मेरा अंतिम कोर्स है, इसके बाद शादी के बारे में सोचूंगा
यह कहकर घर से निकला था यमकेश्वर का संतोष कुकरेती , सीट फुल होने के बाद भी मिला था प्रवेश
यमकेश्वर /हरिद्वार 09 अक्टूबर उत्तरकाशी के द्रौपदी का डांडा में पिछले दिनों आए एवलांच यानी हिमस्खलन में गायब हुए यमकेश्वर के युवा पर्वतारोही सन्तोष कुकरेती के बारे में बुरा समाचार है।
मेरा यह अंतिम कोर्स है, इसके बाद शादी के बारे में सोचूंगा…, यह कहकर घर से उत्तरकाशी के लिए निकला था हरिद्वार निवासी संतोष कुकरेती ने निम से एडवांस कोर्स के लिए आवेदन किया था लेकिन सीट फुल होने के कारण उसका आवेदन निरस्त हो गया था।
बहुत प्रयास करने के बाद भी संतोष को सीट नहीं मिल पा रही थी
लेकिन अचानक एक दिन निम से फोन आया कि एक सीट खाली है और तुम कोर्स के लिए आ जाओ।इस पर संतोष खुशी खुशी उत्तरकाशी के लिए निकला था लेकिन अब हिमस्खलन की घटना के बाद से लापता है। हरिद्वार के चमरिया गाँव निवासी संतोष कुकरेती को बचपन से ही एडवेंचर का शौक था। संतोष ने पर्वतारोहण का बेसिक कोर्स भी निम से किया था। उसके बाद संतोष ने पर्वतारोहण के एडवांस कोर्स के लिए निम में आवेदन किया था। संतोष के छोटे भाई दीपक ने बताया कि पहले एडवांस कोर्स के लिए संतोष चयन नहीं हो पा रहा था। निम ने सीट फुल होने की बात कह कर चयन से मना कर दिया था।
दीपक ने बताया कि 18 सितंबर को अचानक निम से फोन आया कि आप का चयन हो गया है, आप कोर्स लिए आ जाओ संतोष खुशी खुशी 18 सितंबर को ही घर से उत्तरकाशी के लिए निकल गया था। दीपक ने कहा कि मेरा 22 सितंबर को भैया से बात हुई तो उन्होंने बताया कि हम कल पहाड़ी के लिए निकल रहे है। 12 दिन तक नेटवर्क क्षेत्र में नही रहेंगे वापस आऊंगा तो बात करूंगा। दीपक ने बताया कि अधिकतर लदाख में रहते थे। वहां वह लोगों को ट्रेकिंग आदि का प्रशिक्षण देते थे। संतोष घर का सबसे बड़ा बेटा था।
इसलिए घर के सदस्य उसकी शादी के बारे में भी सोच रहे थे। संतोष के छोटे भाई दीपक ने कहा कि बड़े भाई ने कहा था कि यह उनका अंतिम कोर्स है। इसके बाद वह घर में शादी की बात करेंगे लेकिन संतोष हिमस्खलन की घटना के बाद से लापता है। संतोष के पिता अशोक कुकरेती मूल रूप से यमकेश्वर विधानसभा दुगड्डा ब्लॉक अजमेर पट्टी स्थित गांव जौरासी तल्ली निवासी हैं जो कि वर्षो से लालढांग हरिद्वार में रह रहे हैं।
उत्तरकाशी: उत्तरकाशी में द्रौपदी का डांडा चोटी के पास मंगलवार को हुए भयंकर हिमस्खलन के दौरान लापता हुए पर्वतारोहियों की तलाश के प्रयास शुक्रवार को भारी बर्फबारी के चलते बाधित हो गई जिससे परिजन और अधिक परेशान हो रहे है।
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (एनआईएम) के मुताबिक, एनआईएम के 29 पर्वतारोही चढ़ाई के बाद लौटते समय 17 हजार फुट की ऊंचाई पर द्रौपदी का डांडा-द्वितीय चोटी पर हिमस्खलन की चपेट में आ गए थे। एनआईएम के अनुसार, अब तक 26 पर्वतारोहियों के शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि तीन अब भी लापता हैं। संस्थान ने बताया कि चार पर्वतारोहियों के शव उनके परिजनों को सौंप दिए गए हैं, जबकि बाकी पर्वतारोहियों के शव नीचे लाने के प्रयास जारी हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, खराब मौसम के चलते तलाश अभियान बाधित होने से देश के अलग-अलग हिस्सों से उत्तरकाशी पहुंचे पर्वतारोहियों के परिजन दुखी और परेशान हैं। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने कहा कि मौसम में सुधार के बाद ही हवाई मार्ग से बचाव अभियान को बहाल किया जा सकेगा।