ट्रिपल मर्डर:- डिप्रेशन का शिकार डॉक्टर ने अपनी पत्नी व दो बच्चो की कर दी सनसनीखेज हत्या,,
कानपुर। कोविड रिलेटेड डिप्रेशन.फोबिया। अब और कोविड नहीं। ये कोरोना वायरस अब सबको मार डालेगा। अब लाशें नहीं गिन्नी पड़ेगी..ओमिक्रॉन। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के रहने वाले डॉक्टर सुशील कुमार (50) के फ्लैट से बरामद डायरी में लिखे गए कई पेज के नोट में कुछ इसी तरह की बातें लिखी गई हैं।
फ्लैट में सुशील, चंद्रप्रभा और उनकी बेटी खुशी रहती थी। शिखर दिल्ली में पढ़ाई कर रहा था लेकिन कोविड कॉल से ऑनलाइन क्लासेज चल रही थीं। इसलिए शिखर भी परिवार के साथ रह रहा था। हर दिन सुशील और चंद्रप्रभा काम पर जाते थे।
खुशी स्कूल जाती थी। शाम को सभी एक साथ इकट्ठा होते थे। रिश्तेदारों ने बताया कि परिवार में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं थी। सुनील ने बताया कि कुछ दिन पहले शिखर दिल्ली जाने वाला था लेकिन नहीं गया। अगर चला गया होता तो कम से कम उसकी जान बच जाती।
शिक्षक को की थी आखिरी कॉल
पुलिस की जांच में सामने आया कि खुशी को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक घर आता था। वारदात को अंजाम देने के बाद आखिरी कॉल सुशील ने इसी ट्यूशन टीचर को की थी। तब उसने कहा था कि आज खुशी बीमार है। इसलिए न आएं। इसके बाद उसने कॉल पर किसी से बातचीत नहीं की। शाम को सीधे सुनील को मैसेज भेजा।
मंधना में घर बनवाया
परिजनों ने बताया कि मंधना में ढाई सौ गज का एक दो मंजिला मकान सुशील ने बनवाया है। उसकी फिनिशिंग बाकी है। आने वाले समय में परिवार वहां शिफ्ट होने की तैयारी कर रहा था।
जिस बेटी को लग्जरी कार दिलाने वाला था, उसे भी मार डाला
कानपुर। एक डॉक्टर ने बताया कि सुशील ऐसा करेगा यह यकीन नहीं हो रहा। वह अपनी बेटी को बहुत प्यार करता था। वह कहता था कि बेटी को लग्जरी कार दिलाएगा, जिससे वह कोचिंग जाएगी। अचानक ऐसा क्या हुआ कि उसने पत्नी, बेटे और बेटी को मार दिया।
आंखों की बीमारी के बारे में पता नहीं
सुशील ने नोट में लिखा है कि वह आंखों की बीमारी से परेशान है। परिजनों का कहना है कि उनको इस बात की जानकारी नहीं है। अगर सुशील आंखों की गंभीर बीमारी से ग्रसित होते तो हम सभी को जानकारी होती। थोड़ी बहुत अस्थमा की दिक्कत जरूर थी।
मौके पर पहुंची पुलिस ने डायरी समेत नोट को कब्जे में ले लिया है। इस नोट को देखने के बाद पुलिस दावा कर रही है कि डॉ. सुशील काफी डिप्रेशन में थे। वह कोरोना महामारी की वजह से इस कदर तनाव में थे कि उनको लगता था कि अब कोई नहीं बचेगा इसलिए उन्होंने ऐसा कदम उठाया। नोट में जिस तरह की बातें लिखी गई है उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि डॉ. सुशील ने परिवार के तीनों सदस्यों को मारकर खुद आत्महत्या करने की कोशिश की है। पुलिस उनकी तलाश में लगी है।
सभी को मुक्ति के मार्ग पर छोड़कर जा रहा हूं.अलविदा
सुशील ने आगे नोट में लिखा है. मैं अपने परिवार को कष्ट में नहीं छोड़ सकता इसलिए सभी को मुक्ति के मार्ग पर छोड़कर जा रहा हूं। सबके सारे कष्ट एक ही पल में दूर कर रहा हूं। मैं अपने पीछे किसी को कष्ट में नहीं देख सकता था। मेरी आत्मा कभी मुझे माफ नहीं करती। अलविदा.
सुुशील ने नोट में आगे लिखा .अपनी लापरवाही की वजह से कॅरियर के उस मुकाम पर फंस गया हूं, जहां से निकलना अब असंभव है। मेरा कोई भविष्य नहीं नजर आ रहा। मैं पूरे होशोहवास में अपने पूरे परिवार को खत्म करके खुद को भी खत्म कर रहा हूं। इसका जिम्मेदार और कोई नहीं है। उन्होंने लिखा है. मैं लाइलाज बीमारी से ग्रस्त हो रहा हूं। आगे का कोई भविष्य नहीं नजर आ रहा। ऐसे में इसके अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं रहा। आंखों की लाइलाज बीमारी के कारण ये कदम उठाना पड़ रहा है। पढ़ाना मेरा पेशा है, जब आंखें ही नहीं रहेंगी तो मैं क्या करूंगा।
मामले के बारे में बात करते हुए सुशील के जुड़वा सुनील ने बताया कि उसने एक साल पहले कहा था कि वह डिप्रेशन में है जिसका इलाज चल रहा है। हालांकि उसने यह नहीं बताया था कि इलाज कहाँ से करा रहा है। बता दें कि डॉ. सुशील कुमार ने हथौड़े से अपनी पत्नी चंद्रप्रभा का सिर कूचा। उसका सिर जिस तरह से क्षत विक्षत था उससे स्पष्ट है कि जब तक चंद्रप्रभा की सांसें थम नहीं गईं तब तक उस पर वार करता रहा। वहीं दोनों बच्चों शिखर और खुशी का गला घोंटा गया था। चंद्रप्रभा शिवराजपुर स्थित एक प्राइमरी स्कूल में टीचर थी। बेटा शिखर दिल्ली के कैड इंस्टीट्यूट से इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा था जबकि बेटी वुडबाइन स्कूल से हाईस्कूल की स्टूडेंट थी।