हम आम तौर पर जब भी जेड प्लस सिक्योरिटी (Z Plus Security) के बारे में सुनते है, तो हमारा दिमाग सीधा प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और किसी VVIP व्यक्ति की सुरक्षा की तरफ दौड़ता है. इसके अलावा, देश में किसी बड़े सेलिब्रिटी या बिजनेसमैन को भी जरूरत पड़ने पर ये सुरक्षा दी जाती है. लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि एक पेड़ को 24 घंटे Z Plus Security दी जाती है, तो शायद आपको ताज्जुब होगा. लेकिन यह हकीकत है. एक वीवीआईपी पेड़ ऐसा भी है, जिसकी सुरक्षा के लिए 24 घंटे गार्ड्स तैनात रहते हैं. तो चलिए जानते हैं इंडिया में इस पेड़ को क्यों दी जाती है इसनी टाइट सिक्योरिटी.
पेड़ को मिलती है जेड प्लस सिक्योरिटी
वहीं दूसरे ऐसे लोग है जिनकों सवैंधानिक पदों का जिम्मा मिला हुआ है उनको भी भारत सरकार की ओर से सुरक्षा दी जा रही हैं। ऊपर दिए तामम तरह के विवरण से तो आप भलीभांति परिचित है लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में एक ऐसा पेड़ है जिसको सरकार की तरफ से जेड कैटेगिरी की सुरक्षा दी जा रही है। शायद आप इस बारें नहीं जानते होंगे तो आइए हम आपको बताते है।
यहां पर मौजूद है यह पेड़
इस सुरक्षा के घेरे में रहने वाला पेड़ बिहार के गया जिले में मौजूद है। साथ ही यह मप्र के दो जिलों भोपाल और विदिशा यहां पर यह पेड़ है मप्र की सलामतपुर की पहाड़ियों पर इस पेड़ को साल 2012 में श्रीलंका के तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे ने भारत दौरे के समय लगाया था।
सरकार पेड़ पर सालाना इतना खर्च कर रही
दरअसल, यह पीपल का पेड़ है लेकिन यह बेहद ही कीमती है। क्योंकि खुद मप्र सरकार इसकी सुरक्षा पर सालाना करीब 10 से 15 लाख रुपए खर्च कर रही है। यह पेड़ 15 फीट की ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इसका नाम बोधि वृध है।
जिला कलेक्टर भी करते है निगरानी
यह पेड़ इताना कीमती है कि इस मॉनीटिरिंग खुद जिला कलेक्टर को करनी पड़ती है। जी हां यह सच है जिला का डीएम अब जनता की समस्याओं के साथ पेड़ की भी निगरानी कर रही है। इसका ख्याल एक राष्ट्रीय संपित्ति की तरह रखा जा रहा है। इसलिए इस पेड़ को देखने देश के ही नहीं बल्कि विदेश के लोग भी इसे देखने आते है।
पेड़ का इतिहास
इस पेड़ का इतिहास काफी पुराना है। बताया जाता है कि यह उसी प्रजाति का वृक्ष है जिसके नीचे बैठकर भगवान बुध्द को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इतिहास की प्राप्त जानकारी के मुताबिक तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक ने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए श्रीलंका भेजा था। तब उन्हें एक बोधि वृक्ष की एक टहनी दी थी। जिसे उन्होंने वहां के अनुराधापुरा में लगा दिया था। वो आज भी वहां है।