पन्ना. मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व के हिनौता वन रेंज ऑफिस के रेंजर डी एस भगत की दर्दनाक मौत हो गई है। वन विभाग द्वारा पाले गए हाथी रामबहादुर के हमले का शिकार हुए हैं। बताया जा गया कि रेंजर ने रामबहादुर को बैठने का निर्देश दिया था, उसी दौरान हाथी रामबहादुर ने रेंजर को पहले तो ऊपर से जमीन पर गिराया और फिर अपने सूंड व दांतों से रेंजर को कुचल दिया। फील्ड डायरेक्टर के एस भदौरिया ने रेंजर डीएस भगत की मौत की पुष्टि करते हुए घटना के बारे में जानकारी दी।
बीएस भगत बीते 8 सालों से इसी रेंज में पदस्थ थे और कहा जाता है कि उनका हाथियों से अच्छा लगाव था. मूल रूप से छत्तीसगढ़ के रहने वाले भगत के साथियों ने बताया कि हिनौता रेंज ऑफिसर बेहद मिलनसार और कर्मठ अधिकारी थे. वे साधारण जीवन यापन कर जंगल में दिन रात मेहनत करने के लिए जाने जाते थे.
जंगल मे बाघ के सर्चिंग के दौरान की यह घटना को बताया जा रहा है कि हिनौता रेंज के रेंजर डी एस भगत स्टाफ के साथ जंगल में टाइगर ट्रेकिंग के लिए निकले थे, इसी दौरान हाथी रामबहादुर जो कि रेंजर भगत को भलीभांति जनता था। रेंजर ने उसे बैठने के निर्देश दिए थे लेकिन उसने आदेश न मानते हुए पहले तो अपनी पीठ के ऊपर से रेेेजर को गिराया और फिर अपने दांतों से उन्हें कुचल दिया जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। कुुुछ दिन पहले ही पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों के बीच लड़ाई हुई थी जिसमें एक बाघ की मौत हो गई थी। बाघ की मौत की खबर वन विभाग को चार दिन बाद लगी थी। इसी घटना को लेकर रेंजर भगत स्टाफ के साथ दूसरे बाघ की तलाश में जंगल में जा रहे थे। इसी दौरान ये हादसा हुआ है। पन्ना टाइगर रिजर्व के 542 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले कोर एरिया में बाघों की संख्या बढ़ती जा रही है अभी यहां 39 से ज्यादा बाघ रहते हैं। जो रिजर्व की औसत क्षमता से चार पांच ज्यादा हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व में एक हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा का बफर जोन है। कोर और बफर जोन दोनों को मिलाकर इस क्षेत्र में करीब 60 बाघ रहते हैं। इसकी वजह से ही बाघों के बाच आपसी संघर्ष की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।
जानकारी के अनुसार रेंज ऑफिसर बाघ टी-431 की तलाश में निकले थे. टी-431 वो बाघ है जिसके साथ संघर्ष के दौरान बाघ पी-123 की बीते दिनों जान चली गई थी. इस संघर्ष में टी-431 को भी इंजरी आई होगी, इसका पता लगाने के लिए रेंजर भगत लगातार बाघ की तलाश में जुटे हुए थे.
आपको बता दें कि 7 अगस्त को बाघ टी-431 के साथ हुए संघर्ष में वयस्क बाघ पी-123 घायल होकर केन नदी में गिर गया था. 3 दिनों तक लापता रहने के बाद उसका शव बिना सिर के केन नदी के किनारे पड़ा मिला था.