सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों तथा जय बद्रीविशाल के जय घोष के साथ शीतकाल हेतु भगवान बद्रीविशाल के कपाट बंद,,,
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु आज 20 नवंबर को शायंकाल बंद हुए।
• कपाट बंद होने के अवसर हेतु श्री बदरीनाथ धाम को भब्य रूप से फूलों से सजाया गया।
• सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों तथा जय बदरीविशाल के जय घोष के साथ शीतकाल हेतु भगवान बदरीविशाल के कपाट बंद ।
• प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल ( अवकाश प्राप्त) गुरूमीत सिंह एवं मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने चारों धामों में तीर्थयात्रा के सफल संचालन पर प्रसन्नता जताई देश- विदेश के तीर्थयात्रियों को शुभकामनाएं दी।कहा कोरोनाकाल के बावजूद सफल रही चारधाम यात्रा।
• पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने चारधाम यात्रा के समापन पर बधाई दी कहा शीतकालीन यात्रा को बढावा देंगे।
• देवस्थानम बोर्ड के सदस्यों ने श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने पर सभी का आभार जताया।
• कल 21 नवंबर को प्रात: 9.30 बजे आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी,रावल जी सहित श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी योग- ध्यान बदरी पांडुकेश्वर पहुंचेगे।
• 22 नवंबर को आदि गुरू शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी।
जबकि श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी शीतकाल में पांडुकेश्वर में
विराजमान रहेंगे।
• 22 नवंबर को द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे तथा 25 नवंबर को श्री मद्महेश्वर मेला आयोजित होना है।
श्री बदरीनाथ धाम (चमोली ) / देहरादून: 20 नवंबर। विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट इस यात्रा वर्ष शीतकाल हेतु आज शनिवार 20 नवंबर मार्गशीर्ष 5 गते प्रतिपदा को वृष लग्न- राशि में शाम 6 बजकर 45 मिनट पर विधि-विधान से बंद हो गये। इस अवसर पर बद्रीविशाल पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश द्वारा श्री बदरीनाथ मंदिर को भब्य रूप से फूलों से सजाया गया था। बदरीनाथ धाम की सुदूर पहाड़ियों पर बर्फ जमी है जिससे बदरीनाथ धाम में भी तापमान कम है तथा मौसम सर्द बना हुआ है।
आज प्रात: ब्रह्ममुहुर्त में श्री बदरीनाथ मंदिर के द्वार खुल गये थे। भगवान बदरीविशाल जी की अभिषेक पूजा हुई।कुछ देर पूजा-अर्चना एवं दर्शन पश्चात बाल भोग समर्पित किया गया ,श्रद्धालुओं ने दर्शन किये दिन का भोग प्रसाद चढाया गया। विष्णुसहस्त्रनाम पूजाएं तथा शयन आरती संपन्न हुई। शाम साढे चार बजे से कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गयी । इसके पश्चात शाम साढे पांच बजे श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी, एवं गरूड़ जी के मंदिर गर्भ गृह से बाहर मंदिर परिसर में आते ही रावल जी द्वारा स्त्रैण भेष धारणकर मां लक्ष्मी को मंदिर भगवान बदरीविशाल के समीप विराजमान किया। सीमांत पर्यटन ग्राम माणा के महिला मंडल द्वारा भगवान बदरीविशाल को भेंट किया गया ऊन से बना घृत कंबल भगवान श्री बदरीविशाल को ओढ़ाया गया। इसके बाद रावल जी द्वारा गर्भ गृह के कपाट बंद कर