उत्तराखंड के अधिकांश क्षेत्रो से गुलदार द्वारा इंसानों पर हमले की खबर रोज आती रहती है, इनके आतंक से इंसान क्या पालतू मवेशी भी नही बच पा रहे है, अगर सरकार ने इनपर कंट्रोल नही किया तो उत्तराखंड में एक बड़ा जनांदोलन खड़ा हो सकता है। कब तक युही हम इन जानवरों के शिकार होते रहेंगे, 80 के दशक में सिर्फ कभी कभार बाघ के हमले के समाचार मिलते थे , लेकिन क्या कारण है कि 90 के दशक से गुलदारों के हमले इतने पैमाने पर होने लगे है, क्या सरकार ने विदेशों से इनका आयात करके जंगलों में छोड़ दिये है, क्योंकि गुलदार एक जंगली बिल्ली की तरह है इसके प्रजनन क्षमता बहुत होती है एक बार मे 4 चार बच्चे ये पैदा करती है, जबकि बाघ सिर्फ 1 या 2 बच्चे ही पैदा करता है वो भी कई सालों में, इसलिए गुलदारों की संख्या दिनप्रति बढ़ती जा रही है। अगर जल्दी इनके बर्थ कंट्रोल पर लगाम नही लगाई तो यह एक विकट समस्या उत्पन्न हो सकती है।
उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में जंगली जानवरों का आतंक कम होने का नाम नहीं ले रहा है। आये दिन कहीं न कहीं गुलदार, बाघ, भालू आदि जंगली जानवरों द्वारा इंसानों पर हमले की खबरें सुर्ख़ियों में रहती हैं। ताजा मामला उत्तरकाशी जनपद के चिन्यालीसौड़ का है। यहाँ गुलदार ने बीमणी गांव के पास जंगल में घास काटने गई महिला को मार डाला। सूचना मिलने पर राजस्व विभाग और वन विभाग की टीम मौके के लिए रवाना हो गई है। गुलदार के हमले में मृतक महिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद पर कार्य करती थी। आदमखोर गुलदार के हमले से क्षेत्र में दहशत का माहौल है।
मिली जानकारी के मुताबिक बड़ीमणि गांव की सुनीता देवी पत्नी सुंदरलाल (32 वर्ष) रोजाना की तरह शनिवार शाम करीब साढ़े पांच बजे गाँव के पास अपने खेतों में घास काट रही थी। इसीबीच घात लगाए गुलदार ने उस पर अचानक जानलेवा हमला कर दिया। उसके साथ गई महिलाओं द्वारा काफी देर तक शोर मचाने के बाद गुलदार भाग गया। लेकिन तब तक महिला दम तोड़ चुकी थी। घटना से गांव और आसपास के क्षेत्र में दहशत है। ग्रामीणों ने वन विभाग से क्षेत्र में पिंजरा लगाकर ग्रामीणों की सुरक्षा की मांग की है।
वन विभाग की टीम घटनास्थल और आसपास के क्षेत्र में लगातार निगरानी कर रही है। साथ ही घटनास्थल के पास पिंजरा लगा रही है। शूटरों को भी बुलाया जा रहा है। वन विभाग की टीम ने गांव के आसपास के क्षेत्र में गश्त भी बढ़ा दी है। जिलाधिकारी ने वन विभाग को प्रभावित परिवार को तत्काल मुआवजा राशि देने की कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।
इससे पहले भी इसी विकासखंड के गमरी सहित दिचली पट्टी में एक माह से गुलदार का आतंक बना हुआ है। कुछ दिन पूर्व गमरी क्षेत्र में गुलदार ने मोटरसाइकिल सवार युवकों पर भी झपटा मारने की कोशिश की थी। इसके अलावा गढ़वाल के पौड़ी, उत्तरकाशी, हरिद्वार और कुमाऊं में कोटद्वार नैनीताल, अल्मोड़ा आदि जिलों में भी जंगली जानवरों की दहशत है।