संत शिरोमणि रविदास जी व वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप पर केंद्रित रहा बजरंग दल का का साप्ताहिक मिलन केंद्र का आज मंगलवार का विषय
विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल द्वारा संचालित साप्ताहिक मिलन केंद्र घंटाघर पर आज महत्वपूर्ण बौद्धिक चर्चा में आज 7 मई संत रविदास जी की पुण्यतिथि व आगामी 9 मई वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के जन्म जयंती पर महान व्यक्तित्व देश, धर्म के लिए अपने आप को बलिदान करने वाले महान योद्धाओं व संतों के बारे में बौद्धिक चर्चा रही
मुख्य बिंदुओ पर बताते हुए बजरंग दल मिलन प्रमुख विकास वर्मा द्वारा उपस्थित संगत को स्मरण कराया भारत भूमि पर समय-समय पर ऐसे महान संतों और शूरवीरों ने जन्म लिया है। जिन्होंने इस पवित्र भूमि भारत मे इसकी संस्कृति इसकी सीमाओं व सामाजिक एकता,सामाजिक समरसता के लिए अपना जीवन न्योछावर किया है जिसमें आज के दिन अपने जीवन की सांसों को पूरा कर पूरे विश्व को सामाजिक समरसता, अपृस्यता ,भेदभाव जैसी कुरीतियों के प्रति समाज को जागरण कर और कुरीतियों के बहिष्कार के लिए संपूर्ण जीवन समाज के लिए दे दिया ऐसे संत रविदास जी की पुण्यतिथि पर जीवन के उन महत्वपूर्ण कथनो को आत्मसात करना चाहिए जिसमें उन्होंने सदैव भेदभाव व सामाजिक कुरीतियों का बहिष्कार व विरोध करते हुए संतमत में प्रधानता हासिल की और श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी मे आपके द्वारा कहे गए 40 रचनाएं अंकित है जो पूरे विश्व को मानवता को एकता, सामाजिक समरसता का विशाल संदेश देती है विकास वर्मा ने कहा कि आगामी 9 मई को महाराणा प्रताप जी के जजन्म जंयती समाज को भव्यता के साथ मनाना चाहिए यह वही महान चरित्र है जो पूरे विश्व में भारत को गौरवान्वित करते है। जिन महान चरित्रो को सदैव इतिहास के साथ छेड़छाड़ कर महान वीर सूरमाओं के साथ न्याय नहीं किया गया जिसमे भारतीय कम्युनिस्टों, मुगल ,देश विरोधी मानसिकताओ और अंग्रेजो ने पूरी दुनिया में सिकंदर और अकबर को महान सम्राट बना कर रखा है, जबकि महान तो महाराणा प्रताप थे जिनको एक तुर्क अकबर द्वारा भारतीय राजाओं के साथ मिलकर हर तरह से झुकाने या मौत के घाट उतारने का प्रयास किया लेकिन महाराणा प्रताप ने अपने देश की संस्कृति व आत्मसम्मान को बचाए रखा और कभी भी अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की।
महाराणा प्रताप ने भगवान एकलिंगजी की कसम खाकर प्रतिज्ञा ली थी कि जिंदगीभर उनके मुख से अकबर के लिए सिर्फ तुर्क ही निकलेगा और उन्होंने कभी अकबर को अपना बादशाह नहीं माना।
मेवाड़ के वीर यशस्वी महाराणा प्रताप ने कभी मुगलों के इस छद्म चेहरे की अधीनता स्वीकार नहीं की। अकबर ने उन्हें समझाने के लिए चार बार शांति दूतों को अपना संदेशा लेकर भेजा था लेकिन महाराणा प्रताप ने अकबर के हर प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया था। वर्मा ने कहा ऐसे महान वीरों की गाथाएं ऐसे संतो के रचनाएं पढ़कर उनके पद चिन्हों पर चलकर भारत देश में राम राज्य की स्थापना होगी और हनुमान चालीसा के सामूहिक पाठ के माध्यम से हम भारत के संतों,महंतों, वीरो, देशभक्तो की चर्चा करते हैं जिससे बजरंग दल द्वारा संचालित इस चालीसा संस्कार केंद्र से धर्मभक्ति,देशभक्ति व देशप्रेम के द्वारा भारत भूमि की नींव रखने वाले महापुरषो की गाथाओं के साथ हमारे समाज मे इसी प्रकार के महान चरित्र का निर्माण हो चालीसा के दौरान सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित हुए जिसमें बहुत अधिक संख्या में महिलाएं बच्चे रहे जिन्होंने डेढ़ घंटे तक चलने वाले इस कार्यक्रम में सहभाग किया कार्यक्रम में व्यवस्था में मुख्य रूप से ऋषभ उपाध्याय,संदीप वाधवा, विजय गुप्ता , चन्दर , राजेश सिंह, बृजेश, राशिराम, अशोक वर्मा, अजय, हरबंस कुकरेजा प्रेम सेठी शोभा वर्मा, गीता वाधवा, नेहा जुनेजा, मनप्रीत सिंह, हरीश सेठी, रमेश गुप्ता, सुरेश गुप्ता ,हरीश, अर्चना कोहली,विधि मेहरा, अमन स्वेडिया, हर्ष सहगल, श्याम मेहरा,व अन्य सैकड़ो लोग उपस्थित रहे