घर देर है पर अंधेर नहीं। सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक निर्णय से यह तो सिद्ध हो ही गया है कि सत्य को परेशान किया जा सकता है पराजित नहीं।

 

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