श्री एस पी नौटियाल जी, ग्राम सेमा विकास खंड जाखणी धार, टिहरी गढ़वाल के है, अपनी धरोहर को सवारने हेतु गांव में जहाँ उन्होंने नया घर बनाया वहीं देहरादून में एक सामान्यतः तौर रहते है। 31 जुलाई 2017 को ज्वाइंट कमिश्नर राज्य कर विभाग उतराखंड से सेवा निवृत्त हुए है सेवा निवृत्ति के पश्चात् गाँव में 10 नाली भूमि का सुधार किया जो 30 साल से बंजर थी । शेष भूमि पर चीड़ है जिस पर कुछ नहीं हो सकता जिसकी रिपोर्ट संगंध पौध केंद्र सिलाकुई की है । पिछले पांच साल से आंखों देखी व अनुभवजनीत बातें सरकार से शेयर कर रहा हूँ जिससे जनमानस के सहज जीवन के लिए सरकार की नीतियों का सरलीकरण व नवाचार हो सके।
“करी बोली क सब कुछ होंदू ये लेक लग्यां छों” यही सोच के खाली बैठने से कुछ करना मेरा ध्येय है।
बालिका सैनिक स्कूल के लिए कई वर्ष से प्रयासरत नोटियाल जी ने देश के रक्षा मंत्री से लेकर प्रदेश के सबन्धित मंत्रियों , मुख्यमंत्री , प्रधानमंत्री तक अपने विचार रख चुके है। जिसका संज्ञान राज्य के शिक्षा मंत्री श्री धन सिंह रावत ने लिया और अधिकारियों को शीघ्र इस ओर कार्यवाही के निर्देश दिए है।
मैं वर्ष 2020 से प्रयासरत हूँ की देश में बेटियों के लिए अलग से कुछ बालिका सैनिक स्कूलों की स्थापना हो जिसके लिए निम्न औचित्य केंद्रीय सरकार की सेवामें प्रेषित किया।
1. देश में बालकों के लिए पहले सैनिक स्कूल की स्थापना वर्ष 1961 में हुयी, वर्तमान में 33 सैनिक स्कूल बालकों के लिए है तथा 16 निर्माणाधीन है पर बेटियों के लिए एक भी सैनिक स्कूल की स्थापना नहीं हुयी।
2. वर्ष 1961 में महिलाओं के साक्षरता 15.35% थी जो वर्ष 2011 में बढ़कर 65.46% हो गयी व अब 70% +
3. देश में हजारों बालिका स्कूल व सैकड़ों कन्या कालेज है, यहाँ तक महिला विश्वविद्यालय है, यहाँ तक केंद्रीय सरकार व राज्य सरकारों के मंत्रालय व आयोग भी फिर बालिका सैनिक स्कूल क्यों नहीं |
4. देश के 5 सैनिक स्कूल में बेटियों के लिए वर्ष 2020 से 10% आरक्षण व वर्ष 2022 से सभी सैनिक स्कूल में 10% आरक्षण हर जगह आरक्षण आरक्षण, कब तक बेटियां भाई का छोड़ा हुआ दूध व भली चीज खायेगी। बेटियों के लिए अलग से सैनिक स्कूल क्यों नहीं |
5. सैनिक स्कूल सभी आवसीय होते हैं जिसके लिए दोहरी ब्यवस्था भी करनी पड़ेगी।
6. उत्तराखंड में वर्ष 1966 में घोड़ाखाल का सैनिक स्कूल अस्तित्व में आया, तब उत्तराखंड उत्तरप्रदेश का भाग था| उत्तराखंड से प्रतिवर्ष लगभग 8% भारतीय सैन्य अकादमी से पास आउट होते हैं जबकि उत्तराखंड देश के आबादी का 0.84% ही है। उत्तराखंड सैन्य बाहुल्य क्षेत्र है। देश की सीमाओं का अधिकांश भाग पहाड़ों व बर्फ से आच्छादित है, जहाँ का वातावरण पढाई के लिए अनुकूल है। ऐसे में देश का प्रथम सैनिक स्कूल उत्तराखंड के पहाड़ में स्थित हो| उत्तराखंड सैन्य बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण प्राध्यापक भी पहाड़ में उपलब्ध हो जायेंगे |
7. सेना में अभी 4% से कम ऑफिसर बेटियां, बढ़ेगी भागीदारी ।
8. हर क्षेत्र में बराबरी की ओर बढ़ रही बेटियां।
9. प्रधानमंत्री महोदय का बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान काफी सफल रहा, इस अभियान में कुछ बालिका सैनिक स्कूलों की स्थापना हो|
10. उत्तराखंड के श्री राज्यपाल ने भी कहा की उत्तराखंड में बेटियों को सेना में जाने के लिए प्रेरित करेंगे।
11. सेना में महिलाओं के लिए मानक मनमाने, पुरुषों ने पुरुषों के लिए गाढ़ा सामजिक ढांचा – माननीय उच्चतम न्यायलय भले ही अथक प्रयास से अलग से सैनिक स्कूलों की स्थापना तो नहीं हो सकी पर परिणाम यह रहा की:-
