उत्तराखंड में मिलने वाली कौन सी चीज़ों की विदेशों में बहुत मांग है, जिसका हमारे देश वाशियों को पता ही नहीं है
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाली कीड़ा जड़ी या यार्सा गुम्बा नामक फफूंद की कीमत 10 से 20 लाख रुपए प्रति किलो है। इस जड़ी से बनने वाली दवा से पुरुष के अंदर उन्मादी यौन शक्ति का सृजन होता है व चीन में खिलाडियों द्वारा शक्तिवर्धक की तरह इस्तमाल होता है जो डोप टेस्ट में नहीं पकड़ा जाता।
हर वर्ष ग्रीष्म ऋतु में हिमाचल उत्तराखंड की 4000 से 5000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित घास के मैदान जिन्हें बुग्याल बोलते हैं वहाँ लोग इसे ढूंढने जाते हैं। सर्द ऋतु में जब बर्फ पड़ती है तो ये कीड़ा पैदा होता है व चहलकदमी करता है और जब बर्फ पिघलती है तो मृत हो जाता है। मरने के बाद इसके शरीर से एक छोटा सा तना उगकर मिट्टी से बाहर निकल आता है जो सर्दियों में फट कर नए कीड़ों को जन्म देता है इस तने से ही लोग इसका पता लगाते हैं।
इससे बनने वाली दवाई का ज्ञान केवल चीन में है व भारत में अभी तक इसका कोई उपयोग नहीं ढूंढा गया है। इसी वजह से घरेलू बाजार में इसकी मांग बिलकुल भी नहीं है। लेकिन चीन वासी इसको लाखों में खरीद करोड़ों की दवाइयां बना रहे हैं।
हिमालय का सोना कहे जाने वाले इस जड़ को भारी मात्रा में तस्करी कर नेपाल पहुंचाया जाता है जहां से ये चीन पहुंचता है। गौरतलब है की हिन्दुस्तानी सरकार ने जहां इसकी कीमत केवल पचास हजार तय करी है वहीं चीन के व्यापारी इसे सीधे 10 से 20 लाख प्रति किलो के बीच में खरीदते हैं व उच्च हिमालयी क्षेत्र के निवासियों के अलावा कम ही लोगों को इसके बारे में पता है।