मदमहेश्वर धाम सहित यात्रा पड़ावों में यातायात, स्वास्थ्य, विधुत, संचार सुविधाओं का अभाव बना हुआ है
भगवान मदमहेश्वर का भक्त व प्रकृति का रसिक यहाँ हफ्तों प्रवास करने की इच्छा लेकर पहुंचता तो है मगर उसे मूलभूत सुविधाएं न मिलने से वह एक – दो रात्रि प्रवास करने के बाद मदमहेश्वर धाम से अलविदा हो जाता है
रिपोर्ट :- लक्ष्मण सिंह नेगी
ऊखीमठ – पंच केदारो में द्वितीय केदार के नाम से विश्व विख्यात भगवान मदमहेश्वर धाम सहित यात्रा पड़ावों के चहुंमुखी विकास में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम बाधक बना हुआ है जिससे मदमहेश्वर धाम सहित यात्रा पड़ावों में यातायात, स्वास्थ्य, विधुत, संचार सुविधाओं का अभाव बना हुआ है!
भगवान मदमहेश्वर का भक्त व प्रकृति का रसिक यहाँ हफ्तों प्रवास करने की इच्छा लेकर पहुंचता तो है मगर उसे मूलभूत सुविधाएं न मिलने से वह एक – दो रात्रि प्रवास करने के बाद मदमहेश्वर धाम से अलविदा हो जाता है! यदि प्रदेश व केन्द्र सरकार की पहल पर वर्ल्ड लाइफ बोर्ड सेन्चुरी वन अधिनियम में ढील देने के प्रयास करता है तो मदमहेश्वर धाम की यात्रा भी केदारनाथ धाम की यात्रा की तर्ज पर संचालित हो सकती है तथा मदमहेश्वर धाम सहित सभी यात्रा पड़ावों का चहुमुखी विकास होने के साथ मदमहेश्वर – पाण्डव सेरा – नन्दीकुण्ड पैदल ट्रैक भी विकसित हो सकता है! पंच केदारो में द्वितीय केदारनाथ मदमहेश्वर धाम सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य बसा है!
मदमहेश्वर धाम पहुंचने पर परम आनन्द की अनुभूति होती है मगर आजादी के सात दशक बाद तथा राज्य गठन के 24 वर्षों बाद भी मदमहेश्वर धाम के चहुमुखी विकास में केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम बाधक होने से मदमहेश्वर धाम में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है!
जिला पंचायत सदस्य कालीमठ विनोद राणा ने बताया कि मदमहेश्वर धाम में आज भी यातायात, विधुत, संचार, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है! उनका कहना है कि एक तरफ प्रदेश व केन्द्र सरकार तीर्थाटन व पर्यटन को बढ़ावा देने का ढिंढोरा पीट रही है वही मदमहेश्वर घाटी के तीर्थ व पर्यटक स्थलों के चहुंमुखी विकास में केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम बाधक बना हुआ है! पूर्व प्रधान भगत सिंह पंवार ने बताया कि तीर्थ यात्री व सैलानी मदमहेश्वर धाम तो पहुंचता है मगर उसे मूलभूत सुविधाएं न मिलने से वह शीघ्र लौटने का मन बना लेता है इसलिए मदमहेश्वर घाटी का तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो जाता है
पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य शिवानन्द पंवार का कहना है कि यदि मदमहेश्वर धाम में विधुत, यातायात, संचार जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो जाती है तो मदमहेश्वर धाम सहित मदमहेश्वर घाटी के तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय में खासा इजाफा होने के साथ मन्दिर समिति की आय मे भी वृद्धि हो सकती है तथा स्थानीय युवाओं को मदमहेश्वर घाटी में ही स्वरोजगार मिलने से गांवों से होने वाले पलायन पर भी रोक लगेगी! बाक्स न्यूज – ऊखीमठ – पंच केदारो में द्वितीय केदार मदमहेश्वर धाम में भगवान शंकर के मध्य भाग की पूजा की जाती है! मदमहेश्वर धाम में शिव भक्तों को मनौवाछित फल की प्राप्ति होती है! भगवान मदमहेश्वर को न्याय का देवता माना जाता है! वेद पुराणों के अनुसार हिमालय यात्रा के दौरान पाण्डव कुछ समय मदमहेश्वर धाम में व्यतीत किया तथा उनके द्वारा अपनों पितरों को तर्पण देने के निशान आज भी एक शिला पर है! मदमहेश्वर धाम में प्रवास करने के बाद पाण्डवों से पाण्डव सेरा होते हुए मोक्ष धाम भूवैकुण्ठ बद्रीनाथ धाम के लिए गमन किया! मदमहेश्वर धाम के चारों ओर फैले भूभाग को प्रकृति नव नवेली दुल्हन की तरह सजाया व संवारा है! बरसात के समय मदमहेश्वर धाम के चारों तरफ फैले सुरम्य मखमली बुग्याल में अनेक प्रजाति के पुष्प खिलने से मदमहेश्वर धाम की सुन्दरता पर चार चांद लग जाते हैं! बाक्स न्यूज – ऊखीमठ – देवभूमि उत्तराखंड के प्रवेश द्वार हरिद्वार से 204 किमी दूर बस, टैक्सी या निजी वाहन से तहसील मुख्यालय ऊखीमठ पहुंचा जा सकता है तथा तहसील मुख्यालय ऊखीमठ से 24 किमी की दूरी तय करने के बाद भगवती राकेश्वरी रासी गाँव ( आकतोली) तक भी बस, टैक्सी या निजी वाहन से पहुंचा जा सकता है! अकतोली से मदमहेश्वर धाम की पैदल यात्रा शुरू हो जाती है तथा चार किमी की दूरी पैदल तय करने के बाद मदमहेश्वर यात्रा के आधार शिविर व सीमान्त गाँव गौण्डार पहुंचना पड़ता है! गौण्डार गांव से वनातोली, खटारा, नानौ, मैखम्बा, कूनचट्टी होते हुए मदमहेश्वर धाम पहुंचा जा सकता है! सभी यात्रा पड़ावों पर रहने व खाने की व्यवस्था क्षमता अनुसार मिलती है मगर इन यात्रा पड़ावों के चहुंमुखी विकास में भी केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम बाधक बना हुआ है!