महाराष्ट्र– शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे से राजनीति का ककहरा सीखने वाले उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए हैं ।भाजपा के साथ हुए विवाद और विपरीत विचारधारा रखने वाली पार्टियों से गठबंधन कर उद्धव ने अपने राजनैतिक सूझबूझ और दूरदर्शिता का बखूबी परिचय दिया है। बाल ठाकरे के निधन के बाद राजनीतिक गलियारों में सवाल गूंज रहा था कि क्या अब शिवसेना उतनी सशक्त नहीं रह पाएगी, लेकिन अपने पिता से विरासत में मिले राजनीतिक अनुभव से उन्होंने शिवसेना को मजबूती दी। पहली बार ठाकरे परिवार से उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे ने वर्ली से विधानसभा चुनाव जीता।
उद्धव ठाकरे युवा काल से ही शिवसेना के मुखपत्र सामना में संपादकीय विभाग में काम करने लगे थे। इस दौरान उद्धव ने पार्टी की विचारधारा को समझा। हालांकि, बाल ठाकरे ने उन्हें पार्टी के कामकाज से दूर ही रखा।
बाल ठाकरे अपने साथ सहयोगी के रूप में हमेशा से भतीजे राज ठाकरे को आगे रखते थे। कहा जाता है कि बाल ठाकरे के समय शिवसेना में नंबर दो के नेता राज ठाकरे ही थे। राज ने अपनी सूझबूझ और राजनीतिक समझ से पार्टी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।