(1) वर्ष 2022 से देश के सभी 33 सैनिक स्कूल में बेटियों के लिए एडमिशन खोल दिए गये जिसमें 10% सीटें बेटियों के लिए आरक्षित हैं, इससे पूर्व यह व्यवस्था केवल 5 स्कूलों में ही थी।
(ii) देश के प्रथम CDS स्वर्गीय जनरल विपिन रावत जी की धर्मपत्नी स्वर्गीय श्रीमती मधुलिका रावत जी के नाम से बालिका सैनिक स्कूल की स्थापना के लिए शासन ने शिक्षा निदेशालय को निर्देशित किया ।
(iii) माननीय शिक्षा मंत्री श्री धन सिंह रावत जी ने भी सचिव विद्यालयी शिक्षा को भी निर्देशित किया की बालिका सैनिक स्कूल की स्थापना हेतु प्रस्ताव तैयार कर केंद्रीय सरकार को प्रेषित करना सुनिश्चित करें।
(iv) उत्तराखंड में बालिका सैनिक स्कूल की स्थापना के लिए मेरा अनुरोध श्री राज्यपाल महोदय, उत्तराखंड के कार्यालय से दिनांक 02/08/2022 का पत्र भारत सरकार की सेवामें प्रेषित किया गया।
बालिका सैनिक स्कूलों की स्थापना के लिए आवश्यक पत्राचार व आंकडे भी श्री राजनाथ सिंह महोदय, माननीय रक्षा मंत्री, भारत सरकार व अन्य प्राधिकारियों को प्रेषित किया। राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किये गए पर अपनी माटी व थाती को कैसे भूल सकूँ अतः देवभूमि उत्तरखंड के लिए अलग से प्रयास किये जिनका सन्दर्भ उक्तवत (ii), (iii) व (iv) में अंकित है। उत्तराखंड के लिए पहला अनुरोध 20 जनवरी 2020 को भेजा था। स्थान चयन व अन्य औपचारिकता हेतु केवल खंड शिक्षा अधिकारी पर निर्भर न रहा जाये बल्कि किसी सैनिक स्कूल के सेवानिवृत प्राचार्य के अध्यक्षता में समिति गठित हो जिससे बालिका सैनिक स्कूल स्थापित करने में जखोली के सैनिक स्कूल की तरह बिलम्ब न हो।
AISSEE 2022 में 969 लड़कियां सैनिक स्कूल घोडाखाल में प्रवेश परीक्षा में पास हुई है पर एडमिशन 10 को ही मिला जो की 1% है तथा आल इंडिया औसत के 2.03% से काफी कम है। AISSEE 2023 का आल इंडिया का परिणाम निम्नवत है:-
सैनिक स्कूलवार अभी इस वर्ष के आंकड़े उपलब्ध नहीं हो पाये परन्तु आल इंडिया ट्रेड के हिसाब से घोडाखाल सैनिक स्कूल में गतवर्ष से ज्यादा बेटियां पास हुयी होगी पर एडमिशन केवल दस को |
देवभूमि उत्तराखंड में अलग बालिका सैनिक स्कूल की स्थापना के लिए विजन/सुझाव:
1. उत्तराखंड राज्य बालिका सैनिक स्कूल स्थापना वाला पहला राज्य बने|
2. देश के प्रथम CDS स्वर्गीय जनरल विपिन रावत जी की धर्मपत्नी स्वर्गीय श्रीमती मधुलिका रावत जी के नाम से यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र के लिए विचार हो ।
3. यदि किसी कारणवश यमकेश्वर में न बन पाये तो पहाड़ में किसी उपयुक्त स्थान पर|
4. प्रस्तावित जखोली सैनिक स्कूल भी बेटियों के लिए विचार किया जा सकता है जहाँ पर भूमि पहले से अधिग्रहित है।
5. देश में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के अंतर्गत देवभूमि उत्तराखंड में एक सैनिक स्कूल बेटियों के नाम (लीक से हटकर भी सोचें पीएम नमो महोदय) |
6. दान की भूमि की तलाश न की जाये अन्यथा न तो केंद्रीय विद्यालय खुल पाए व न सैनिक स्कूल खुल पायेंगे।
7. बालिका सैनिक स्कूल खोलने के लिए मीडिया को भी जानकारी दें जिससे भूमि के लिए अच्छे प्रस्ताव आयेंगे व भू-स्वामी/स्वामियों को स्थानीय दर पर प्रतिकार दिया जाये। सरकार ने ऐसे प्रकरण के लिए भूमि उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित करने के निर्देश भी कुछ दिन पहले दिये
8. किसी सैनिक स्कूल के सेवानिवृत प्राचार्य के अध्यक्षता में समिति गठित हो ।